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राइजोटॉमी एक सर्जरी प्रोसीजर है, जिसमें मेरू रज्जू से निकलने वाली नसों की जड़ों को काट दिया जाता है। नसों का जो हिस्सा मेरुदंड से निकलकर कशेरुकाओं से बाहर निकला होता है उसे नर्व रूट (नसों की जड़ वाला हिस्सा) कहा जाता है। नर्व रूट वाले हिस्से को काटने पर वह नस मस्तिष्क में दर्द आदि के संकेत नहीं भेज पाती है। यह सर्जरी रीढ़ की हड्डी के पिछले भाग में मौजूद जोड़ों (फेसेज जॉइंट) में किया जाता है।

राइजोटॉमी सर्जरी से पहले डॉक्टर विभिन्न टेस्ट करके आपके स्वास्थ्य की अच्छी तरह से जांच करेंगे। आपसे आपके स्वास्थ्य संबंधी पिछली जानकारियां ली जाएंगी और आपको स्वास्थ्य संबंधी रोग है या नहीं आदि के बारे में भी पूछा जाएगा। यह सर्जरी लोकल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाकर की जाती है, जिससे इंजेक्शन वाला हिस्सा पूरी तरह से सुन्न हो जाता है और दर्द महसूस नहीं होता है। राइजोटॉमी के बाद आपको सर्जरी वाले हिस्से की विशेष देखभाल करने की सलाह दी जाती है।

(और पढ़ें - रीढ़ की हड्डी में दर्द के कारण)

  1. राइजोटॉमी क्या है - What is Rhizotomy in Hindi
  2. राइजोटॉमी किसलिए की जाती है - Why is Rhizotomy done in Hindi
  3. राइजोटॉमी से पहले - Before Rhizotomy in Hindi
  4. राइजोटॉमी के दौरान - During Rhizotomy in Hindi
  5. राइजोटॉमी के बाद - After Rhizotomy in Hindi
  6. राइजोटॉमी की जटिलताएं - Complications of Rhizotomy in Hindi

राइजोटॉमी किसे कहते हैं?

राइजोटॉमी एक सर्जरी प्रोसीजर है, जो शरीर के किसी हिस्से में हो रहे दर्द का संकेत मस्तिष्क तक पहुंचने से रोकती है। इस सर्जरी के दौरान एंडोस्कोप, इलेक्ट्रिक करंट या रेडियोफ्रीक्वेंसी तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे उस नस को नष्ट कर दिया जाता है, जो दर्द का संकेत मस्तिष्क तक भेज रही होती है। यह नस नष्ट हो जाने से दर्द का संकेत मस्तिष्क तक नहीं जा पाता है और परिणामस्वरूप हमें दर्द महसूस नहीं होता है।

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यह सर्जरी आमतौर पर फेसेट जॉइंट में की जाती है, जो रीढ़ की हड्डी के पिछले भाग में मौजूद छोटे-छोटे हड्डी जोड़ होते हैं। ये जोड़ रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन को बनाए रखते हैं और रीढ़ की हड्डी को आगे व पीछे की तरफ झुकने में मदद करते हैं। इन सभी जोड़ों के बीच में एक कैप्सूल नुमा संरचना होती है, जिसमें द्रव भरा होता है। ये कैप्सूल जोड़ों को सुरक्षित रखते हैं और उनकी कार्य प्रक्रिया में मदद करते हैं। फेसेट जॉइंट में सफेद रंग का कार्टिलेज भी होता है, जो उनकी कार्य प्रक्रिया में मदद करता है।

बढ़ती उम्र, जोड़ का आकार बढ़ना या अन्य किसी कारण से कई बार ये कैप्सूल या कार्टिलेज क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिससे फेसेट जॉइंट क्षतिग्रस्त होने का खतरा बढ़ जाता है। जब ऐसा होता है, तो उस जोड़ के आसपास की नस दर्द के संकेत को मेरुदंड में और वहां से मस्तिष्क में पहुंचती है। मस्तिष्क को संकेत मिलते ही हमें उस हिस्से में दर्द महसूस होने लगता है।

डॉक्टर राइजोटॉमी सर्जरी को दर्द का संकेत मस्तिष्क तक पहुंचने से रोकने के लिए करते हैं।

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राइजोटॉमी सर्जरी क्यों की जाती है?

यदि आपकी रीढ़ की हड्डी में दर्द है, तो डॉक्टर राइजोटॉमी सर्जरी करवाने की सलाह दे सकते हैं। रीढ़ की हड्डी में दर्द आमतौर पर निम्न कारणों से होता है -

बच्चों में आमतौर पर यह सर्जरी उनकी चाल व टांगों के हिलने-ढुलने की क्षमता में सुधार करने के लिए की जाती है।

राइजोटॉमी सर्जरी किसे नहीं करवानी चाहिए?

यदि दर्द वाले हिस्से या उसके आसपास आपको संक्रमण है, तो डॉक्टर यह सर्जरी नहीं करते हैं। इसके अलावा यदि आपके मस्तिष्क के अंदरूनी हिस्से में किसी कारण से दबाव बढ़ा हुआ है, तो भी राइजोटॉमी सर्जरी करने से मना किया जाता है।

कुछ मामलों में राइजोटॉमी सर्जरी से कुछ जोखिम हो सकते हैं, लेकिन कुछ विशेष बातों का ध्यान रखते हुए यह सर्जरी की जा सकती है। ऐसी स्थितियों में आमतौर पर रक्त में बैक्टीरिया होना या जन्म से ही प्रभावित हिस्से में कोई विकृति होना आदि।

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राइजोटॉमी सर्जरी से पहले की तैयारी?

राइजोटॉमी सर्जरी से कुछ दिन पहले आपको अस्पताल बुलाया जाता है, जहां आपका शारीरिक परीक्षण किया जाता है और साथ ही कुछ अन्य टेस्ट भी किए जाते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

इसके अलावा डॉक्टर आपको कुछ अन्य बातों का ध्यान रखने की सलाह देते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • यदि आप हाल ही में कोई दवा ले रहे थे या अभी भी ले रहे हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को बता दें। डॉक्टर इनमें कुछ दवाओं का सेवन एक निश्चित समय के लिए बंद करने की सलाह दे सकते हैं, इनमें आमतौर पर रक्त पतला करने वाली दवाएं शामिल हैं जैसे एस्पिरिन, वारफेरिन और आइबुप्रोफेन आदि।
  • यदि आप विटामिन, मिनरल या अन्य कोई सप्लीमेंट लेते हैं, तो इस बारे में भी डॉक्टर को बता दें। ऐसा इसलिए क्योंकि विटामिन ई व अन्य कई सप्लीमेंट रक्त को पतला कर सकते हैं।
  • यदि आपको स्वास्थ्य संबंधी कोई भी रोग (डायबिटीज या रक्त संबंधी विकार) या किसी चीज से एलर्जी है, तो इस बारे में डॉक्टर को बता दें।
  • यदि सर्जरी से एक-दो दिन पहले आपको बुखार या फ्लू के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो डॉक्टर को बता दें। ऐसे में डॉक्टर आपकी सर्जरी को कुछ समय के लिए टाल देते हैं।
  • आपको ऑपरेशन वाले दिन खाली पेट अस्पताल आने को कहा जाता है, जिसके लिए आपको पहली आधी रात के बाद कुछ भी न खाने या पीने की सलाह दी जाती है।
  • सर्जरी के लिए अस्पताल जाते समय अपने साथ किसी करीबी रिश्तेदार या मित्र को लेकर आएं, जो सर्जरी से पहले के कार्यों में आपकी मदद कर सके और सर्जरी के बाद आपको घर ले जा सके।
  • जब आप सर्जरी के लिए अस्पताल पहुंच जाते हैं तो आपको सहमति पत्र दिया जाता है, जिस पर हस्ताक्षर करके आप सर्जन को सर्जरी करने की अनुमति दे देते हैं। हालांकि, सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से पहले उसे एक बार अच्छे से पढ़ लेना चाहिए।

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राइजोटॉमी सर्जरी कैसे की जाती है?

आपके अस्पताल पहुंचने के बाद सर्जरी प्रोसीजर शुरू करने से पहले निम्न प्रक्रियाएं की जाती हैं -

  • यदि आपने कोई आभूषण या गैजेट पहना है तो उसे उतारने को कहा जाता है और आपको पहनने के लिए हॉस्पिटल गाउन दिया जाता है।
  • आपको पेट के बल लेटने को कहा जाएगा और जिस हिस्से की सर्जरी करनी है वहां पर लोकल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया जाएगा। आवश्यकता पड़ने पर आपको जनरल एनेस्थीसिया या स्पाइनल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन भी दिया जा सकता है।
  • जब वह हिस्सा सुन्न पड़ जाता है, तो राइजोटॉमी सर्जरी की प्रोसेस शुरू की जाती है। राइजोटॉमी को दो अलग-अलग सर्जरी प्रोसीजर के अनुसार किया जा सकता है, जिन्हें रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन और एंडोस्कोपिक राइजोटॉमी के नाम से जाना जाता है।

रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन -

  • इस प्रोसीजर में सर्जन सर्जरी वाले स्थान में धीरे-धीरे रेडियोफ्रीक्वेंसी सुई डालते हैं। इस प्रक्रिया को एक्स रे मशीन की मदद से लगातार नजर में रखा जाता है।
  • इस सुई की मदद से प्रभावित हिस्से में इलेक्ट्रिक करंट छोड़ा जाता है, जिससे यह पुष्टि की जाती है कि सुई टारगेट नस से जुड़ी है या नहीं। ऐसे में आपको मांसपेशियों में ऐंठन महसूस होती है।
  • जब यह पुष्टि हो जाती है कि इलेक्ट्रिक प्रोब सही जगह पर लगी है, तो एक बार फिर से लोकल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया जाता है।
  • इसके बाद नस को तब तक गर्म किया जाता है, जब तक प्रभावित हिस्से में दर्द महसूस होना बंद न हो।
  • इसके बाद सर्जरी वाले घाव को बंद करके उस पर पट्टी लगा दी जाती है।

एंडोस्कोपिक राइजोटॉमी -

  • इस प्रक्रिया में प्रभावित हिस्से में एंडोस्कोप डालते हैं और उसकी मदद से प्रभावित नस को काट दिया जाता है।

सर्जरी में लगने वाला समय आमतौर पर निर्भर करता है कि कौन सी नस को नष्ट किया गया है। सर्जरी के बाद आपको रिकवरी रूम में शिफ्ट कर दिया जाता है, जहां पर लगातार आपके शारीरिक संकेतों पर नजर रखी जाती है। यदि आपका ब्लड प्रेशर, पल्स रेट व हृदय की दर आदि सभी सामान्य हैं, तो सर्जरी वाले दिन ही आपको अस्पताल से छुट्टी दी जा सकती है। हालांकि, यदि आपके स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ है, तो आपको कुछ समय के लिए अस्पताल में भर्ती रहना पड़ सकता है।

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राइजोटॉमी सर्जरी के बाद क्या देखभाल की जाती है?

जब अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है, तो आपको घर पर निम्न बातों का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है -

घाव की देखभाल

  • यदि रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन तकनीक से सर्जरी की गई है, तो अगले दिन ही पट्टी उतारने की अनुमति दी जाती है
  • सर्जरी के बाद आपको नहाने व शॉवर लेने की अनुमति भी दी जा सकती है। हालांकि, आपको पूल या बाथटब में नहाने से मना किया जाता है।

आहार

  • सर्जरी के बाद आपके आहार में कोई विशेष बदलाव करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है, लेकिन फिर भी आपको पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए ताकि आप सर्जरी के बाद जल्दी स्वस्थ हो सकें।

दवाएं

  • सर्जरी के बाद आपको कुछ दिन दर्द रह सकता है, जिसके लिए दर्द निवारक दवाएं दी जाती हैं। इन दवाओं को डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लेना चाहिए।
  • संक्रमण आदि के खतरे को कम करने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं।
  • दवाओं के साथ-साथ डॉक्टर आपको गर्म व ठंडी सिकाई करने की सलाह भी देते हैं।
  • यदि आपकी कोई दवा सर्जरी से पहले बंद करवा दी गई थी तो उसे फिर से शुरू करवा दिया जाता है

शारीरिक गतिविधि

  • सर्जरी के बाद कम से कम एक दिन तक ड्राइविंग न करें और न ही किसी अन्य मशीन को ऑपरेट करें
  • जब तक डॉक्टर अनुमति न दें कोई भी अधिक मेहनत वाली शारीरिक गतिविधि न करें
  • फीजियोथेरेपिस्ट कुछ प्रकार के व्यायाम सिखाते हैं, जो आपको सर्जरी के बाद जल्दी स्वस्थ होने में मदद करते हैं।

डॉक्टर को कब दिखाएं?

यदि आपको सर्जरी के बाद निम्न में से कोई भी समस्या हो रही है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए -

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राइजोटॉमी सर्जरी के क्या जोखिम हो सकते हैं?

राइजोटॉमी से निम्न जोखिम व जटिलताएं होने का खतरा बढ़ जाता है -

  • संक्रमण
  • नसें क्षतिग्रस्त होना
  • सर्जरी के बाद भी दर्द महसूस होना
  • एनेस्थीसिया से एलर्जी होना
  • सर्जरी वाले हिस्से में दर्द व अन्य तकलीफ रहना जैसे जलन व खुजली आदि।
  • सर्जरी के लंबे समय तक दर्द से मुक्ति न मिलना

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संदर्भ

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