क्या आपके डॉक्टर ने आपको कभी EMG नामक कोई जांच करवाने का आदेश दिया है? यदि ऐसा हुआ है तो आप जरूर जानते होंगे कि इलेक्ट्रोमायोग्राफी (EMG) यानी ईएमजी मांसपेशियों के स्वास्थ्य की स्थिति और उन्हें नियंत्रित करने वाली तंत्रिका कोशिकाओं का मूल्यांकन करने की एक जांच प्रक्रिया है। इन तंत्रिका कोशिकाओं को मोटर न्यूरॉन्स के रूप में जाना जाता है। ये तंत्रिका कोशिकाएं विद्युत संकेतों को संचारित करती हैं, जिनसे मांसपेशियों में संकुचन तथा सामान्य स्थिति बहाल होती है। ईएमजी टेस्ट इन संकेतों को ग्राफ या संख्याओं में बदलता है, जिससे डॉक्टरों को रोग का पता करने में मदद मिलती है।
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डॉक्टर आमतौर पर ईएमजी टेस्ट करवाने के लिए तब कहते हैं, जब किसी व्यक्ति में मांसपेशी या तंत्रिका विकार के लक्षण दिख रहे हो। मांसपेशी या तंत्रिका विकार के कारण अंगों में झुनझुनी, सुन्नता या कमजोरी जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं। ईएमजी टेस्ट के परिणाम डॉक्टर को मांसपेशियों के विकारों, तंत्रिका विकारों तथा नसों और मांसपेशियों के बीच संबंध को प्रभावित करने वाले विकारों का निदान करने में मदद कर सकते हैं। कुछ डॉक्टर इलेक्ट्रोमायोग्राफी को इलेक्ट्रोडायग्नॉस्टिक एग्जाम भी कहते हैं।
इस लेख में ईएमजी टेस्ट क्या है, कब किया जाता है, ईएमजी टेस्ट के पहले, दौरान और बाद में क्या होता है और ईएमजी टेस्ट के परिणामों को कैसे समझे इसके बारे में विस्तार से बताया गया है।
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