सिस्टीसरकोसिस एक परजीवी संक्रमण है जो कि पोर्क टेपवर्म- टीनिया सोलियम के लार्वा (सिस्टेरिकी) से फैलता है।
सिस्टीसरकोसिस एंटीबॉडी टेस्ट किसी व्यक्ति के शरीर में सिस्टीसरकोसिस के विरोध में बने एंटीबॉडी की जांच करने के लिए किया जाता है। यह टेस्ट मुख्य रूप से सिस्टीसरकोसिस का परीक्षण करने के लिए किया जाता है। एंटीबॉडीज वे सुरक्षा प्रोटीन हैं, जो कि शरीर द्वारा बाहरी जीवों से लड़ने के लिए बनाए जाते हैं। हमारे शरीर में टीनिया सोलियम के प्रति बहुत सारे एंटीबॉडी बनते हैं। यह टेस्ट केवल एक विशेष एंटीबॉडी की जांच करता है, जिसे आईजीजी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आईजीजी एंटीबॉडीज पोर्क टेपवर्म के परीक्षण की सबसे सटीक जानकारी देता है।
हालांकि, सिस्टीसरकोसिस दुनियाभर में लोगों को होता है, लेकिन यह सबसे ज्यादा उन जगहों के लोगों को होता है, जहां सूअर खुले में घूमते हैं और जहां की सफाई व्यवस्था कमजोर होती है।
सिस्टीसरकोसिस तब होता है, जब कोई व्यक्ति गलती से टेप वार्म के अंडे निगल जाता है। ये अंडे संक्रमित व्यक्ति के मल से निकलते हैं और यह संक्रमित भोजन, जल या संक्रमित सतहों से फैल सकता है। कोई व्यक्ति जब किसी संक्रमित पदार्थ को खाता है या फिर संक्रमित उंगलियां मुंह में रख लेता है तो उसके शरीर में अंडे चले जाते हैं।
जब एक बार अंडे शरीर में चले जाते हैं तो वे आंत में लार्वा बनाने के लिए फूट जाते हैं, जो कि आंत की दीवार में घुसकर रक्त के द्वारा मांसपेशियों, हृदय, लिवर और अन्य ऊतकों तक पहुंच जाते हैं जहां वे सिस्ट बनाने लगते हैं। सिस्ट आंखों और त्वचा पर बन सकते हैं। गंभीर मामलों में सिस्ट मस्तिष्क में भी बन सकते हैं और गंभीर न्यूरोलॉजिकल लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इसे न्यूरोसिस्टिकेरोसिस कहा जाता है।