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हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी क्या है?

हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी एक ऐसी प्रक्रिया है जो आमतौर पर सर्जन के द्वारा कूल्हे के दर्दनाक या एक्सीडेंट में हुए फ्रैक्चर और क्षतिग्रस्त जोड़ को आर्टिफीशियल हिप से बदलने के लिए की जाती है। साथ ही जब वृद्धावस्था में व्यक्ति को लेटने या बैठने पर तकलीफ होती है, तो यह दर्द को कम करने के लिए की जाती है। इस आर्टिफिशियल हिप को प्रोस्थेसिस कहा जाता है। हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी एक बड़ी सर्जरी है, जिसकी सलाह केवल तब दी जाती है जब दवाएं, फिजियोथेरपी और स्टेरॉयड इंजेक्शन दर्द को कम नहीं कर पाते हैं।

  1. कूल्हे का ऑपरेशन क्यों किया जाता है - Hip replacement surgery kyon ki jati hai
  2. कूल्हे के ऑपरेशन से पहले - Hip replacement surgery se pahle
  3. कूल्हे का ऑपरेशन कैसे होता है - Hip operation kaise hota hai
  4. कूल्हे के ऑपरेशन के बाद खुद की देख-रेख कैसे करें - Kulhe ke operation ke baad dekh-rekh
  5. कूल्हे के ऑपरेशन से जुड़े खतरे - Kulhe ke operation se jude khatre
  6. हिप रिप्लेसमेंट के बाद डॉक्टर के पास कब जाना है - Kulhe ka operation hone ke baad doctor ke pas kab jaein
  7. हिप रिप्लेसमेंट की जटिलताएं - Kulhe ki surgery me jatiltaye
हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी के डॉक्टर

हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी मुख्य रूप से 50 से 80 वर्ष के वृद्धों में की जाती है। हालांकि, ऐसी कुछ स्थितियां व कारक हैं जिनमें इस सर्जरी को करने की सलाह दी जाती है। जैसे -

  • कूल्हे या ऊसन्धि (पेट और जांघ के बीच का भाग) में गंभीर दर्द, जो कि घुटने में या घुटने के ऊपर भी हो सकता है
  • कूल्हे के जोड़ का ठीक तरह से काम न कर पाना
  • गंभीर दर्द और पीड़ा जो कि सामान्य पेन किलर या दर्दनिवारक गोलियों से ठीक नहीं हो रहा है और लगातार नींद में बाधा डाल रहा है
  • कूल्हे में अकड़न
  • 400 से 800 मीटर से ज्यादा न चल पाना
  • चलने के लिए किसी सहारे की जरूरत पड़ना जैसे छड़ी य केन
  • बेड या कुर्सी से उठने में तकलीफ
  • सीढ़ियां चढ़ने और उतरने में परेशानी
  • पूरे दिन आराम करने के बाद भी कूल्हे में दर्द होना
  • कूल्हे की गतिशीलता में कमी 

हिप जॉइंट से जुड़े सामान्य कारण नहीं हैं -

  • ओस्टियोआर्थराइटिस - ओस्टियोआर्थराइटिस में कार्टिलेज की एक या एक से अधिक जोड़ों में सूजन हो जाती है
  • रूमेटाइड आर्थराइटिस - रूमेटाइड आर्थराइटिस एक लंबे समय से चलने वाला रोग है। जिसमें जोड़ों में सूजन हो जाती है और जिसके परिणामस्वरूप दर्दनाक विकलांगता और गतिहीनता आ जाती है
  • हिप फ्रैक्चर - कूल्हे की हड्डी टूटना
  • ऐंकिलॉसिंग स्पोंडिलाइटिस - एक लंबे समय से चल रही स्थिति, जिसमें स्पाइन और शरीर के अन्य हिस्सों में सूजन आ जाती है
  • बोन डिस्प्लेसिया - कार्टिलेज (उपास्थि) और हड्डियों से जुड़ा एक विकार जैसे असामान्य आकार, आकृति और हड्डियों की लम्बाई का एक समान न होना
  • ओस्टेनोक्रोसिस या एवैस्क्युलर नेक्रोसिस - हड्डियों के ऊतकों और कोशिकाओं की मृत्यु
  • ट्रॉमा के बाद हुआ आर्थराइटिस - शारीरिक चोट में जख्मी हुए जोड़ में सूजन और दर्द
  • चाइल्डहुड हिप डिजीज - एक रोग जिसमें रक्त के कम प्रवाह के कारण हड्डियों की कोशिकाएं मर जाती हैं और हड्डियां बढ़ना बंद कर देती हैं

ऑर्थोपेडिक सर्जन आपके शरीर की पूरी जांच करेंगे और सभी टेस्ट करके यह सुनिश्चित करेंगे कि आपको दर्द ठीक करने के लिए और सभी कार्य फिर से करने के लिए टोटल हिप रिप्लेसमेंट की जरूरत है या नहीं। सर्जन आपको सर्जरी के बाद होने वाले जोखिमों और जटिलताओं के बारे में समझा देंगे। कभी भी डॉक्टर से कुछ भी सवाल करने में न घबराएं क्योंकि जितना बेहतर तरह से आपको सर्जरी के बारे में पता होगा, आप उसके परिणामों को उतना ही बेहतर तरह से समझ पाएंगे और अपनी देख-रेख कर पाएंगे।

जब सर्जन आपको हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी की तारीख दे देते हैं तो इसके बाद निम्न चीजें की जाती हैं जिससे सर्जरी से संबंधित किसी भी जटिलता से बचा जा सके -

  • मेडिकल जांच - ऑर्थोपेडिक सर्जन आपसे कम्पलीट बॉडी टेस्ट करवाने को कहेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपका शरीर किसी भी मेडिकल प्रक्रिया को करवाने के लिए स्वस्थ है और सर्जरी के बाद जल्दी ठीक हो जाएगा।
  • टेस्ट - भिन्न टेस्ट जैसे ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, ईसीजी, एक्स रे आदि को करने की जरूरत होती है ताकि डॉक्टर यह सुनिश्चित कर लें कि सर्जरी बिना किसी समस्या के हो जाएगी।
  • त्वचा को तैयार करना - कूल्हे के भाग की त्वचा किसी भी तरह के संक्रमण या रोग से मुक्त होनी चाहिए। यदि वहां ऐसा कुछ भी मौजूद है तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें, ताकि वे सर्जरी से पहले इसे ठीक कर दें।
  • मेडिकेशन - यदि आप डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, लिवर या किडनी रोग जैसे रोगों से जुड़ी या फिर अगर किसी भी प्रकार की दवाएं ले रहे हैं तो डॉक्टर को इनके बारे में बता दें, ताकि वे आपकी मेडिकेशन का प्लान बना सकें और सर्जरी के लिए इनमें आवश्यकता अनुसार बदलाव कर सकें। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो कुछ दवाओं के अतिरिक्त प्रभावों के कारण और जटिल स्थितियां पैदा हो सकती हैं, जिन्हें रोका जा सकता था।
  • वजन घटना - यदि आपका वजन ज्यादा है, तो डॉक्टर आपसे वजन कम करने के लिए कह सकते हैं ताकि आर्टिफिशियल हिप जॉइंट पर अधिक जोर न पड़े।
  • डेंटल एवल्यूएशन - यदि किसी भी तरह की डेंटल प्रक्रिया या सर्जरी की जानी है तो यह हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी से पहले होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो सर्जरी के स्थान पर संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बैक्टीरिया उस स्थान तक रक्त प्रवाह द्वारा पहुंच सकता है।
  • मूत्राशय और पेशाब संबंधी जांच - वृद्धावस्था में मूत्राशय में संक्रमण या यूटीआई बहुत सामान्य है और बार-बार हो जाती है। ऐसा व्यक्ति जिसे पहले यूरिनरी संक्रमण हुए हैं तो उसे सर्जरी से पहले यूरिनरी टेस्ट करवाने होंगे।

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सर्जरी के दिन आपको एक दिन के लिए अस्पताल में भर्ती किया जाएगा। भर्ती करने के बाद यह जांच की जाएगी कि आपको सामान्य एनेस्थीसिया या लोकल एनेस्थीसिया में से कौन सी दवा देनी है। सामान्य एनेस्थीसिया एक प्रक्रिया जिसमें दवाएं दे कर आपको प्रक्रिया के दौरान सुला दिया जाता है और लोकल एनेस्थिसिया में आप जगे हुए रहते हैं लेकिन उस हिस्से को सुन्न कर दिया जाता है जिसकी सर्जरी करनी है। इस सर्जिकल प्रक्रिया में आमतौर पर कुछ घंटों का समय लगता है।

इसके बाद सर्जन आपके लिए सबसे अच्छा प्रोस्थेसिस (अर्टिफिशियल हिप जॉइंट या इम्प्लांट) चुनेंगे। इम्प्लांट्स भिन्न सामग्री और डिज़ाइन के हो सकते हैं जैसे धातु, प्लास्टिक या सेरामिक। सभी इम्प्लांट मुख्य रूप से दो सामान्य तत्वों से बने होते हैं - बॉल कम्पोनेंट (अत्यधिक पोलिश किया गया सख्त धातु से बना) और सॉकेट कम्पोनेंट (एक लंबे समय तक चलने वाली टोपी जो कि धातु, सेरामिक या प्लास्टिक की बनी हो सकती है)। 

  • कन्वेंशनल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी - कन्वेंशनल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी में सर्जन आपके कूल्हे की सामने वाली साइड और बगल में 20 से 30 सेमी का एक बड़ा चीरा लगाते हैं और रोग से ग्रस्त या क्षतिग्रस्त जोड़ को निकाल देते हैं। इसके बाद इसे आर्टिफीशियल हिप जॉइंट से जोड़ा जाता है, जो कि धातु, सेरामिक या प्लास्टिक का बना होता है। इसके बाद जांघ की हड्डी के ऊपरी हिस्से को हटाया जाता है और हड्डी के ऊपर से प्राकृतिक रूप से लगे हुए सॉकेट को खोखला किया जाता है जिसमें आर्टिफिशियल सॉकेट को फिट किया जाता है। कप और स्टेम को साथ रखने के लिए दबाया भी जा सकता है या इसे एक्रिलिक सीमेंट के साथ जोड़ा भी जा सकता है। 

  • मिनिमल इनवेसिव हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी - एक नई तकनीक जिसे मिनिमल इनवेसिव हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी कहा जाता है में सर्जरी  के लिए एक छोटा 10 सेमी का चीरा लगाया जाता है और यह एक विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए उपकरण द्वारा की जाती है। यह बिल्कुल सुरक्षित है और काफी सुचारु ट्रीटमेंट है इसमें व्यक्ति को सर्जरी के बाद दर्द कम होता है।

सर्जरी हो जाने के बाद आपको रिकवरी एरिया में कुछ घंटों के लिए ले जाया जाएगा ताकि आपको फिर से होश आ जाए। मेडिकल स्टाफ आपकी दवाओं की देख-रेख, आपके रक्तचाप व नब्ज की जांच करेगा और आपको समय समय पर पेन किलर दी जाएगी।

हिप रीसरफेसिंग - हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी का अन्य विकल्प

इसमें जांघ की हड्डी के सिरे को उसी स्थान में छोड़ दिया जाता है, लेकिन इसे थोड़ा तोड़ कर इस पर मेटल की कवरिंग लगाई जाती है। क्षतिग्रस्त हुए कार्टिलेज (उपास्थि) को हटा दिया जाता है और एक मेटल शैल से बदल दिया जाता है जो कि कंवेंशनल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी की ही तरह होता है। इसे आमतौर पर जवान लोगों में किया जाता है। हिप री सरफेसिंग अब कम की जाती है ऐसा इसके संभावित परिणामों के कारण हुआ है जिसमें कूल्हे के आसपास के नरम ऊतक डैमेज हो जाते हैं। 

हिप रीसरफेसिंग के फायदे हैं -

  • जवान लोगों में हड्डी को बचाया जा सकता है 
  • गतिशीलता वापस सही हो जाती है और सक्रियता अन्य की तुलना में अधिक होती है

यह वह समय है जब आपको अपने सर्जन द्वारा बताई गई सभी बातों का ध्यान से पालन करना है और उन्हें सर्जरी के बाद कुछ हफ्तों तक ठीक से मानना है। इन निर्देशों में निम्न शामिल हैं -

  • घाव का ध्यान रखना - सर्जरी के टांकों को लगभग दो हफ्ते बाद हटा दिया जाएगा। ध्यान रखें कि घाव गीला न हो और पट्टी ठीक तरह से लगी हुई हो। 
  • खून के थक्के जमने से बचाना - ऐसा होने से बचाने के लिए आपको सर्जरी के कुछ दिन बाद से वॉकर या किसी की मदद से चलना शुरू करना होगा। आपसे स्टॉकिंग्स पहनने को कहा जाएगा, जिससे कि टांगों को हल्का सा दबाव मिलेगा और नसों में खून नहीं रुकेगा और थक्के जमने की आशंका कम हो जाएगी। सर्जन सर्जरी के बाद आपको इंजेक्शन के द्वारा या दवाओं के द्वारा रक्त को पतला करने वाली मेडिसिन दे सकते हैं।
  • शारीरिक व्यायाम - फिजियोथेरेपिस्ट आपको जल्दी से ठीक होने के लिए कुछ शारीरिक व्यायाम करने की सलाह देंगे जो कि घर पर आराम से किए जा सकते हैं। इसकी सलाह आमतौर पर हड्डियों को मजबूत करने और जोड़ों व मांसपेशियों का बल बढ़ाने के लिए दी जाती है।
  • आहार - एक संतुलित आहार जिसमें आयरन पर्याप्त मात्रा में मौजूद हो लेने की सलाह दी जाएगी, क्योंकि इससे जोड़ को जल्दी ठीक होने में मदद मिलेगी। इस समय ज्यादा से ज्यादा द्रव पीने का ध्यान रखें।
  • घर में आंतरिक बदलाव - घर के वातावरण में कुछ जरूरी बदलाव करने होंगे जिनमें बेड और कुर्सी को ऊपर करना, सीढ़ियों में रेलिंग लगवाना, टॉयलेट की सीट उठी हुई रखना, घर में कोई भी ढीले हैंडल या फिसलने वाली चटाई न रखना और बिजली की तारों को हटाना शामिल होगा। ऐसा इसलिए ताकि आप घर में जहां भी चलें तो आपको गिरने और चोट लगने का खतरा न हो।

हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी की सफलता में एक जरूरी घटक यह है कि आप अपनी अपेक्षाओं को वास्तविक रखें। हिप जॉइंट पेन में अच्छे से आराम मिलेगा और आप अपनी रोजाना की क्रियाओं को कर पाएंगे। हालांकि, अत्यधिक व्यायाम और अत्यधिक क्रियाएं करने से आर्टिफिशियल हिप जॉइंट घिस सकता है और आपकी स्थिति और ज्यादा खराब हो सकती है। इसीलिए केवल वही क्रियाएं और व्यायाम करें, जिनकी सलाह डॉक्टर द्वारा की गई हो और ध्यान रखें कि क्रियाओं से आपको  तकलीफ न हो और लो इम्पैक्ट एक्टिविटी करने का प्रयास करें जैसे चलना, तैरना और गाड़ी चलाना। हाई  एक्टिविटी करने का प्रयास न करें जैसे दौड़ना, कूदना, वजन उठाना आदि इनका प्रभाव बहुत ही नकारात्मक हो सकता है। इस तरह से हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी एक बड़ी सफलता साबित हो सकती है और आपका आर्टिफिशियल हिप जॉइंट लंबे समय कारगर रहेगा।

हालांकि, हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी ज्यादातर मामलों में सफल होती है और इनमें बहुत कम जोखिम होता है। हालांकि, फिर भी इससे कुछ जोखिम जुड़े हुए हैं जो कि किसी व्यक्ति को सर्जरी के बाद हो सकते हैं जैसे -

  • जिस जगह आर्टिफिशियल जोड़ लगाया गया है वहां से कूल्हे का हट जाना
  • सर्जरी के स्थान पर संक्रमण
  • रक्त वाहिकाओं और नसों में चोट
  • रक्त के थक्के
  • फ्रैक्चर
  • टांग की लंबाई में बदलाव
  • इम्प्लांट का ढीला होना या निकल जाना
  • जोड़ों और टांगों में अकड़न

सर्जरी के एक से दो हफ्ते बाद आपको टांके खुलवाने के लिए डॉक्टर के पास जाना होगा। इस समय डॉक्टर यह देखेंगे कि आपका घाव कितना अधिक ठीक हुआ है। हालांकि, यदि किसी समय पर भी आपको निम्न लक्षण दिखाई देते हैं या महसूस होते हैं तो आप डॉक्टर से मिलें -

  • कूल्हे, ऊसन्धि या टांग में अत्यधिक दर्द
  • हिप जॉइंट के पास सूजन जो कि सर्जरी के दो हफ्तों बाद भी ठीक न हुई हो
  • चलने में तकलीफ
  • कूल्हे का घिसना
  • छाती में दर्द या सांस फूलना
  • सुन्न पड़ना, कमजोरी, दिखाई और सुनाई देने में तकलीफ
  • थकान
  • ठंड लगना
  • वजन बढ़ना
  • पेशाब के रूटीन में बदलाव

हर सर्जरी के अपने कुछ जोखिम होते हैं। जरूरी है कि आप इन सभी जोखिमों के बारे में जानते हों -

  • रक्तस्त्राव
    किसी भी बड़ी सर्जरी में सबसे बड़ा जोखिम अधिक रक्तस्त्राव का होता है। सर्जरी के दौरान किसी रक्त वाहिका को क्षति पहुंच सकती है या अन्य कोई परेशानी हो सकती है, जिससे अत्यधिक रक्तस्त्राव हो सकता है। इसे पहले ही मरीज़ के ब्लड ग्रुप के हिसाब से मरीज के ग्रुप का रक्त तैयार रखा जाता है ताकि अगर सर्जरी के दौरान अत्यधिक खून बहे तो स्थिति को नियंत्रित रखा जा सके और शरीर में तरल पदार्थों का संचार बना रहे।
  • रक्त के थक्के बन जाना
    रक्तस्त्राव से थक्कों का गठन हो सकता है। बड़े थक्कों को यंत्रों की मदद से हटाया जा सकता है लेकिन छोटे थक्कों को हटाने में दिक्कत हो सकती है। इसके लिए डॉक्टर आपको ब्लड थिनर (खून को पतला करने वाली दवाएं) दे सकते हैं। इनका प्रयोग डॉक्टर के निर्देशानुसार ही करें।
  • नए जोड़ों का अपनी जगह से हिल जाना
    अगर मरीज़ ज़्यादा शारीरिक कार्य करते हैं तो इससे कृत्रिम जोड़ों के अपनी जगह से हिल जाने का खतरा रहता है। इसको ठीक करने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।
  • पैरों की बदली हुई लम्बाई
    ऐसा हो सकता है की कृत्रिम अंग असल अंग के आकर का न हो, जिससे दोनों पैरों (इस सर्जरी में) की लम्बाई में फर्क लगे। अगर अंतर को अनदेखा किया जा सकता है तो इसको खास तौर पर बनाए गए जूतों की मदद से ठीक किया जा सकता है। लेकिन अगर अंतर ज़्यादा है तो इसके लिए एक सर्जरी की जरूरत हो सकती है। 

जरूरी नहीं कि ऊपर लिखे सभी जोखिम हर मरीज के साथ हों। इन सभी जोखिमों से बचा भी जा सकता है और इन्हे ठीक भी किया जा सकता है। अगर सही तरह से पूरी हो जाए तो इस सर्जरी के कई फायदे भी हैं।

Dr. Piyush Jain

Dr. Piyush Jain

सामान्य शल्यचिकित्सा
5 वर्षों का अनुभव

Dr Anjana

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सामान्य शल्यचिकित्सा
1 वर्षों का अनुभव

Dr. Rajive Gupta

Dr. Rajive Gupta

सामान्य शल्यचिकित्सा
28 वर्षों का अनुभव

Dr. Prity Kumari

Dr. Prity Kumari

सामान्य शल्यचिकित्सा

संदर्भ

  1. Crawford, R.W., Murray, D.W., 1997.Total hip replacement: indications for surgery and risk factors for failure. Annals of the Rheumatic Diseases 56, 455–457
  2. Ivory JP, Summerfield J, Thorne S, Lowdon IM, Williamson DM. Total hip replacement. Quality Health Care. 1994 Jun;3(2):114-9. PubMed PMID: 10137584
  3. National Health Scheme, United Kingdom. Hip Replacement Overview. NHS-Conditions. 2016 Oct 6
  4. National Health Scheme, United Kingdom. Hip Replacement: How it is performed. NHS-Conditions. 2016 Oct 6
  5. Gandhi R, Perruccio AV, Mahomed NN. Gandhi R, Perruccio AV, Mahomed NN. Surgical management of hip osteoarthritis. Canadian Medical Association Journal. 2014 Mar 18;186(5):347-55. PubMed PMID: 24144604
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