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कॉल्पोरैफी एक सर्जिकल प्रोसीजर है, जिसे पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स से ग्रस्त महिलाओं में किया जाता है। पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स ऐसी स्थिति होती है, जिसमें पेल्विक ऑर्गन (गर्भाशय व मूत्राशय आदि) कमजोर पड़ जाते हैं। पर्याप्त सहारा न मिलने के कारण ये अंग लटकने लगते हैं और नीचे योनि की सतह पर दबाव डालते हैं। दबाव के कारण योनि की सतह बाहर की तरफ निकलने लगती है, जिससे दर्द व अन्य परेशानी होती है और साथ ही यौन जीवन भी प्रभावित हो जाता है।

कॉल्पोरैफी सर्जरी में योनि और पेल्विक अंगों के बीच के ऊतकों को टांके लगाकर मजबूत व स्थिर बना दिया जाता है। इस सर्जरी की मदद से पेल्विक के अंग अपनी जगह पर स्थिर रहते हैं और परिणामस्वरूप पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स के कारण होने वाली समस्याएं ठीक हो जाती हैं। कॉल्पोरैफी सर्जरी को पूरा होने में कम से कम 90 मिनट का समय लगता है और सर्जरी के बाद आपको लगभग दो दिन तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ सकता है। सर्जरी होने के दो से तीन हफ्तों बाद डॉक्टर आपको जांच करवाने के लिए फिर से बुला सकते हैं, ताकि सर्जरी की स्थिति का पता लगाया जा सके।

(और पढ़ें - पेडू में दर्द का इलाज)

  1. कॉल्पोरैफी (योनिभित्तिसीवन) क्या है - What is Colporrhaphy in Hindi
  2. कॉल्पोरैफी (योनिभित्तिसीवन) किसलिए की जाती है - Why is done Colporrhaphy in Hindi
  3. कॉल्पोरैफी (योनिभित्तिसीवन) से पहले - Before Colporrhaphy in Hindi
  4. कॉल्पोरैफी (योनिभित्तिसीवन) के दौरान - During Colporrhaphy in Hindi
  5. कॉल्पोरैफी (योनिभित्तिसीवन) के बाद - After Colporrhaphy in Hindi
  6. कॉल्पोरैफी (योनिभित्तिसीवन) की जटिलताएं - Complication of Colporrhaphy in Hindi

कॉल्पोरैफी किसे कहते हैं?

कॉल्पोरैफी महिलाओं में की जाने वाली एक सर्जरी है, जिसे पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स से निपटने के लिए किया जाता है। पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स ऐसी स्थिति है, जिसमें पेडू के अंग योनि से बाहर की तरफ लटकने लगते हैं। कॉल्पोरैफी को हिन्दी भाषा में योनिभित्तिसीवन कहा जाता है।

पेल्विक में मौजूद अंग जैसे गर्भाशय, मूत्राशय और बड़ी आंत आदि मांसपेशी तंतुओं (मसल फाइबर) और लिगामेंट्स (मजबूत व लचीले ऊतक) की मदद से अपनी जगह पर स्थिर रहते हैं। हालांकि, बच्चे को जन्म देना, मोटापा या लंबे समय से कब्ज रहने जैसी कुछ निश्चित स्थितियों में ये ऊतक कमजोर पड़ जाते हैं। ऐसी स्थितियों में ऊतक पेल्विक के अंगों को उनकी सामान्य जगह पर रखने में असफल हो जाते हैं और परिणामस्वरूप ये अंग योनि की तरफ से बाहर की तरफ लटकने लगते हैं, जिससे दर्द व अन्य तकलीफें होने लगती हैं। पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स कई अलग-अलग प्रकार से हो सकता है, जिनमें निम्न मुख्य हैं -

  • रेक्टोसील - योनि की अंदरूनी सतह में मलाशय का दबाव या उभार होने की स्थिति को रेक्टोसील कहा जाता है
  • यूटेराइन प्रोलैप्स - इसे बच्चेदानी बाहर आना भी कहा जाता है, इसमें गर्भाशय योनि के ऊपरी हिस्से पर लटक कर दबाव डालने लगता है।
  • वेजाइनल वॉल्ट प्रोलैप्स - सर्जरी से गर्भाशय निकालने के बाद योनि का ऊपरी हिस्सा बाहर की तरफ लटकने या निकलने लगना।

पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स से आपके स्वास्थ्य के लिए कोई खतरा नहीं होता है। यदि पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स अधिक गंभीर नहीं है, तो डॉक्टर इससे निपटने के लिए आपको जीवनशैली में कुछ बदलाव करने का सुझाव देते हैं जैसे कब्ज की रोकथाम और शारीरिक वजन कम करना आदि। हालांकि, यदि इससे गंभीर लक्षण हो रहे हैं, जिससे आपकी रोजाना की दिनचर्या प्रभावित हो रही है, तो डॉक्टर कॉल्पोरैफी सर्जरी करने पर विचार करते हैं। 

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कॉल्पोरैफी ऐसी सर्जरी है, जिसमें टांके लगाकर पेडू में मौजूद सहारा प्रदान करने वाले ऊतकों को मजबूत बनाया जाता है, जिससे नीचे की तरफ लटकने वाले पेल्विक अंग अपनी सामान्य जगह पर आ जाते हैं। कॉल्पोरैफी आमतौर पर दो अलग-अलग सर्जिकल प्रक्रियाओं के अनुसार की जाती है, जैसे जिन्हें एंटीरियर कॉल्पोरैफी और पोस्टीरियर कॉल्पोरैफी के नाम से जाना जाता है।

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कॉल्पोरैफी सर्जरी क्यों की जाती है?

यह सर्जरी पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स से ग्रस्त महिलाओं में की जाती है। पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स से ग्रस्त महिलाओं में निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं -

कॉल्पोरैफी सर्जरी किसे नहीं करवानी चाहिए?

यदि महिला को निम्न में से कोई समस्या है, तो डॉक्टर उसकी कॉल्पोरैफी सर्जरी नहीं करते हैं -

  • गंभीर खांसी
  • जलोदर (पेट की पेरिटोनियल कैविटी में द्रव जमा होना, जिससे पेट फूलने लगता है)

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कॉल्पोरैफी करने से पहले क्या तैयारी की जाती है?

आपको सर्जरी से कुछ दिन पहले अस्पताल बुलाया जाता है, जिस दौरान आपकी शारीरिक जांच की जाती है। यदि आपको सर्जरी से पहले या बाद में किसी विशेष देखभाल की जरूरत है या फिर आपको सर्जरी से पहले किसी विशेष इलाज की जरूरत है, तो इस जांच की मदद से उसका पता लगाया जा सकता है। जांच के दौरान डॉक्टर आपसे स्वास्थ्य संबंधी पिछली सभी जानकारी लेते हैं और इंटरनल पेल्विक एग्जामिनेशन करते हैं। इसके अलावा आपके ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट भी किए जा सकते हैं। कॉल्पोरैफी सर्जरी से पहले आपको निम्न की सलाह दी जा सकती है -

  • यदि आप किसी भी प्रकार की दवाएं, हर्बल उत्पाद, विटामिन, मिनरल या अन्य कोई सप्लीमेंट ले रहे हैं, तो डॉक्टर को इसके बारे में बता दें। इनमें कुछ दवाएं व उत्पाद रक्त को पतला करने का काम करते हैं, जिन्हें डॉक्टर कुछ निश्चित समय के लिए न लेने की सलाह देते हैं।
  • यदि आपको किसी दवा, पदार्थ या भोजन आदि से एलर्जी है, तो इस बारे में डॉक्टर को बता दें। ऐसे में वे सर्जरी से पहले ही यह जांच कर सकते हैं कि कहीं आपको एनेस्थीसिया से एलर्जी तो नहीं है। (और पढ़ें - खाने से एलर्जी के लक्षण)
  • यदि आपको बुखार, जुकाम या फ्लू जैसे लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो डॉक्टर को इस बारे में बता दें।
  • यदि आप गर्भवती हैं/हो सकती हैं या फिर गर्भवती होने की योजना बना रही हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को बता दें।
  • यदि आप धूम्रपान या शराब का सेवन करती हैं, तो इस बारे में भी सर्जरी से पहले ही डॉक्टर को बता दें।
  • सर्जरी के दौरान डॉक्टर आपको खाली पेट रहने की सलाह देते हैं, जिसके लिए आपको सर्जरी वाले दिन से पहली आधी रात के बाद कुछ भी न खाने या पीने की सलाह दी जाती है।
  • सर्जरी के लिए अस्पताल जाने से पहले नहा लें और शरीर से सभी आभूषण व मेकअप (जैसे लिपस्टिक व नेल पॉलिश आदि) उतार दें। (और पढ़ें - सर्जरी से पहले की तैयारी)
  • अपने साथ अस्पताल में किसी करीबी रिश्तेदार या मित्र को लेकर जाएं, ताकि सर्जरी से पहले और बाद के कार्यों में आपको मदद मिल सके।
  • अंत में आपको एक सहमति पत्र दिया जाता है, जिस पर हस्ताक्षर करके आप सर्जन को सर्जरी करने की अनुमति दे देती हैं। हालांकि, सहमति पत्र को हस्ताक्षर करने से पहले उसे एक बार अच्छे से पढ़ व समझ लेना चाहिए।

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कॉल्पोरैफी सर्जरी कैसे की जाती है?

जब आप सर्जरी के लिए अस्पताल पहुंचते हैं, तो आपको एक विशेष ड्रेस पहनने के लिए दी जाती है जिसे हॉस्पिटल गाउन कहा जाता है। इसके बाद आपकी बांह या हाथ की नस में सुई लगाकर इंट्रावेनस लाइन शुरू की जाती है। इंट्रावेनस लाइन की मदद से सर्जरी के दौरान आपको आवश्यक द्रव व दवाएं दी जाती हैं। आपके मूत्राशय में एक यूरिनरी कैथेटर भी लगाया जाता है, ताकि सर्जरी के दौरान आपका पेशाब थैली में जमा होता रहे।

कॉल्पोरैफी सर्जरी को आमतौर पर निम्न के अनुसार किया जाता है -

  • सबसे पहले आपको एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया जाएगा, जिससे आप सर्जरी के दौरान गहरी नींद में सोते रहेंगे और आपको कुछ महसूस नहीं होगा। (और पढ़ें - इंजेक्शन लगाने का तरीका)
  • इसके बाद आपके जननांग के बालों को साफ किया जाएगा (यदि आपने पहले से साफ नहीं किए हैं) (और पढ़ें - योनि के बाल साफ करने के तरीके)
  • इसके बाद सर्जिकल प्रक्रिया शुरू की जाती हैं, जिसमें सर्जन सबसे पहले योनि की सतह के ऊपरी या निचले हिस्से में एक चीरा लगाते हैं, जो प्रोलेप्स की स्थिति पर निर्भर करता है।
  • इसके बाद योनि की अंदरूनी सतह और लटके हुए अंगों के बीच के ऊतकों को टांके लगाकर कस दिया जाता है। (और पढ़ें - टांके लगाने के तरीके)
  • ऊतकों की मरम्मत होने के बाद योनि की परत के चीरे को टांके लगाकर बंद कर दिया जाता है और उसके ऊपर वेजाइनल पैक लगा दिया जाता है। वेजाइनल पैक एक प्रकार की पट्टी होती है, जिसे रक्तस्राव रोकने के लिए लगाया जाता है।

कॉल्पोरैफी सर्जरी को पूरा होने में कम से कम 90 मिनट का समय लगता है। सर्जरी में इस्तेमाल किए गए टांके आमतौर पर त्वचा में अवशोषित हो जाते हैं, इसलिए उन्हें निकालने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। सर्जरी के बाद आपको कम से कम एक या दो दिन अस्पताल में रुकना पड़ सकता है। भर्ती रहने के दौरान निम्न प्रक्रियाएं हो सकती हैं -

  • सर्जरी के बाद जब आपको होश आता है, तो हॉस्पिटल स्टाफ आपको थोड़ा बहुत चलने की सलाह देते हैं।
  • आपको कंप्रेशन स्टॉकिंग दी जाती हैं, ताकि रक्त के थक्के न बन पाएं।
  • यदि योनि से रक्तस्राव होने लगता है, तो आपको सेनेटरी पैड्स दिए जाते हैं, ताकि कपड़ों को गंदा होने से बचाया जा सके।
  • सर्जरी के अगले दिन यूरिनरी कैथीटर को भी हटा दिया जाता है।

(और पढ़ें - सेक्स के बाद योनि से ब्लीडिंग का कारण)

कॉल्पोरैफी सर्जरी के बाद देखभाल कैसे करें?

सर्जरी के बाद जब आप छुट्टी लेकर घर चले जाते हैं, तो आपको निम्न तरीके से खुद की देखभाल करनी पड़ती है -

  • डॉक्टर आपको कुछ दवाएं देते हैं, जिनमें संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए एंटीबायोटिक और दर्द कम करने के लिए दर्दनिवारक दवाएं होती हैं। इन दवाओं को कितनी मात्रा में और किस समय लेना है, आदि के बारे में डॉक्टर से पूछ लें।
  • कब्ज के लिए लेक्सेटिव दी जा सकती हैं, ताकि आप बिना जोर लगाएं आसानी से मलत्याग कर सकें।
  • आप रोजाना सामान्य रूप से नहा सकते हैं। हालांकि, आपको टब या पूल में नहाने के लिए डॉक्टर से सलाह लेनी पड़ सकती है।
  • डॉक्टर आपको रोजाना दिन में दो बार योनि के बाहरी व आसपास के हिस्से को साबुन के साथ धोने की सलाह दे सकते हैं। हालांकि, इस बात का ध्यान रखें कि साबुन का पानी योनि के अंदर न जाए। (और पढे़ं - योनि को धोने के तरीके)
  • सर्जरी होने के छह हफ्तों बाद आप अपनी दिनचर्या के सामान्य कार्य शुरू कर सकते हैं। हालांकि, इन हफ्तों में थोड़ा बहुत चल-फिर सकते हैं, लेकिन वजन उठाने या कोई मेहनत वाली शारीरिक गतिविधि करने से आपको परहेज करना होगा।
  • सर्जरी के बाद दो हफ्तों तक आपको योनि से थोड़ा-बहुत रक्तस्राव हो सकता है, जिसके लिए आप सेनेटरी पैड्स का इस्तेमाल कर सकती हैं। जब तक आपके डॉक्टर अनुमति न दें टैम्पोन का इस्तेमाल न करें।
  • ऐसी कोई भी गतिविधि न करें, जो पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स होने के खतरे को बढ़ाती है, जैसे धूम्रपान करना या लंबे  समय तक खड़े रहना आदि।
  • सर्जरी के छह हफ्तों बाद आप यौन गतिविधियां फिर से शुरू कर सकती हैं।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि कॉल्पोरैफी के बाद आपको निम्न में से कोई भी लक्षण महसूस होता है, तो डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए।

(और पढ़ें - पेशाब में खून आने की होम्योपैथिक दवा)

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कॉल्पोरैफी से क्या जोखिम हो सकते हैं?

कॉल्पोरैफी सर्जरी करवाने से निम्न जोखिम व जटिलताएं विकसित हो सकती हैं -

  • अत्यधिक रक्तस्राव होना (जिसमें रक्त चढ़ाने की आवश्यकता पड़ जाती है)
  • सर्जरी के दौरान पेडू में मौजूद कोई अंग क्षतिग्रस्त होना
  • नितंबों में हल्का दर्द रहना
  • सर्जरी के दौरान आपकी पॉजिशन में कुछ बदलाव होने पर नस में क्षति होना
  • टांग या फेफड़ों में रक्त का थक्का जमना (और पढ़ें - रक्त का थक्का जमने का इलाज)
  • आंत में रुकावट होना, जिससे पेट फूलना, पेटदर्द, जी मिचलाना और उल्टी जैसी समस्याएं होने लगती हैं
  • मूत्र पथ में संक्रमण
  • यौन गतिविधियों के दौरान दर्द होना
  • सर्जरी वाले स्थान पर एक स्थायी निशान (स्कार) बन जाना
  • कॉल्पोरैफी के बाद भी पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स की समस्या रहना
  • पेशाब करते समय मूत्राशय को पूरी तरह से खाली न कर पाना
  • अनैच्छिक रूप से पेशाब का रिसाव होना

(और पढ़ें - योनि में दर्द के घरेलू उपाय)

संदर्भ

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  2. National Health Service [Internet]. UK; Pelvic organ prolapse
  3. Michigan Medicine [internet]. University of Michigan. US; Repair of Vaginal Wall Prolapse (Vaginal Vault Prolapse)
  4. Hernandez A, Sherwood ER. Anesthesiology principles, pain management, and conscious sedation. In: Townsend CM Jr, Beauchamp RD, Evers BM, Mattox KL, eds. Sabiston Textbook of Surgery. 20th ed. Philadelphia, PA: Elsevier; 2017:chap 14.
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  9. Wein AJ, Kavoussi LR, Partin AW, Peters CA, eds. Campbell-Walsh Urology. 11th ed. Philadelphia, PA: Elsevier; 2016
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