स्टेम सेल मानव शरीर में मौजूद वे कोशिकाएं हैं, जो अन्य सभी प्रकार की कोशिकाओं को बनने में मदद करती हैं। ये स्टेम सेल अपने जैसी अन्य स्टेम सेल को विकसित होने में भी मदद करती हैं, जिससे इनका जीवन चक्र चलता रहता है। मनुष्यों में दो प्रकार के स्टेम सेल पाए जाते हैं, जिन्हें एंब्रिओनिक स्टेम सेल और नोन-एंब्रिओनिक स्टेम सेल के नाम से जाना जाता है। एंब्रिओनिक स्टेम सेल गर्भ में भ्रूण और बच्चे का शरीर बनाने वाली सभी कोशिकाओं का निर्माण करती हैं। इसीलिए इन्हें "प्लुरिपोटेंट" के नाम से भी जाना जाता है, जिसका मतलब होता है कि ये सभी प्रकार की कोशिकाओं का निर्माण कर सकती हैं। हालांकि, नोन-एंब्रिओनिक स्टेम सेल जिन्हें एडल्ट स्टेम सेल भी कहा जाता है, संख्या में कम होती हैं। इन कोशिकाओं की क्षमता भी सीमित ही होती है और ये सिर्फ शरीर में बदलाव के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कोशिकाएं ही बना पाती हैं। उदाहरण के तौर पर एडल्ट स्टेम सेल वे स्टेम सेल हैं, जो अस्थि मज्जा (बोन मेरो) के अंदर पाई जाती हैं और ये सिर्फ नई रक्त कोशिकाओं को बनने में ही मदद करती हैं।
वैज्ञानिक एडल्ट स्टेम सेल को प्लुरिपोटेंट में बदलने में सक्षम हुए हैं, जिसकी मदद से स्टेम सेल सभी प्रकार की कोशिकाओं को बनाने में मदद कर पाती हैं। इस बदलाव को करने की प्रक्रिया को "इंड्यूस्ड प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल" के नाम से जाना जाता है। स्टेम सेल में इन लाभप्रद और अनोखे गुणों को लाकर, कई प्रकार की उपचार प्रक्रियाओं का आविष्कार किया जा चुका है और इसी तकनीक की मदद से अन्य कई रहस्यमयी बीमारियों के इलाज की खोज की जा रही है।
सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाली स्टेम सेल थेरेपी, हेमेटोपोएटिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन है, जो अपेक्षाकृत महंगी लेकिन जीवन रक्षक थेरेपी है।
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