एक गिलास ठंडा गन्ने का रस न केवल हमारी प्यास को बुझाता है बल्कि हमें ऊर्जा से भी भर देता है। गर्मी को दूर करने के लिए इसकी लोकप्रियता को देखते हुए, यह कोई आश्चर्य नहीं है कि भारत गन्ने के प्रमुख उत्पादकों में से एक है। गन्ने का वैज्ञानिक नाम सैकेरम औफीसिनरम है। इसे स्थानीय भाषा के आधार पर कई अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है। गन्ने में प्रचुर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, जस्ता, पोटेशियम और विटामिन ए, बी-कॉम्प्लेक्स और सी भी पाया जाता है। सबसे पहले गन्ने की मूल खेती पापुआ न्यू गिनी (Papua New Guinea) में हुई थी, लेकिन यह एशिया और अमेरिका सहित आधे से ज्यादा दुनिया में फसल उत्पादन का हिस्सा बन गया है। गन्ने की 36 से भी अधिक किस्म पाई जाती है।
गन्ने में फैट नहीं होता है, वास्तव में यह एक 100% प्राकृतिक पेय है। इसमें लगभग 30 ग्राम प्राकृतिक चीनी है। इसलिए मिठास के लिए इसमें आपको अतिरिक्त चीनी मिलाने की ज़रूरत नहीं है। एक गन्ने का पौधा 30 फीट तक बढ़ सकता है। जलवायु के आधार पर, एक गन्ने के पौधे पकने में 9-24 महीने लग सकते हैं। गन्ने के रस से प्राप्त चीनी में केवल 15 कैलोरी होती है। गन्ने का रस सूक्रोज, फ्रुक्टोज़ और कई अन्य ग्लूकोज किस्मों का मिश्रण है। इसलिए यह स्वाद में मीठा है। 8 औंस गन्ने के रस में 180 कैलोरी होती है, जो काफी कम है। एक गिलास गन्ने के रस में कुल 13 ग्राम फाइबर होता है, जो शरीर के कई कार्यों को पूरा करने में आवश्यक है।