एमेनोरिया प्रोफाइल टेस्ट क्या है?

एमेनोरिया प्रोफाइल कई प्रकार के ब्लड टेस्टों का एक समूह है, जिनका उपयोग एमेनोरिया नामक रोग के कारण का पता लगाने के लिए किया जाता है। एमेनोरिया महिलाओं मे होने वाला एक गंभीर रोग है, जिसमें मासिक धर्म होना बंद हो जाता है।

महिलाओं में मासिक धर्म 12 से 14 साल की उम्र में (प्यूबर्टी के साथ) शुरु होता है और 50 से 55 साल की उम्र (रजोनिवृत्ति) में बंद हो जाता है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को मासिक धर्म नहीं आता है। कुछ मामलों में एमेनोरिया किसी अंदरुनी समस्या का संकेत भी दे सकता है।

एमेनोरिया मुख्य रूप से मासिक धर्म से जुड़े अंदरुनी अंगों, ग्रंथियों और हार्मोन आदि में किसी प्रकार के बदलाव के कारण होता है। इसके मुख्य दो प्रकार हैं, प्राइमरी एमेनोरिया और सेकेंड्री एमेनोरिया।

प्राइमरी एमेनोरिया

यह तब होता है जब 16 साल की उम्र तक भी लड़की को मासिक धर्म होना शुरु न हो पाएं, जिसके निम्न कारण हो सकते हैं :

  • प्रजनन अंग ठीक से विकसित न हो पाना
  • पीयूष ग्रंथि (पीट्यूटरी ग्लैंड) और हाइपोथैल्मस (मस्तिष्क का एक विशेष भाग) के द्वारा मासिक धर्म से संबंधित हार्मोन स्रावित न कर पाना।
  • अंडाश्य सामान्य रूप से काम न कर पाना
  • कई मामलों में प्राइमरी एमेनोरिया के सटीक कारण का पता भी नहीं लग पाता है।

सेकेंड्री एमेनोरिया

जब किसी महिला को सामान्य रूप से मासिक धर्म हो रहे हों और फिर अचानक से बंद हो जाएं, तो इस स्थिति को सेकेंड्री एमेनोरिया कहा जाता है। इसके निम्न कारण हो सकते हैं :

हार्मोन बनाने वाली ग्रंथियों से संबंधित समस्याएं जैसे थायराइड ग्रंथि से जुड़ी समस्या, पहले कभी बच्चेदानी का ऑपरेशन हुआ होना

यदि किसी महिला ने अंडाशय या गर्भाशय निकालने की सर्जरी करवाई है, तो भी महिलाओं को मासिक धर्म होना बंद हो सकते हैं।

एमेनोरिया प्रोफाइल टेस्ट करने के लिए खून में निम्न हार्मोन के स्तर की जांच की जाती है :

  • एलएच :
    ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन एक आवश्यक हार्मोन है, जिसे पीटयूटरी ग्रंथि द्वारा स्रावित किया जाता है। पीटयूटरी ग्लैंड मस्तिष्क में मौजूद एक छोटे आकार की ग्रंथि होती है। यह अंडाश्य संबंधी कार्यों को बनाए रखने और मासिक धर्म को शुरु करने में मदद करती है। (और पढ़ें - एलएच टेस्ट क्या है)
     
  • एफएसएच :
    ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन की तरह फोलिक स्टीमुलेटिंग हार्मोन भी पीयूष ग्रंथि द्वारा ही स्रावित किया जाता है। यह हार्मोन अंडाशय में मौजूद अंडों के विकसित होने की प्रक्रिया को शुरु करने और मासिक धर्म के चक्र को बनाए रखने में मदद करता है। मासिक धर्म के दौरान फोलिक स्टीमुलेटिंग हार्मोन के स्तर भिन्न हो सकते हैं। यदि एफएसएच का स्तर अत्यधिक कम या ज्यादा है, तो मासिक धर्म संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं। प्यूबर्टी के दौरान अंडाशय विकसित करने में भी एफएसएच हार्मोन मदद करता है। (और पढ़ें - एफएसएच टेस्ट क्या है)
     
  • प्रोलैक्टिन :
    यह भी पीटयूटरी ग्रंथि द्वारा स्रावित किया जाने वाला एक हार्मोन है। प्रोलैक्टिन हार्मोन स्तनों को विकसित करने और उनमें दूध बनाने का काम करता है। जो महिलाएं गर्भवती नहीं है, उनमें प्रोलैक्टिन हार्मोन मासिक धर्म चक्र को बनाए रखने में मदद करता है। प्रोलैक्टिन हार्मोन का अधिक स्तर एमेनोरिया का कारण बन सकता है। (और पढ़ें - प्रोलैक्टिन टेस्ट क्या है)
     
  • टीएसएच :
    यह भी पीटयूटरी ग्रंथि द्वारा बनाया जाने वाला हार्मोन है, जो थायराइड ग्रंथि को टी3 और टी4 हार्मोन बनाने के लिए उत्तेजित करता है। थायराइड गर्दन में मौजूद तितली के आकार की एक ग्रंथि है। यदि टीएसएच हार्मोन का स्तर बहुत कम या ज्यादा हो गया है, तो यह मासिक धर्म चक्र को प्रभावित कर सकता है। (और पढ़ें - टीएसएच टेस्ट क्या है)

एमेनोरिया प्रोफाइल टेस्ट के साथ प्रेगनेंसी टेस्ट भी किया जा सकता है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि मासिक धर्म बंद होने का कारण गर्भावस्था तो नहीं है।

  1. एमेनोरिया प्रोफाइल टेस्ट क्यों किया जाता है - Why Amenorrhoea Profile test is done in Hindi
  2. एमेनोरिया प्रोफाइल टेस्ट से पहले - Before Amenorrhoea Profile test in Hindi
  3. एमेनोरिया प्रोफाइल टेस्ट के दौरान - During Amenorrhoea Profile test in Hindi
  4. एमेनोरिया प्रोफाइल टेस्ट के रिजल्ट का क्या मतलब है - What does Amenorrhoea Profile test result mean in Hindi

डॉक्टर इस टेस्ट का उपयोग मुख्य रूप से एमेनोरिया का पता लगाने के लिए ही करते हैं। एमेनोरिया के साथ-साथ कुछ अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं, जैसे :

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एमेनोरिया टेस्ट से पहले कोई विशेष तैयारी करने की जरूरत नहीं होती है। हालांकि, यदि आप किसी प्रकार की दवा, हर्बल उत्पाद या सप्लीमेंट आदि ले रहे हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को जरूर बता दें। इसके अलावा यदि आपको कोई रोग है, तो उसके बारे में भी टेस्ट से पहले ही डॉक्टर को जानकारी दे दें।

कुछ दवाएं जैसे ओरल एस्ट्रोजन, हाइपोथायरायडिज्म की दवाएं और मानसिक रोग की दवाएं आदि ले रहे हैं, तो खून में प्रोलैक्टिन का स्तर बढ़ सकता है। इसके अलावा गुर्दे व लिवर रोग भी प्रोलैक्टिन के स्तर को बढ़ा सकते हैं। यदि प्रोलैक्टिन की जांच करने के लिए ब्लड का सैंपल लिया जाना है, तो उसे आमतौर पर सुबह के समय कुछ भी खाने-पीने से पहले ही लिया जाता है।

कुछ दवाएं हैं, जो टीएसएच के स्तर को प्रभावित कर सकती हैं :

  • फेनीटोइन
  • फेनोथायजिन्स
  • डोपामाइन
  • ग्लूकोकोर्टिकोइड्स
  • नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं (NSAIDs)
  • सेलीसिलेट्स
  • फ्यूरोसेमाइड
  • हेपारिन
  • एनोक्सेपारिन
  • बीटा-ब्लॉकर

इसके अलावा यदि आप गर्भ निरोधक दवाएं लेती हैं या फिर आप गर्भवती हैं, तो भी डॉक्टर को बता दें। ऐसा इसलिए क्योंकि इन स्थितियों में भी टेस्ट के रिजल्ट प्रभावित हो सकते हैं।

दिनभर के दौरान टीएसएच के स्तर में बदलाव होते रहते हैं। इसलिए सुबह के समय टेस्ट करवाना बेहतर रहता है।

टेस्ट करवाने से पहले आप आधी बाजू वाली शर्ट या टी शर्ट पहन सकते हैं, ताकि बाजू से खून निकालने में आसानी रहे।

एमेनोरिया प्रोफाइल टेस्ट करने के लिए खून का सैंपल लिया जाता है। खून के सैंपल को आमतौर पर बांह की नस से निकाला जाता है, जिसके लिए निम्न प्रक्रिया अपनाई जाती है :

  • सबसे पहले आपकी बांह के ऊपरी हिस्से पर एक पट्टी बांध दी जाती है, जिससे नसों में खून का बहाव रुक जाता है और नसें फूल कर बड़ी दिखने लगती है।
  • उसके बाद जिस जगह पर सुई लगानी होती है, उसे एंटीसेप्टिक दवा से साफ किया जाता है और सुई लगा दी जाती है।
  • सुई से जुड़ी सिरिंज या ट्यूब में पर्याप्त मात्रा में सैंपल निकाल लिया जाता है और फिर ऊपरी बांह से पट्टी खोलकर सुई को निकाल दिया जाता है। सुई को निकाल कर उस पर रुई का टुकड़ा या फिर बैंडेज लगा दी जाती है, ताकि खून न बहे।
  • सैंपल की टयूब को बंद करके और उस पर आपका नाम, तारीख व समय आदि लिख कर उसे जांच के लिए लैब में भेज दिया जाता है।

सुई लगने के दौरान आपको चुभन सी महसूस हो सकती है, जो कुछ समय बाद ठीक हो जाती है। इसके अलावा इस प्रक्रिया से कुछ अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे :

सामान्य रिजल्ट

टेस्ट के रिजल्ट कुछ स्थितियों के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं :

  • लिंग
  • उम्र
  • स्वास्थ्य संबंधी पिछली स्थिति
  • टेस्ट करने का तरीका

महिलाओं के शरीर में एलएच का सामान्य स्तर मुख्य रूप से मासिक धर्म के चरण पर निर्भर करता है, जो कि निम्न दिए गए हैं :

  • मासिक धर्म का फोलिकुलर चरण - 1.68 ms 15 इंटरनेशनल यूनिट्स प्रति लीटर (IU/L)
  • मध्य अवधि की चरम सीमा - 21.9 - 56.6 इंटरनेशनल यूनिट प्रति लीटर
  • मासिक धर्म का ल्यूटल चरण - 0.61 - 16.3 इंटरनेशनल यूनिट प्रति लीटर
  • रजोनिवृत्ति के बाद - 14.2 - 52.3 इंटरनेशनल यूनिट प्रति लीटर

मासिक धर्म के चरण के अनुसार एफएसएच की सामान्य वैल्यू निम्न हो सकती है :

  • मासिक धर्म का फोलिकुलर चरण - 1.4 - 9.9 इंटरनेशनल यूनिट प्रति मिली लीटर (IU/mL)
  • ओव्यूलेशन संबंधी चरम सीमा - 6.2 - 17.2 इंटरनेशनल यूनिट प्रति मिली लीटर
  • मासिक धर्म का ल्यूटल चरम - 1.1 - 9.2 इंटरनेशनल यूनिट प्रति मिली लीटर
  • रजोनिवृत्ति के बाद - 19 - 100 इंटरनेशनल यूनिट प्रति मिली लीटर

यदि प्रोलैक्टिन का स्तर 20 माइक्रोग्राम प्रति लीटर (µg/L) से कम है, तो उसे सामान्य माना जाता है।

यदि टीएसएच का स्तर 0.5-5 माइक्रोग्राम प्रति लीटर के बीच है, तो इसे भी सामान्य माना जाता है।

असामान्य रिजल्ट

यहां तक कि यदि आपका टेस्ट रिजल्ट सामान्य रेंज से बाहर है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपको एमेनोरिया है। आपके स्वास्थ्य के लिए टेस्ट के रिजल्ट का क्या मतलब है, इस बारे में जानने के लिए डॉक्टर को अपने टेस्ट की रिपोर्ट दिखाएं।

  • यदि आपके टीएसएच का स्तर सामान्य से कम या ज्यादा है, तो डॉक्टर थायराइड फंक्शन टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं और फिर टेस्ट के रिजल्ट के अनुसार स्थिति का इलाज कर सकते हैं।
  • यदि आपके एफएसएच, एलएच और प्रोलैक्टिन का स्तर असामान्य है, तो ऐसी स्थिति में आपको कुछ अन्य टेस्ट करवाने की आवश्यकता पड़ सकती है।
  • एमेनोरिया के कारण का पता लगाने के लिए एमेनोरिया प्रोफाइल टेस्ट के साथ-साथ डॉक्टर कुछ अन्य टेस्ट करवाने की सलाह भी दे सकते हैं, जैसे पेल्विक का अल्ट्रासाउंड और मस्तिष्क का एमआरआई स्कैन आदि।

कुछ स्थितियां हैं, जो एमेनोरिया का कारण बन सकती हैं, जैसे :

  • मुलेरियन एजिनेसिस :
    इस रोग में जन्म से ही शिशु में जननांगों संबंधी असामान्यताएं हो सकती हैं।
     
  • कंप्लीट एंड्रोजन इनसेंसिटिविटी सिंड्रोम :
    इस स्थिति में जननांगों और कांख में या तो बहुत ही कम या फिर बिलकुल ही बाल नहीं होते हैं।
     
  • प्राइमरी ओवेरियन इनसफिशियेंसी :
    इस रोग में फोलिकल की संख्या कम होने लगती है या फिर वे असाधारण रूप से काम करने लगते हैं।
     
  • टर्नर सिंड्रोम :
    इस स्थिति में गर्दन धड़ में धंस जाती है, किनारों से बाल कम होने लगते हैं। इसके अलावा टर्नर सिंड्रोम में हृदय संबंधी समस्याएं भी होने लगती हैं।
     
  • फंक्शनल हाइपोथैल्मिक एमेनोरिया :
    यह पर्याप्त मात्रा में कैलोरी न मिल पाने संबंधी समस्या है, जो भोजन विकार, एमेनोरिया या ऑस्टियोपोरोसिस के साथ या उनके बिना भी हो सकती है।
     
  • पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम :
    पीसीओएस हार्मोन संबंधी विकार है, जिसमें अंडाशय का आकार बढ़ जाता है।
     
  • गर्भनिरोधक :
    कुछ प्रकार के इंप्लांटेबल एटोनोजेस्ट्रल, लेवोनोजेस्ट्रल-रिलीजिंग इंट्रायूटेराइन डिवाइस आदि। ये एमेनोरिया का कारण बन सकते हैं।
     
  • गंभीर हाइपोथायराइडिज्म :
    इस रोग में थायराइड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोन नहीं बना पाती है।
     
  • ट्यूमर :
    यदि एड्रिनल ग्रंथि या ओवरी में ट्यूमर हो गया है, तो भी एमेनोरिया रोग हो सकता है।

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