सीआरपी यानी सी-रिएक्टिव प्रोटीन शरीर में इन्फ्लमेशन को इंगित करता है। इन्फ्लमेशन इम्यून सिस्टम की किसी बाहरी उत्तेजक के प्रति प्राकृतिक प्रतिक्रिया होती है। इसके सामान्य लक्षण होते हैं सूजन, जलन आदि। अगर शरीर में किसी प्रकार की इन्फ्लमेशन हो गई है, तो खून में सीआरपी का स्तर बढ़ जाता है।

संक्रमण या अन्य मेडिकल समस्याओं की जांच करने के लिए डॉक्टर आपके सी-रिएक्टिव प्रोटीन के स्तर की जांच कर सकते हैं। सीआरपी टेस्ट नैदानिक टेस्ट तो नहीं होता, लेकिन यह जांचकर्ताओं को ये जानकारी दे देता है कि मरीज के शरीर में इन्फ्लमेशन है या नहीं।

इस टेस्ट से मिली जानकारी का उपयोग मरीज के लक्षण व संकेत, शारीरिक परीक्षण व अन्य टेस्ट के रिजल्ट के साथ किया जाता है। इसके बाद डॉक्टर आगे के अन्य टेस्ट कर सकते हैं।

(और पढ़ें - कोरोना के लिए टेस्ट)

तो आइये जानते हैं विस्तार से कि सीआरपी टेस्ट कब, क्यों, कैसे किया जाता है, इसके परिणाम की नार्मल रेंज और crp कितना होना चाहिए।

  1. सीआरपी ब्लड टेस्ट क्या होता है? - What is CRP Blood Test in Hindi?
  2. सीआरपी ब्लड टेस्ट क्यों किया जाता है - What is the purpose of CRP Blood Test in Hindi
  3. सीआरपी परीक्षण से पहले - Before CRP Blood Test in Hindi
  4. सीआरपी ब्लड टेस्ट के दौरान - During CRP Blood Test in Hindi
  5. सीआरपी परीक्षण के बाद - After CRP Blood Test in Hindi
  6. सीआरपी ब्लड टेस्ट के क्या जोखिम होते हैं - What are the risks of CRP Blood Test in Hindi
  7. सीआरपी टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - CRP Blood Test Result and Normal Range in Hindi
  8. सीआरपी ब्लड टेस्ट कब करवाना चाहिए - When to get tested with CRP Blood Test in Hindi
सीआरपी ब्लड टेस्ट के डॉक्टर

सीआरपी परीक्षण क्या होता है?

सी रिएक्टिव प्रोटीन एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जो लिवर द्वारा बनाया जाता है। शरीर में किसी ऊतक को चोट लगने, इन्फेक्शन होने या अन्य किसी कारण से इन्फ्लमेशन होने के कुछ घंटे बाद ही यह खून में जारी हो जाता है।

यह टेस्ट खून में सीआरपी के स्तर को मापता है, जो इन्फ्लमेशन संबंधी किसी नयी बीमारी का पता लगाने या लम्बे समय से चली आ रही किसी बीमारी पर नज़र रखने के लिए बहुत ही उपयोगी होता है।

हार्ट अटैक या आघात के बाद, अनियंत्रित स्व-प्रतिरक्षित विकार होने पर, या सेप्सिस जैसे किसी गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण आदि जैसी समस्याओं के दौरान सीआरपी का स्तर काफी बढ़ जाता है।

इन्फ्लमेशन संबंधी समस्या होने पर सीआरपी का स्तर हजार गुना तक बढ़ सकता है, खून में इसका स्तर दर्दबुखार व अन्य क्लीनिकल संकेत दिखने से पहले ही बढ़ जाता है।

 
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सीआरपी परिक्षण क्यों किया जाता है?

मरीजों में इन्फ्लमेशन संबंधी रोगों की जांच करने के लिए अक्सर सीआरपी टेस्ट किया जाता है, जैसे कुछ प्रकार के गठिया, स्व-प्रतिरक्षित विकार या इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (इन्फ्लमेशन संबंधी आंत्र रोग)। इस टेस्ट की मदद से यह देखा जाता है कि इन्फ्लमेशन कितनी है और उसके उपचार की सफलता पर नजर रखने के लिए भी यह टेस्ट किया जाता है।

सीआरपी टेस्ट का उपयोग सर्जरी व सर्जरी के बाद मरीज पर नजर रखने के लिए भी किया जाता है ताकि ठीक होने के समय के दौरान मरीज में संक्रमण आदि पर नजर रखी जा सके।

सीआरपी परीक्षण कुछ विशेष बीमारियों का निदान करने के लिए पर्याप्त नहीं होता हैं। बल्कि सीआरपी संक्रमण व अन्य इन्फ्लमेशन संबंधी समस्याओं का संकेत देता है, जो डॉक्टरों को अन्य जरूरी टेस्ट व उपचार करने का एक पुख्ता चिन्ह होता है।

सीआरपी ब्लड टेस्ट से पहले क्या किया जाता है?

सीआरपी परीक्षण के लिए आपके खून का सैम्पल लिया जाता है, तो टेस्ट से पहले आपको कुछ समय के लिए खाने-पीने से परहेज करना तथा डॉक्टर द्वारा दिए गए अन्य अनुदेशों का पालन करना पड़ सकता है।

अगर आप किसी भी प्रकार की दवा या हर्बल उत्पाद का सेवन कर रहे हैं तो टेस्ट होने से पहले ही डॉक्टर को इस बारे में बता दें। अगर आपको एक ही समय में कई टेस्ट करवाने की जरूरत है, तो इस बारे में भी डॉक्टर से अवश्य बात करें।

 

सीआरपी परिक्षण के दौरान क्या किया जाता है?

सीआरपी टेस्ट के दौरान डॉक्टर टेस्टिंग के लिए खून का सैम्पल निकालते हैं, सैम्पल अक्सर कोहनी के अंदरूनी तरफ या हाथ के पीछे से निकाला जाता है।

सबसे पहले जिस नस से खून निकालना है, उसको एंटीसेप्टिक द्वारा साफ किया जाता है। उसके बाद बाजू के ऊपरी हिस्से पर पट्टी या इलास्टिक बैंड लगा दिया जाता है, जिससे नसों में खून बंद हो जाता है और नसें उभरने लगती हैं। उसके बाद डॉक्टर या नर्स उस नस में इंजेक्शन लगाते हैं और खून का सैम्पल निकाल लेते हैं, सैम्पल को सुई से जुड़े सिरिंज या शीशी में जमा कर लिया जाता है।

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सीआरपी ब्लड टेस्ट के बाद क्या किया जाता है?

टेस्ट के बाद सुई की जगह पर हल्की चुभन सी महसूस हो सकती है और उस जगह पर नीला निशान भी पड़ सकता है, जो जल्द ही ठीक हो जाता है। जब सुई नस में डाली जाती है और खून निकाला जाता है उस दौरान कुछ लोगों को थोड़ा दर्द भी महसूस होता है। निशान पड़ने से रोकने के लिए सुई निकालते ही उस जगह को हल्के दबाव के साथ कुछ मिनटों के लिए मसल लेना चाहिए।

उसके बाद खून के सैम्पल को लेबोरेटरी में टेस्टिंग के लिए भेज दिया जाता है। टेस्ट के रिजल्ट आने पर डॉक्टर मरीज को बुलाकर रिजल्ट पर उसके साथ चर्चा करते हैं।

सीआरपी ब्लड टेस्ट के क्या जोखिम होते हैं?

सीआरपी टेस्ट के लिए जब खून का सैम्पल निकाला जाता है, तो सुई की जगह पर दर्द, सूजन व निशान आदि बन सकता है। यह कुछ समय बाद ठीक हो जाता है।

सीआरपी परीक्षण आमतौर पर किया जाने वाला एक नियमित टेस्ट होता है, जिसमें जोखिम बहुत ही कम होते हैं। लेकिन खून का सैम्पल लेने से जुड़ी कुछ हल्की जटिलताएं हो सकती हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • अत्याधिक खून बहना
  • चक्कर आना या सिर घूमना
  • निशान पड़ना
  • सुई के छेद में संक्रमण होना
 

सी रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) परीक्षण के परिणाम और नार्मल रेंज

सी रिएक्टिव प्रोटीन को प्रति लीटर खून में मिलीग्राम (mg/L) सीआरपी के माप से मापा जाता है। सामान्य रूप से सीआरपी का स्तर अधिक होने की तुलना में कम होना बेहतर रहता है, क्योंकि यह शरीर में कम इन्फ्लमेशन का संकेत देता है।

सामान्य परिणाम

स्वस्थ व्यक्तियों में सीआरपी की मात्रा कम या न के बराबर होती है। सीरम में सीआरपी का सामान्य स्तर 0-6 मिलीग्राम प्रति लीटर है। यह मात्रा संकेत है ​कि व्यक्ति को किसी प्रकार के गंभीर संक्रमण या इन्फ्लमेशन की समस्या नहीं है। हालांकि, एचएस-सीआरपी परीक्षण में 3 मिलीग्राम प्रति लीटर की मात्रा को भी हृदय रोग का संकेत माना जाता है।

असामान्य परिणाम

सीआरपी की उच्च सांद्रता (हाई कॉन्संट्रेशन) 4 मि.ग्रा. प्रति लीटर से लेकर 100 मि.ग्राम. प्रतिलीटर की मात्रा कई प्रकार की स्थितियों जैसे एसएलई, आरए, वायरल संक्रमण, ट्यूमर और मायलोमा आदि का संकेत हो सकता है।

  • 100 से 200 मिलीग्राम के बीच की मॉडरेट कॉन्संट्रेशन, स​क्रिय आरए, पोलिमायलजिया, लिम्फोमा और बैक्टीरियल संक्रमण का संकेत ​हो सकता है।
  • सीआरपी की 200 मिलीग्राम से अधिक की हाई कॉन्संट्रेशन की मात्रा बैक्टीरियल सेप्सिस और एक्यूट वैस्कुलाइटिस का संकेत हो सकता है।
  • 400 एमजी/लीटर से अधिक कॉन्संट्रेशन का मतलब उत्तकों के अंदर फोड़ा होने का संकेत है और ऐसे में मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।

एचएस-सीआरपी हृदय रोगों का एक इंडिपेंडेंट मार्कर है। एचएस-सीआरपी मार्कर के लिए, रोगियों को उनके एचएस-सीआरपी स्तर के आधार पर विभिन्न समूहों में बांटा जाता है।

  • कम-जोखिम वाला समूह : 1 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम की मात्रा
  • मॉडरेट जोखिम वाला समूह : 1 से 3 मिलीग्राम प्रति लीटर
  • उच्च जोखिम वाला समूह : 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक की मात्रा वाले

सीआरपी कॉन्संट्रेशन न केवल कुछ बीमारियों के संकेतक हैं, बल्कि इनका उपयोग कुछ लक्षणों के बीच अंतर करने के लिए भी किया जाता सकता है। सीआरपी स्तर का निर्धारण निम्नलिखित स्थितियों का पता लगाने में भी मदद कर सकता है -

  • क्रोनिक और सिम्टमेटिक इंफ्लामेशन का पता लगाने में
  • बैक्टीरियल संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक उपचार की निगरानी में
  • एसएलई या अल्सरेटिव कोलाइटिस के कारण होने वाले संक्रमणों का पता लगाने में
  • रूमेटिक स्थितियों का आकलन करने और इंफ्लामेटरी स्थितियों के लिए उपचार के तौर-तरीकों के निर्धारण के लिए
  • संक्रमण जैसी बाद की जटिलताओं का पता लगाने में
  • एचएस-सीआरपी के माध्यम से हृदय रोगों के जोखिम का पता लगाने में
  • ट्यूमर का अनुमान लगाने में

10 मिलीग्राम प्रति लीटर के स्तर को विशेष रूप से उच्च माना जाता है, जो निम्न स्थितियों के संकेत दे सकता है:

सीआरपी का स्तर निम्न कारणों से गिरता है -

यह नोट कर लें कि अगर आप गर्भनिरोधक गोलियां लेती हैं, तो सीआरपी का स्तर बढ़ सकता है। गर्भावस्था में सीआरपी का स्तर बढ़ना एक जटिलता का संकेत दे सकता है, लेकिन सीआरपी और गर्भावस्था की भूमिका को पूरी तरह से समझने के लिए अधिक अध्ययन आवश्यक है।

यदि आप गर्भवती हैं या आपको कोई अन्य दीर्घकालिक जलन व इन्फ्लमेशन संबंधी समस्या है, तो सीआरपी टेस्ट द्वारा आपके लिए ह्रदय रोग के जोखिम का सटीक रूप से आकलन कर पाने की संभावना कम होती है। अगर आप किसी भी प्रकार की दवा लेते हैं, तो सीआरपी टेस्ट से पहले उनके बारे में डॉक्टर से बात करें, क्योंकि कुछ प्रकार की दवाएं सीआरपी टेस्ट के रिजल्ट को प्रभावित कर सकती हैं। कुछ ऐसे परीक्षण भी हैं, जो सीआरपी की जगह पर किए जा सकते हैं। इसलिए आप सीआरपी ब्लड टेस्ट को पूरी तरह से छोड़ भी सकते हैं।

यह याद रखें कि यह टेस्ट हृदय संबंधी रोगों के जोखिमों की पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं करवा पाता। यह निर्धारित करते समय कि कौन-सा अनुवर्ती परीक्षण आपके लिए सर्वोत्तम है, डॉक्टर आपकी जीवनशैली, पारिवारिक स्वास्थ्य की पिछली जानकारी व अन्य मेडिकल स्थितियों पर विचार करते हैं। डॉक्टर निम्न टेस्टों में से भी किसी का ऑर्डर दे सकते हैं -

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सीआरपी ब्लड टेस्ट कब करवाना चाहिए?

अगर आपको निम्न समस्याएं हो रही हैं तो डॉक्टर सीआरपी टेस्ट करवाने का सुझाव दे सकते हैं -

  • कोई सूजन या जलन संबंधी विकार
  • स्व- प्रतिरक्षित विकार
  • कुछ प्रकार के गठिया
  • सूजन संबंधी आतों के रोग
  • संक्रमण की संभावनाओं की जांच करने के लिए (खासकर सर्जरी के बाद)
Dr. Shubham Satsangi

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संदर्भ

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