डायबिटीज और प्रीडायबिटीज की जांच के लिए ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट करवाया जाता है। वृद्धों, युवा, ओवरवेट और परिवार में किसी को डायबिटीज होने या ना होने पर मधुमेह का पता लगाने के लिए इस टेस्ट की सलाह दी जाती है।
गर्भवती महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज की जांच के लिए भी जीसीटी की सलाह दी जाती है। गर्भावस्था के दौरान महिला को होने वाली डायबिटीज को जेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है एवं इसका असर मां और शिशु दोनों पर पड़ता है। जीसीटी से पता चलता है कि शरीर में ग्लूकोज किस तरह से बन रहा है। महिलाओं में जीसीटी का रिजल्ट असामान्य आने पर मधुमेह की बीमारी की जांच के लिए ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट करवाने की जरूरत पड़ती है।
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के शुरुआती चरण में जीसीटी करवाना जरूरी होता है। आमतौर पर ये टेस्ट प्रेगनेंसी के 24वें सप्ताह से गर्भावस्था के 28वें सप्ताह में करवाने की सलाह दी जाती है। मधुमेह की समय पर जांच और उचित नियंत्रण से गर्भवती महिला और उसके शिशु दोनों को सुरक्षित रखा जा सकता है।
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