ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट एक तरह की मेडिकल जांच है। इस टेस्ट से यह पता किया जाता है कि आपके खून में ग्लूकोज कितनी तेजी से पहुंच रहा है। इस टेस्ट का इस्तेमाल आमतौर पर डायबिटीज, इन्सुलीन रजिस्टेंस, बीटा कोशिकाओं के कार्य में रुकावट और कई बार रिएक्टिव हाइपोग्लाइसेमिया व एक्रोमेगली या कार्बोहाइड्रेट मेटाबोलिज्म जैसे दुर्लभ विकार की जांच करने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट का सबसे सामान्य और जाना-माना वर्जन ओरल ग्लूकोज टोलेरेंस टेस्ट (ओजीटीटी) बताया जाता है। इस टेस्ट से यह पता किया जाता है कि खाने के बाद हमारे शरीर में भोजन के ग्लूकोज का कितने प्रतिशत हिस्सा ब्लड तक पहुंचता है।
(और पढ़ें - इन्सुलिन टेस्ट क्या है)
इस टेस्ट के लिए सबसे पहले आपको एक निश्चित मात्रा में ग्लूकोज खाने को दिया जाता है। उसके 2 घंटे बाद शरीर में ग्लूकोज की मात्रा की जांच की जाती है। कुछ टेस्ट में यह यह अंतराल 3 घंटे का रखा जाता है और खिलाए गए ग्लूकोज की मात्रा में भी बदलाव कर देते हैं। इन्हें क्रमश: 2 ऑवर ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट और 3 ऑवर ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट कहते हैं। जीटीटी के कई सालों तक अलग-अलग उद्देश्यों के लिए अलग अलग रूप तैयार किए जाते रहे हैं। ग्लूकोज की अलग-अलग मात्रा, अलग-अलग अंतराल के साथ अलग-अलग प्रयोजनों से इन टेस्ट का उपयोग करके खून में ब्लड ग्लूकोज के साथ अलग-अलग तत्वों की जांच भी की जाती है।
(और पढ़ें - मेटाबॉलिज्म क्या है)