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हाइमन योनिद्वार पर मौजूद एक पतली व लचीली झिल्ली होती है, जो योनि को आगे से बंद करने का काम करती है। यह झिल्ली वैसे तो योनिद्वार को आगे से बंद कर देती है, लेकिन योनि से होने वाले स्राव को बाहर आने देती है, जैसे मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव या योनि से निकलने वाले अन्य द्रव आदि। हाइमन से संबंधित कुछ असामान्यताएं हैं, जिनके कारण मासिक धर्म न आना, योनि में दर्द व अन्य तकलीफ होना आदि समस्याएं होने लगती हैं। हाइमन में छिद्र न होना इन समस्याओं का मुख्य कारण है। हालांकि, कुछ अन्य कारणों से भी यह छिद्र बंद हो सकता है।

ऐसी स्थिति का इलाज करने के लिए हाइमेनोटॉमी सर्जरी की जाती है, जिसकी मदद से हाइमन में छिद्र बना दिया जाता है, ताकि मासिक धर्म का रक्त व अन्य योनिस्राव आसानी से निकल सकें। कभी-कभी हाइमेनोटॉमी से कुछ जटिलताएं भी हो सकती हैं, जैसे पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज या संक्रमण होना आदि।

(और पढ़ें - योनि में इन्फेक्शन के घरेलू उपाय)

  1. हाइमेनोटॉमी क्या है - What is Hymenotomy in Hindi
  2. हाइमेनोटॉमी किसलिए की जाती है - Why is Hymenotomy done in Hindi
  3. हाइमेनोटॉमी से पहले - Before Hymenotomy in Hindi
  4. हाइमेनोटॉमी के दौरान - During Hymenotomy in Hindi
  5. हाइमेनोटॉमी के बाद - After Hymenotomy in Hindi
  6. हाइमेनोटॉमी की जटिलताएं - Complications of Hymenotomy in Hindi

हाइमेनोटॉमी किसे कहते हैं?

हाइमेनोटॉमी एक प्रकार की सर्जरी है, जिसे हाइमन के छिद्र को खोलने के लिए किया जाता है। हाइमन योनिद्वार में मौजूद एक पतली झिल्ली है, जिससे योनि का द्वार बंद हो जाता है। हाइमन एक पतली झिल्ली होती है, जो आकृति में आधे चंद्रमा के समान दिखती है। इस झिल्ली का कोई मुख्य काम नहीं होता है, लेकिन यह योनिस्राव और मासिक धर्म के खून को निकलने में मदद करती है।

हाइमन में कई असामान्यताएं हो सकती हैं, जिनमें निम्न मुख्य हैं -

  • इम्पर्फोरेट हाइमन - जिसमें छिद्र नहीं होता है
  • माइक्रोपर्फोरेट हाइमन - जिसमें बहुत ही सूक्ष्म छिद्र होता है
  • सेप्टेट हाइमन - यह एक जटिल स्थिति है, जिसमें हाइमन के बीच वाले हिस्से से मोटे ऊतक जुड़े होते हैं। इन मोटे ऊतकों के कारण हाइमन में दो छिद्र बन जाते हैं।

इम्पर्फोरेट हाइमन की पहचान शिशु के जन्म के दौरान भी की जा सकती है, लेकिन अधिकतर मामलों में इसका पता लड़की की किशोरावस्था में ही लग पाता है। इस स्थिति में हाइमन योनिद्वार को पूरी तरह से ढक लेता है और योनि से निकलने वाले द्रव व मासिक धर्म में रक्त बाहर नहीं निकल पाते हैं। माइक्रोपर्फोरेट हाइमन में बहुत ही सूक्ष्म छिद्र होता है, जिसकी मदद से रक्त बाहर आ जाता है। जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया है। सेप्टेट हाइमन में दो छिद्र हो सकते हैं, जिससे महिला को यौन संबंध बनाते समय परेशानी हो सकती है। हाइमेनोटॉमी सर्जरी की मदद से हाइमन संबंधी इन सभी असामान्यताओं को ठीक किया जा सकता है।

(और पढ़ें - मासिक धर्म कम आने का कारण)

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हाइमेनोटॉमी क्यों की जाती है?

सर्जन आमतौर पर निम्न स्थितियों में सर्जरी करने की सलाह देते हैं -

  • हाइमन में छिद्र न होना और साथ ही हाइमन के ऊतकों की मोटाई बढ़ी हुई होना, इस स्थिति में महिला यौन संबंध नहीं बना पाती है।
  • हाइमन में छिद्र न होने के कारण योनि में बलगम जमा होना, इस स्थिति को म्यूकोलॉप कहा जाता है।
  • इम्पर्फोरेट हाइमन के कारण मासिक धर्म में रक्त योनि से बाहर न आ पाना और परिणामस्वरूप रक्त योनि में जमा होने लगना जिसे हेमाटोकोलॉप्स कहा जाता है। कुछ गंभीर स्थितियों में रक्त गर्भाशय में जमा होने लगता है, जिसे हेमाटोमेट्रा कहा जाता है।

यदि आप में निम्न लक्षण देखे जा रहे हैं, तो यह सर्जरी की जा सकती है -

हाइमेनोटॉमी सर्जरी किसे नहीं करवानी चाहिए?

स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याएं हैं, जिनके होने पर डॉक्टर हाइमेनोटॉमी सर्जरी नहीं करते हैं -

  • ट्रांसवर्स वेजाइनल सेप्टम - यह योनि संबंधी ऐसी समस्या है, जिसमें योनि में क्षैतिज रूप से ऊतकों से एक दीवार बनी होती है, जो योनि के रास्ते को रोकती है। (और पढ़ें - योनि की जानकारी)
  • डिस्टल वेजाइनल एट्रेसिया - यह एक दुर्लभ स्थिति है, जिसमें या तो योनि होती ही नहीं है या फिर वह बाहर से बंद होती है।

इसके अलावा महिला के स्वास्थ्य संबंधी अन्य कई समस्याएं हो सकती हैं, जिनके कारण सर्जन हाइमेनोटॉमी सर्जरी न करने पर विचार करते हैं।

यदि सर्जन को अनुभव कम है या फिर योनि की संरचना ठीक से समझ नहीं आ रही है, तो भी सर्जन इम्पर्फोरेट हाइमन के लिए हाइमेनोटॉमी सर्जरी करने से पहले एक बार विचार-विमर्श कर सकते हैं।

(और पढ़ें - पेट में दर्द के घरेलू उपाय)

हाइमेनोटॉमी से पहले क्या तैयारी करें?

हाइमेनोटॉमी सर्जरी से पहले निम्न तैयारियां करने की आवश्यकता पड़ सकती है -

  • डॉक्टर सबसे पहले आपके गुप्तागों का करीब से परीक्षण करेंगे, जिस दौरान यह जांच की जाती है कि हाइमन पूरी तरह से बंद है या फिर कोई सूक्ष्म छिद्र है।
  • यदि डॉक्टर किसी कारण से समस्या की पहचान नहीं कर पा रहे हैं, तो एमआरआई स्कैन का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
  • हाइमन के छिद्र की पुष्टि करने के लिए नैसोपेरिंजियल या रुई के टुकड़े को नम करके उसका इस्तेमाल किया जाता है।
  • हेप्टेड हाइमन जैसी समस्याओं में अल्ट्रासोनोग्राफी की जाती है। (और पढ़ें - अल्ट्रासाउंड क्या है)
  • आपको व आपके परिवारजनों को हाइमेनोटॉमी सर्जरी के लाभ व जोखिम के बारे में समझा दिया जाता है और उसके बाद आपको सहमति पत्र दिया जाता है। सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करके आप सर्जन को सर्जरी करने की अनुमति दे देती हैं। हालांकि, हस्ताक्षर करने से पहले सहमति पत्र को एक बार अच्छे से पढ़ व समझ लेना चाहिए।

(और पढ़ें - सर्जरी से पहले की तैयारी कैसे करें)

हाइमेनोटॉमी कैसे की जाती है?

हाइमेनोटॉमी एक बड़ी सर्जरी है, जिसे ऑपरेशन थिएटर में ही किया जाता है। कुछ महिलाओं को सर्जरी के बाद एक से अधिक दिन अस्पताल में रुकने की आवश्यकता पड़ती है, जबकि अन्य महिलाओं को इसकी आवश्यकता नहीं पड़ती है। हाइमेनोटॉमी सर्जरी को निम्न के अनुसार किया जाता है -

  • जब आप सर्जरी के लिए अस्पताल में पहुंच जाते हैं, तो आपको एक विशेष ड्रेस पहनने के लिए दी जाती है, जिसे हॉस्पिटल गाउन कहा जाता है।
  • आपकी बांह या हाथ की नस में एक सुई लगाई जाएगी और इसे एक ड्रिप (इंट्रावेनस लाइन) से जोड़ दिया जाएगा। इसकी मदद से सर्जरी के दौरान आपको दवाएं व अन्य आवश्यक द्रव दिए जाते हैं।
  • डॉक्टर आपको सर्जरी से पहले कुछ दवाएं भी दे सकते हैं, जिन्हें डॉक्टर के निर्देश के अनुसार ही लेना चाहिए।
  • यदि आपको किसी भी दवा, उत्पाद या पदार्थ से एलर्जी है, तो इस बारे में डॉक्टर को बता दें। डॉक्टर ऐसे में जांच कर लेते हैं कि कहीं आपको एनेस्थीसिया या इस्तेमाल की जाने वाली अन्य किसी दवा से तो एलर्जी नहीं है। (और पढ़ें - एलर्जी में क्या नहीं खाना चाहिए)
  • इसके बाद आपको एनेस्थीसिया का इंजेक्शन दिया जाता है, जिससे आपको सर्जरी के दौरान गहरी नींद आ जाती है और आपको कुछ भी महसूस नहीं होता। (और पढ़ें - इंजेक्शन लगाने का तरीका)

हाइमन संबंधी समस्या के प्रकार के अनुसार हाइमेनोटॉमी को भी अलग-अलग तरीके से किया जा सकता है। इम्पर्फोरेट और माइक्रोपर्फोरेट हाइमन के लिए हाइमेनोटॉमी सर्जरी को निम्न के अनुसार किया जाता है -

  • सर्जन सर्जरी से पहले या दौरान मूत्रमार्ग में यूरेथ्रल कैथीटर लगा देते हैं, जिससे मूत्रमार्ग की सही स्थिति (पोजिशन) का अंदाजा लगाने में मदद मिलती है।
  • सर्जरी शुरू होने पर सबसे पहले हाइमन में एक U की आकृति का चीरा लगाया जाता है। हालांकि, यह कट बहुत ध्यानपूर्वक मूत्रमार्ग को क्षतिग्रस्त होने से बचाते हुए किया जाता है।
  • पर्याप्त चीरे लगाकर हाइमन के उस हिस्से को काटकर निकाल दिया जाता है, जो योनिद्वार को बंद करते हैं। हाइमन के इस हिस्से को हाइमनल म्यूकोसा भी कहा जाता है। हाइमन के शेष बच्चे हुए टुकड़ों को टांके लगाकर किनारों से चिपका दिया जाता है। ये टांके त्वचा में अपने आप अवशोषित हो जाते हैं, इन्हें बाद में निकलवाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

सेप्टेड हाइमन के लिए की जाने वाली हाइमेनोटॉमी सर्जरी को निम्न के अनुसार किया जाता है -

  • इसमें सर्जन क्रीम या जेल के रूप में आने वाली एनेस्थीसिया का इस्तेमाल करते हैं, जिससे सिर्फ वही हिस्सा सुन्न होता है, जहां पर उसे लगाया गया है।
  • इसके बाद हाइमन के बीच में मौजूद मोटे ऊतकों के अगले या पिछले सिरे पर टांके लगा दिए जाते हैं। अब दोनों टांकों के बीच में चीरा लगाकर बीच वाले ऊतकों को निकाल दिया जाता है और वहां पर त्वचा को आराम देने वाली क्रीम लगा दी जाती है।

(और पढ़ें - टांके लगाने के तरीके)

हाइमेनोटॉमी सर्जरी के बाद क्या देखभाल करनी चाहिए?

सर्जरी के बाद जब आप घर पहुंच जाते हैं, तो आपको निम्न देखभाल करने की आवश्यकता पड़ती है -

  • सर्जरी वाले घाव पर दिन में कई बार त्वचा में चिकनापन देने वाली क्रीम जैसे पेट्रोलियम जेली या फिर नारियल का तेल लगाएं।
  • योनिद्वार को सूखा व साफ रखें
  • यदि आपको दर्द हो रहा है, तो डॉक्टर आपको कुछ दर्दनिवारक क्रीम या टेबलेट दे सकते हैं, जिनका उपयोग डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही किया जाना चाहिए। 
  • योनि में सूजन, लालिमा या खुजली जैसे लक्षणों को कम करने के लिए भी डॉक्टर दवाएं दे सकते हैं। इसके अलावा डॉक्टर आपको ठंडी सिकाई करने की सलाह भी दे सकते हैं, जिनकी मदद से इन लक्षणों को कम किया जा सकता है। (और पढ़ें - योनि में खुजली के कारण)
  • सर्जरी के बाद आपको लगभग दो हफ्तों तक कभी कभार-रक्तस्राव की समस्या हो सकती है, जो कि सामान्य स्थिति है। कुछ स्थितियों में योनि से अन्य द्रवों का रिसाव भी हो सकता है।
  • सर्जरी के बाद आपको लगभग दो हफ्तों तक टैम्पोन इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और न ही यौन संबंध बनाने चाहिए।
  • हल्के गरम पानी व साबुन के साथ अपने सर्जरी वाले हिस्से को साफ करना चाहिए और फिर साफ कपड़े के साथ हल्के-हल्के सुखा लें।
  • यदि आपको सर्जरी वाले हिस्से में तकलीफ हो रही है, तो गर्म सिकाई की मदद से भी लक्षणों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। गर्म सिकाई के लिए आप सूती कपड़े को गर्म करके उसे हीटिंग पैड के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि, ध्यान रहे कपड़े को अधिक गर्म न करें।

डॉक्टर को कब दिखाएं?

हाइमेनोटॉमी के बाद आपको यदि निम्न में से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है, तो डॉक्टर से इस बारे में तुरंत बात कर लेनी चाहिए -

(और पढ़ें - पेशाब में बदबू आने का इलाज)

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हाइमेनोटॉमी से क्या जोखिम हो सकते हैं?

सर्जरी से कुछ जोखिम व जटिलताएं देखी जा सकती हैं, जैसे - 

  • सर्जरी वाले घाव में संक्रमण होना (और पढ़ें - योनि में यीस्ट संक्रमण का इलाज)
  • सर्जरी के दौरान मूत्रमार्ग, मूत्राशय या मलाशय क्षतिग्रस्त होना
  • पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज

(और पढ़ें - योनि में सूखापन का इलाज)

संदर्भ

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