इन्सुलिन टेस्ट खून में इन्सुलिन के स्तर को मापता है। इन्सुलिन (Insulin) एक प्रकार का हार्मोन होता है, जो अग्न्याशय (Pancreas) द्वारा जारी किया जाता है। ग्लूकोज़ (शुगर) का संचार करने के लिए इंसुलिन काफी महत्वपूर्ण होता है। ग्लूकोज़ कोशिकाओं के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत होता है। जैसे ही शुगर का स्तर बढ़ता है, इन्सुलिन का उत्पादन भी बढ़ने लगता है। यह ग्लूकोज के उपयोग को नियंत्रित करता है, यह प्रोटीन संश्लेषण (Protein Synthesis) और ट्राइग्लिसराइड स्टोरेज (Triglyceride storage) में भी शामिल है।

(और पढ़ें - शुगर का इलाज)

इंसुलिन का उत्पादन करने वाली अग्न्याशय कोशिकाएं नष्ट होने के कारण इंसुलिन की कमी हो जाती है और कमी के कारण टाइप 1 डायबिटीज (इंसुलिन पर निर्भर डायबिटीज) हो जाता है। टाइप 2 डायबिटीज (जो इन्सुलिन पर निर्भर नहीं होता) इन्सुलिन के काम में प्रतिरोध (Insulin Resistance) के कारण होता है। (और पढ़ें - शुगर का आयुर्वेदिक इलाज)

अग्नाशय के सेल ट्यूमर (Insulinoma) होने से भी रोगियों में इंसुलिन का स्तर बढ़ सकता है।

(और पढ़ें - अग्नाशयशोथ के उपचार)

  1. इन्सुलिन टेस्ट क्या होता है? - What is Insulin Test in Hindi?
  2. इन्सुलिन टेस्ट क्यों किया जाता है - What is the purpose of Insulin Test in Hindi
  3. इन्सुलिन टेस्ट से पहले - Before Insulin Test in Hindi
  4. इन्सुलिन टेस्ट के दौरान - During Insulin Test in Hindi
  5. इन्सुलिन टेस्ट के बाद - After Insulin Test in Hindi
  6. इन्सुलिन टेस्ट के क्या जोखिम होते हैं - What are the risks of Insulin Test in Hindi
  7. इन्सुलिन टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - Insulin Test Result and Normal Range in Hindi
  8. इन्सुलिन टेस्ट कब करवाना चाहिए - When to get tested with Insulin Test in Hindi

इन्सुलिन टेस्ट क्या होता है?

इन्सुलिन शरीर में कई रूपों में पाया जाता है। यह टेस्ट शरीर में टोटल और फ्री (Total and Free) नाम के दो इन्सुलिन के स्तर को मापता है। टोटल इन्सुलिन (Bound insulin) अन्य प्रोटीन से जुड़ा होता है। यह अक्सर उन डायबिटीज के मरीजों में पाया जाता है, जिनका इन्सुलिन के साथ उपचार किया जा रहा हो। फ्री इन्सुलिन अन्य प्रोटीन से नहीं जुड़ा होता। टोटल इन्सुलिन में दोनों प्रकार के इन्सुलिन का माप होता है।

(और पढ़ें - शुगर कम करने के घरेलू उपाय)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Madhurodh Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को डायबिटीज के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Sugar Tablet
₹899  ₹999  10% छूट
खरीदें

इन्सुलिन टेस्ट किसलिए किया जाता है?

यह टेस्ट इन्सुलिन की मात्रा को मापता है। इन्सुलिन एक हार्मोन होता है जो कोशिकाओं में ग्लूकोज को ले जाता है। अगर आपको डायबिटीज है तो आपके हैल्थ डॉक्टर आपके इन्सुलिन उत्पादन पर नजर रखने के लिए इन्सुलिन टेस्ट का उपयोग करते हैं। कभी-कभी जब यह संदेह होता है कि आपमें इन्सुलिन प्रतिरोध है तो भी इन्सुलिन टेस्ट किया जा सकता है।

(और पढ़ें - ब्लड शुगर टेस्ट क्या है)

अगर किसी व्यक्ति में इन्सुलिन प्रतिरोध होता है या होने का संदेह होता है, तब भी इन्सुलिन टेस्ट किया जाता है। इनमें निम्न समस्या वाले लोग शामिल होते हैं:

(और पढ़ें - शुगर में क्या खाना चाहिए)

अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए शरीर को इन्सुलिन और ग्लूकोज को संतुलन में रखना पड़ता है। इन्सुलिन अत्याधिक कम होने से खून में शुगर का स्तर सामान्य से अधिक (Hyperglycemia) हो जाता है और कोशिकाओं को जिस उर्जा की जरूरत होती है व नहीं मिल पाती। इन्सुलिन अधिक होने पर खून में शुगर की मात्रा कम (Hypoglycemia) हो जाती है, जिसके निम्न लक्षण हो सकते हैं:-

इन्सुलिन प्रतिरोध, मोटापा बढ़ना, हाई ट्राइग्लिसराइड्स, और हाई बीपी आदि के जोखिमों को बढ़ा देती है।

(और पढ़ें - मोटापा घटाने के उपाय)

इन्सुलिन टेस्ट से पहले क्या किया जाता है?

टेस्ट करने के लिए मरीज को 8 घंटे पहले तक कुछ भी खाने को मना किया जा सकता है, लेकिन कभी-कभी डॉक्टर, मरीज के खाना-पीना छोड़े बिना ही टेस्ट कर देते हैं। उदाहरण के लिए ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट। कुछ मामलों में डॉक्टर मरीज को लंबे समय तक खाना पीना छोड़ने का अनुरोध कर सकते हैं। अगर आप किसी प्रकार की दवा, हर्बल दवा या सप्लीमेंट आदि ले रहे हैं तो टेस्ट होने से पहले डॉक्टर को इस बारे में बता दें।

(और पढ़ें - ब्लड टेस्ट क्या है)

इन्सुलिन टेस्ट के दौरान क्या किया जाता है?

टेस्ट की प्रक्रिया के दौरान एक डॉक्टर या नर्स एक छोटी सुई की माध्यम से मरीज की नस से खून का सेंपल निकालते हैं। सबसे पहले बाजू के उपरी हिस्से पर पट्टी या इल्साटिक बैंड लपेट दिया जाता है, जिससे नसों में खून का बहाव बंद हो जाता है और नसें फूल कर स्पष्ट दिखने लग जाती हैं। उसके बाद जहां सुई लगानी होती है, उस जगह को एंटीसेप्टिक द्वारा साफ किया जाता है और फिर सुई लगा दी जाती है। सुई लगने के दौरान आपको हल्की सी चुभन या दर्द महसूस हो सकता है। खून के सेंपल को सुई से जुड़े सीरिंज, शीशी या ट्यूब में इकट्ठा किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में कुछ ही मिनट का समय लगता है।

(और पढ़ें - एचबीए1सी टेस्ट क्यों कराया जाता है)

Karela Jamun Juice
₹439  ₹549  20% छूट
खरीदें

इन्सुलिन टेस्ट के बाद क्या किया जाता है?

टेस्ट के लिए सेंपल लेने के बाद मरीज को जहां सुई लगाई गई थी, वहां पर रूई का टुकड़ा या बैंडेज लगा दी जाती है ताकि खून को बहने से रोका जाए। खून निकाले जाने के कारण आपको कुछ देर के लिए हल्का दर्द या चुभन महसूस हो सकती है और हल्का सा नीला निशान भी पड़ सकता है। टेस्क होने के बाद आपको हल्के चक्कर या सिर घूमने जैसा महसूस हो सकता है और थोड़ा बहुत खून भी बह सकता है।

(और पढ़ें - बिलीरुबिन टेस्ट क्या है)

इन्सुलिन टेस्ट में क्या जोखिम हो सकते हैं?

हालांकि इस टेस्ट में होने वाले जोखिम मामूली होते हैं। यह काफी संभव है कि नीचे दी गई जटिलताओं में से एक या एक साथ अधिक महसूस हो सकती हैं:

जब त्वचा में सुई लगाई जाती है, तब हल्का व मामूली दर्द अवश्य होता है। किसी को सुई के पंक्चर की जगह पर हल्की फड़क (Throbbing) महसूस हो सकती है। लेकिन कुछ ही मिनट में यह दर्द ख़त्म हो जाता है।

(और पढ़ें - कोलेस्ट्रॉल टेस्ट क्या है)

इन्सुलिन टेस्ट का रिजल्ट और नॉर्मल रेंज

टेस्ट का रिजल्ट आपकी उम्र, लिंग, पिछले स्वास्थ्य और टेस्ट की विधि पर निर्भर करता है। टेस्ट के रिजल्ट का मतलब हर बार यह नहीं होता कि आप किसी समस्या से पीड़ित है, रिजल्ट का मतलब जानने के लिए डॉक्टर से बात करें।

इसका रिजल्ट माइक्रोयूनिट्स प्रति मिलिलीटर (mcU/mL) में दिया जाता हैं, फ्री इन्सुलिन की नॉर्मल वैल्यू 17 एमसीयू/एमएल (mcU/mL) से कम होता है। अगर आपको कोई ऐसी समस्या है, जो आपके लाल रक्त कोशिकाओं को क्षति पहुंचाती है तो आपको एक नकली रिजल्ट मिल सकता है।

(और पढ़ें - विटामिन बी12 टेस्ट क्या है)

निम्नलिखित संदर्भों में इंसुलिन के स्तर का मूल्यांकन किया जाना चाहिए:

  • अगर इन्सुलिन और ग्लूकोज स्तर सामान्य है, तो शरीर के सभी ग्लूकोज नियमन प्रणाली के सामान्य रूप से काम करने की संभावना होती है।
  • अगर इन्सुलिन का स्तर बढ़ जाता है और ग्लूकोज का स्तर सामान्य रहता है या थोड़ा बहुत ही बढ़ पाता है, तो इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है, जैसे कि टाइप 2 डायबिटीज। (और पढ़ें - डायबिटीज में परहेज)
  • अगर इन्सुलिन का स्तर कम औऱ ग्लूकोज का ज्यादा हो तो ज्यादातर संभावना होती है कि शरीर द्वारा पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन का निर्माण नहीं किया जा रहा, जैसा की डायबिटीज टाइप 1 में होता है।
  • अगर इन्सुलिन का स्तर सामान्य या अधिक है और ग्लूकोज का स्तर कम हो तो इन्सुलिन की अधिकता के कारण मरीज को हाइपोग्लिसीमिक सकता है। जैसे कि अग्नाश्य में ट्यूमर बनना जो इन्सुलिन का निर्माण करने लगता है, इस स्थिति को इन्सुलिनोमा (Insulinoma) भी कहा जाता है।
  • अगर शरीर में इन्सुलिन का स्तर बहुत अधिक है तो इसका मतलब है कि आप दवाओं के माध्यम से बहुत अधिक इन्सुलिन ले रहे हैं। इसका मतलब यह भी हो सकता है कि आपको 'इन्सुलिनोमा' हुआ है, जो अधिक मात्रा में इन्सुलिन निर्माण कर रहा है। अगर आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली इन्सुलिन के प्रति एंटीबॉडीज बनाने लग जाए, तो इसका स्तर कम या ज्यादा भी हो सकता है।

(और पढ़ें - डायबिटीज डाइट चार्ट)

इन्सुलिन टेस्ट कब करवाना चाहिए?

अगर आपको डायबिटीज के लक्षण महसूस हो रहे हैं तो आपको इन्सुलिन टेस्ट करवा लेना चाहिए, डायबिटीज के मुख्य लक्षणों में निम्न शामिल है:

 (और पढ़ें - गर्भावस्था में शुगर)

 (और पढ़ें - गर्भावस्था में बार बार पेशाब आने के कारण)

अगर कोई लक्षण स्पष्ट महसूस नहीं हो रहे कि आपमें इन्सुलिन प्रतिरोध है, प्रीडायबिटीज या डायबिटीज है, तो इसका पता आमतौर पर खून के सेंपल से ही किया जाता है।

 (और पढ़ें - मधुमेह से जुड़ी कुछ गलत धारणा)

संदर्भ

  1. Rudy Bilous, Richard Donnelly. Handbook of Diabetes. Normal physiology of insulin secretion and action. 4th Edition. 2010 pp 22-34.
  2. Ndisang JF, Vannacci A, Rastogi S. Insulin Resistance, Type 1 and Type 2 Diabetes, and Related Complications 2017. J Diabetes Res. 2017;2017:1478294
  3. American Diabetes Association [internet]; Hypoglycemia (Low Blood Glucose)
  4. National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases [internet]: US Department of Health and Human Services; Low Blood Glucose (Hypoglycemia)
  5. National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases [internet]: US Department of Health and Human Services; Insulin Resistance & Prediabetes
  6. Okabayashi T, Shima Y, Sumiyoshi T, et al. Diagnosis and management of insulinoma. World J Gastroenterol. 2013;19(6):829-837.
  7. Wilson DD. McGraw-Hill’s Manual of Laboratory & Diagnostic Tests. Insulin (Insulin Assay, Serum Insulin). 2008 pp 337-338.
  8. Fischbach FT. A Manual of Laboratory and Diagnostic Tests. Chapter on Diabetes Testing – Insulin. 7th Edition. 2003.
  9. Ferri FF. Ferri’s Best Test- A Practical Guide to Clinical Laboratory Medicine and Diagnostic Imaging. Insulin, free. 4th edition. 2019 pp 190.
ऐप पर पढ़ें
cross
डॉक्टर से अपना सवाल पूछें और 10 मिनट में जवाब पाएँ