रेटिक्युलिन स्टेन क्या है?
रेटिक्युलिन स्टेन हिस्टोपैथोलॉजी लैब में प्रयोग किया जाता है। हिस्टोपैथोलॉजी, ऊतकों का सूक्ष्मदर्शी अध्ययन है जो कि रोग की जांच करने में मदद करता है। इस टेस्ट में शरीर के ऊतकों का सैंपल (बायोप्सी) लेकर उन्हें माइक्रोस्कोप में देखा जाता है। इस टेस्ट में आमतौर पर लिवर के ऊतकों की जांच की जाती है, लेकिन इनमें गुर्दे और प्लीहा (Spleen) के ऊतक भी शामिल होते हैं। इलाज के दौरान जब किसी रोग में ऊतकों के करीबी अध्ययन की जरूरत होती है तो हिस्टोपैथोलॉजिकल स्टेनिंग की जाती है। स्टेनिंग की मदद से परीक्षण किया गया ऊतक, अन्य ऊतकों से अलग दिखने लगता है। साथ ही यह ऊतक में कॉन्ट्रास्ट बढ़ा देता है, जिससे डॉक्टर और अधिक स्पष्ट रूप से इसे देख पाते हैं।
रेटिक्युलिन कोलेजन का एक प्रकार है जो कि भिन्न अंगों की झिल्ली में मिलता है। रेटिक्युलिन फाइबर अंगों में एक जाल की तरह का ढांचा बनाता है और नरम ऊतकों के ढांचे बनाने में मदद करता है। स्टेनिंग के बाद यह जाल जैसा ढांचा माइक्रोस्कोप में काले रंग का दिखाई देता है।
रेटिक्युलिन स्टेन अमोनायकल सिल्वर व फोर्मलिन का बना होता है और इस स्टेनिंग प्रक्रिया को मेटल संसेचन (इम्प्रेग्नेशन) कहा जाता है। सिल्वर धीरे-धीरे ऊतकों से जुड़ता है और फॉर्मलीन रंगों को उभारने के लिए ऊतकों के साथ प्रतिक्रिया करता है, जिससे टिशू अच्छे से दिखाई देते हैं।
जिस टिशू सैंपल की जांच की जानी होती है वह बायोप्सी की प्रक्रिया द्वारा लिया जाता है।
रेटिक्युलिन स्टेनिंग आमतौर पर ट्यूमर का पता लगाने के लिए की जाती है।