केओएच फंगल स्मीयर टेस्ट क्या है?
फंगी सूक्ष्म जीव होते हैं जो वातावरण में हर जगह पाए जाते हैं। ये किसी भी चीज पर उग सकते हैं जैसे दीवार, भोजन, कपड़ा और कागज आदि। यहां तक कि यह हवा में भी पाए जाते हैं। दुनिया भर में करोड़ों फंगल प्रजातियां हैं। हालांकि उनमें से कुछ ही इंसानों में संक्रमण फैलाती हैं। फंगी के संक्रमण अधिकतर त्वचा की ऊपरी परत को ही प्रभावित करते हैं। इनमें निम्न शामिल हैं :
- त्वचा संक्रमण (रिंगवॉर्म या टीनिया)
- नेल इन्फेक्शन (ओनिकोमायकोसिस)
- मुंह में संक्रमण (थ्रश)
- योनि में संक्रमण (वेजाइनल कैंडिडिआसिस या यीस्ट संक्रमण)
फंगी बालों या खोपड़ी पर भी उग सकती है। फंगी किसी भी प्रकार का हो इनसे होने वाला इन्फेक्शन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक आसानी से फैल सकता है।
कुछ दुर्लभ मामलों में इससे गंभीर संक्रमण भी हो सकता है, जिसमें फेफड़े, रक्त, मस्तिष्क या शरीर के अन्य अंग भी प्रभावित हो जाते हैं। हालांकि गंभीर फंगल संक्रमण कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में ही होता है।
केओएच टेस्ट एक सामान्य टेस्ट है जो कि फंगल संक्रमण का परीक्षण करने के लिए किया जाता है। केओएच का मतलब यहां पोटेशियम हाइड्रोक्साइड है। जब केओएच को किसी भी ऊतक (त्वचा, बाल या नाखून) के सैंपल के साथ मिलाया जाता है तो वे नॉन फंगल कोशिकाओं को घोलता है और फंगल कोशिकाओं को छोड़ देता है।
इसके बाद सैंपल में फंगी के तत्वों की उपस्थिति और पहचान के लिए इसकी माइक्रोस्कोप से जांच की जाती है। इसके साथ ही यह सही ट्रीटमेंट का पता लगाने में भी मदद करता है।