क्रिएटिन काइनेज आइसोएंजाइम एमबी (सीके-एमबी) टेस्ट क्या है?

क्रिएटिन काइनेज को क्रिएटिन फास्फोकिनेज (सीपीके) भी कहा जाता है। यह एक एंजाइम है जो मुख्य रूप से हृदय और स्केलेटल मसल में पाया जाता है। स्केलेटल मसल कंकाल तंत्र (हड्डी व अस्थियां) से संबंधित मांसपेशियां होती हैं। यह कुछ मात्रा में मस्तिष्क में भी पाया जाता है। किसी चोट, तनाव या मसल डैमेज (मांसपेशियों में क्षति) के दौरान यह रक्त में स्त्रावित हो जाता है।

आमतौर पर सीके-एमबी टेस्ट मायोकार्डियल इन्फ्रेक्शन या हार्ट अटैक का परीक्षण करने के लिए किया जाता है। सीके-एमबी दो प्रकार में शरीर के अंदर मौजूद होता है। सीके-एमबी 2 कार्डियक कोशिकाओं के द्वारा स्रावित किया जाता है और रक्त में सीके-एमबी 1 में परिवर्तित हो जाता है। कार्डियक के लक्षण दिखने के 6 घंटे के भीतर ही यदि शीघ्र जांच कर ली जाए तो इससे मायोकार्डियल इन्फ्रेक्शन के सही परीक्षण में मदद मिलती है।

टेस्ट के रिजल्ट की पुष्टि मेडिकल परीक्षण और अन्य कार्डियक बायोमार्कर का मूल्यांकन करके की जा सकती है। कार्डियक बायोमार्कर एक निश्चित परीक्षण होता है, जो विशेष रूप से हृदय के कार्यों का मूल्यांकन करता है।

  1. सीके-एमबी टेस्ट क्यों किया जाता है - What is the purpose of CK-MB test in Hindi
  2. सीके-एमबी टेस्ट से पहले - Before CK-MB test in Hindi
  3. सीके-एमबी टेस्ट के दौरान - During CK-MB test in Hindi
  4. सीके-एमबी टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - What does CK-MB test result mean in Hindi?

सीके-एमबी टेस्ट क्यों किया जाता है?

सीके-एमबी, क्रिएटिन काइनेज का एक आइसोएंजाइम है और यह एक आवश्यक कार्डियक मार्कर है। हृदय की चोट, हार्ट अटैक और हृदय से संबंधित अन्य स्थितियों में सीके-एमबी का स्तर बढ़ जाता है। इस दौरान सीके-एमबी के बढ़े हुए स्तर को ब्लड सीरम में देखा जा सकता है। कठोर व्यायाम (ऐसा व्यायाम जिससे शरीर में अधिक तनाव होता है) से भी ये एंजाइम रक्त में स्त्रावित हो जाता है। कभी-कभी मायोकार्डियल इन्फ्रेक्शन में सीके-एमबी 1और सीके-एमबी 2 का अनुपात भी निर्धारित किया जाता है। यह टेस्ट करवाने की सलाह निम्न संकेत व लक्षण दिखने पर दी जाती है क्योंकि ये लक्षण कार्डियक समस्या से जुड़े माने जाते हैं और इन पर तुरंत ध्यान दिया जाना जरूरी होता है:

हालांकि, ऊपर दिए गए लक्षण हार्ट अटैक का संकेत दे सकते हैं। सीके-एमबी टेस्ट इस स्थिति की सिर्फ पुष्टि कर सकता है, जिसमें जितना जल्दी हो सके उचित इलाज शुरु कर देना बहुत जरूरी होता है।

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सीके-एमबी टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट के लिए किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती। डॉक्टर द्वारा मरीज को यह टेस्ट करने का कारण बता देना चाहिए और यह भी बता देना चाहिए की यह टेस्ट बार-बार करना है। इस टेस्ट के लिए भूखे रहना जरूरी नहीं है और यह दिन में किसी भी समय किया जा सकता है। हालांकि, टेस्ट से एक घंटे पहले तक मरीज मांसपेशियों में कोई भी इंजेक्शन नहीं लगवा सकता। यदि मरीज कोई भी दवा ले रहा है या उसके द्वारा कोई अन्य क्रिया की जा रही है तो इसके बारे में डॉक्टर को बता देना चाहिए, क्योंकि ये एंजाइम के स्तर को प्रभावित कर सकते हैं।

सीके-एमबी टेस्ट कैसे किया जाता है?

सीके-एमबी टेस्ट बहुत ही सामान्य टेस्ट है और इसके लिए शरीर में किसी भी तरह का चीरा लगाने की जरूरत नहीं होती। डॉक्टर आपकी बांह की नस में सुई लगाकर लगभग 7 मिली. ब्लड सैंपल ले लेते हैं। सैंपल को ट्यूब में डाला जाएगा और इसके बाद ये परीक्षण के लिए आगे भेज दिया जाएगा। कुछ लोगों को सुई लगने से हल्का सा दर्द हो सकता है। मायोकार्डियल इन्फ्रेक्शन के 4-6 घंटे में सीरम के अंदर सीके-एमबी का स्तर बढ़ने लगता है और 16-30 घंटो में ये स्तर अधिकतम हो जाता है। हालांकि, जितना तेजी से ये स्तर रक्त में बढ़ता है उतनी ही शीघ्रता से कम भी हो जाता है। इसीलिए ये टेस्ट 48 घंटों में दोबारा किया जाना चाहिए।

सीके-एमबी टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?

सामान्य परिणाम:
सीरम में सीके-एमबी आइसोएंजाइम के सामान्य स्तर 3 प्रतिशत से कम होते हैं। सामान्य वैल्यू यह बताती है कि व्यक्ति के हृदय में किसी प्रकार की कोई क्षति नहीं हुई है और ना ही हृदय संबंधी कोई क्रिया इसमें शामिल है। लैब सीके-एमबी1 और सीके-एमबी2 का अनुपात भी देखती हैं। 1.5 IU/L से कम वैल्यू सामान्य मानी जाती है। 

हर लेबोरेटरी के अनुसार उनकी रेफरेंस वैल्यू भी अलग-अलग हो सकती है।

असामान्य परिणाम:
सीरम में सीके-एमबी का 3% से अधिक जमाव असामान्य माना जाता है। सीके-एमबी स्तर की मात्रा मायोकार्डियल नेक्रोसिस के 98 प्रतिशत पॉजिटिव रिजल्ट बताती है। सीके-एमबी के सामान्य से अधिक स्तर निम्न स्थितियों को दिखाते हैं:

यह जरूरी है कि कार्डियक के लक्षण दिखने के 24 घंटों में ही ये टेस्ट कर लिया जाए। यदि टेस्ट तुरंत या जल्दी किया जाता है तो रिजल्ट गलत आ सकते हैं। कभी-कभी सीके-एमबी का स्तर बढ़ जाता है लेकिन कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते, ऐसे मामलों में डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी हो जाता है। यह खेल के दौरान या खेल के बाद खिलाड़ियों में हो सकता है। हाल ही में हुई सर्जरी, कैथीटर लगवाने, अधिक समय तक व्यायाम करने और कुछ विशेष दवाएं लेने से भी सीके-एमबी का स्तर बढ़ सकता है।

हालांकि, कार्डियक के लिए अब विश्व भर में ट्रोपोनिन टेस्ट का उपयोग किया जा रहा है लेकिन सीके-एमबी टेस्ट अब भी कारगर है और सही नतीजे प्रदान कराता है।

संदर्भ

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