एडेनोसीन डाईमिनेस (एडीए) टेस्ट क्या है?
एडीए टेस्ट एक बायोकैमिकल टेस्ट है जो कि शरीर में मौजूद द्रव जैसे सीरम, लार,प्लूरल इफ्यूजन, साइनोवियल इफ्यूजन, एसाइटिस आदि में एडीए एंजाइम की जांच करता है। यह टेस्ट आमतौर पर टीबी की जांच करने में भी मदद करता है। भारत में टीबी के मामले काफी अधिक पाए जाते हैं जिसमें फेफड़े व शरीर के अन्य अंगों से संबंधित दोनों प्रकार की टीबी शामिल हैं।
एडीए एंजाइम टेस्ट टीबी की समय पर जांच करने के लिए एक जरूरी बायोमार्कर टेस्ट है। एडीए एंजाइम मेटाबोलिज्म प्यूरीन के दौरान एडेनोसीन को इनोसिन में बदलने का काम करता है। एडेनोसाइन डाईमिनेस का स्तर कम होने पर यह “टी” और “बी” लिम्फोसाइट कोशिकाओं को बनाने से रोक सकता है। इन कोशिकाओं में कमी के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और परिणामस्वरूप बैक्टीरियल और वायरल इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। एडीए की कमी कुछ गंभीर रोगों जैसे इम्यूनोडिफिशिएंसी सिंड्रोम का कारण बनती है और पीड़ित व्यक्ति को एक साथ कई संक्रमण हो जाते हैं।
ट्यूबरक्युलर इफ्यूजन मुख्य रूप से माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के द्वारा की गई प्रतिक्रिया के कारण होता है। इसीलिए उसमें एडीए की मात्रा अधिक होती है। एडीए में दो आइसोज़ाइम होते हैं एडीए 1 और एडीए 2, जिनकी मदद से एडीए अपनी क्रियाएं कर पाता है। शरीर में मौजूद तरल पदार्थों में एडीए के संकेन्द्रण (जमा होना) की जांच करने के लिए ज्यादातर लैब में एडीए किट उपलब्ध होती है।