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प्रत्येक पुरुष का शरीर लगातार शुक्राणुजनन (spermatogenesis) प्रक्रिया के माध्यम से स्पर्म प्रोड्यूस करता रहता है, लेकिन स्पर्म रीजेनरेशन तुरंत नहीं होता. औसतन एक पुरुष को शुरू से अंत तक नए स्पर्म प्रोड्यूस करने में लगभग 74 दिन लगते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि एक महिला को कंसीव करने या कपल को फैमिली प्लानिंग के लिए 3 महीने का इंतजार करना होगा. दरअसल, पुरुष हर रोज स्पर्म प्रोड्यूस करते हैं और ये प्रक्रिया चलती रहती है.

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आज इस लेख में हम जानेंगे कि स्पर्म बनने में कितना समय लगता है. साथ ही एक दिन में पुरुष कितना स्पर्म प्रोड्यूस कर सकते हैं और स्पर्म लेवल पर इजैकुलेशन का क्या प्रभाव पड़ता है -

(और पढ़ें - शुक्राणु की जांच)

  1. स्पर्म प्रोडक्शन प्रक्रिया में कितना समय लगता है?
  2. शरीर एक दिन में कितना शुक्राणु पैदा करता है?
  3. स्पर्म सेल का लाइफ साइकिल क्या होता है?
  4. इजैकुलेशन स्पर्म के स्तर को कैसे प्रभावित करता है?
  5. सारांश
स्पर्म बनने में कितना समय लगता है? के डॉक्टर

स्पर्म के उत्पादन से लेकर उनके मैच्योर होने की पूरी प्रक्रिया को शुक्राणुजनन कहा जाता है. इस पूरी प्रक्रिया को हम नीचे क्रमवार तरीके से समझा रहे हैं -

  • पुरुष के अंडकोष यानि टेस्टिकल्स में स्पर्म का प्रोडक्शन होता है. प्यूबर्टी स्तर पर पहुंचने के बाद प्रत्येक पुरुष हर दिन लाखों स्पर्म सेल्स प्रोड्यूस कर सकता है. 
  • शुक्राणुजनन के एक पूरे साइकिल को पूरा करने में लगभग 74 दिन लगते हैं. इस दौरान स्पर्म प्रोडक्शन के साथ-साथ स्पर्म मैच्योर भी होते हैं. दरअसल, टेस्टिकल में स्पर्म के बनने में औसतन 50-60 दिन लगते हैं. इसके बाद, स्पर्म एपिडीडिमिस (epididymis) में चला जाता है. एपिडीडिमिस टिश्यू और रक्त वाहिकाओं से मिलकर बनी एक ट्यूब होती है.
  • एपिडीडिमिस में स्पर्म को पूरी तरह से मैच्योर होने में लगभग और 14 दिन का समय लगता है. ऐसे में कुल मिलाकर स्पर्म के प्रोडक्शन में लगभग 74 दिन का समय लग सकता है. 
  • शुक्राणुजनन के दौरान, पुरुष के टेस्टिकल्स प्रतिदिन कई मिलियन स्पर्म बनाते हैं. एक अनुमान के अनुसार लगभग 1,500 प्रति सेकंड.
  • स्पर्म प्रोडक्शन के एक पूरे साइकिल में शुरुआत से अंत तक लगभग 8 अरब स्पर्म को पुरुष फिर से प्रोड्यूस कर सकते हैं. यह बहुत अधिक लग सकता है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि 1 मिलीलीटर सीमेन में 20 से 300 मिलियन स्पर्म सेल्स होते हैं.

(और पढ़ें - शुक्राणु की कमी)

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इस सवाल का जवाब भी आप यहां सिलसिलेवार तरीके से जान पाएंगे -

  • एक रिसर्च के अनुसार पुरुष एक सेकंड में 1500 स्पर्म प्रोड्यूस कर सकते हैं. अगर हम कैलकुलेट करें, तो एक मिनट में पुरुष 90,000 स्पर्म प्रोड्यूस कर सकते हैं. इस अनुसार एक घंटे में 54,00,000 और 24 घंटे में 129,600,000 स्पर्म प्रोड्यूस कर सकते हैं. 
  • वहीं, स्पर्म की क्वालिटी और काउंट उम्र के साथ घटती जाती है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ पुरुष के स्पर्म में म्यूटेशन अधिक हो सकता है, जिससे स्पर्म प्रोडक्शन में कमी आ सकती है.
  • हेल्थ और लाइफस्टाइल जैसे अन्य कारक भी स्पर्म प्रोडक्शन व उसकी गुणवत्ता दोनों को प्रभावित कर सकते हैं.
  • लगभग 1% पुरुष और इनफर्टिलिटी का सामना करने वाले 10-15% लोगों में इजैकुलेशन के दौरान स्पर्म नहीं होता. डॉक्टर इस स्थिति को एजुस्पर्मिया (azoospermia) कहते हैं. 
  • कुछ पुरुष थोड़ा भी या फिर बिल्कुल भी स्पर्म प्रोड्यूस ही नहीं करते हैं. यह अक्सर टेस्टिकल्स या फिर एंडोक्राइन सिस्टम (endocrine system) से जुड़ी समस्या के कारण होता है.

(और पढ़ें - शुक्राणु बढ़ाने के घरेलू उपाय)

इसका विस्तृत रूप में नीचे बिंदुवार तरीके से बताया गया है -

  • स्पर्म एक बार बनने और पूरी तरह से विकसित होने के बाद एपिडीडिमिस में रहता है. फिर जब कोई पुरुष इजैकुलेट करता है, तो ये बाहर आ जाते हैं. पुरुष के शरीर से बाहर आते ही स्पर्म कुछ ही मिनटों में मर सकते हैं.
  • महिला के शरीर के अंदर स्पर्म 3-5 दिन तक जीवित रह सकता है. अगर महिला की बॉडी सर्वाइकल म्यूकस का प्रोडक्शन कर रही है, तो म्यूकस स्पर्म के पोषण और सुरक्षा में मदद करता है, साथ ही उनके लिए अंडे तक पहुंचने की राह को आसान बनाता है.
  • यहां एक बात और स्पष्ट कर दें कि अगर कोई पुरुष इजैकुलेट नहीं करता है, तो बॉडी स्पर्म को फिर से अब्सॉर्ब कर लेती है.

(और पढ़ें - शुक्राणु बढ़ाने के लिए क्या खाएं)

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एक पुरुष द्वारा सभी स्पर्म इजैकुलेट नहीं किए जाते हैं. आइए, इसे समझने का प्रयास करते हैं - 

  • शरीर में हर समय अधिक मात्रा में स्पर्म का उत्पादन होता रहता है. ऐसे में कई बार इजैकुलेट करने पर भी पुरुष के सीमन में स्पर्म मौजूद रहता है.
  • वहीं, अगर कई दिनों तक पुरुष इजैकुलेट नहीं करता है, तो उस परिस्थिति में उनके स्पर्म काउंट में मामूली वृद्धि होती है. दूसरी ओर बहुत अधिक बार इजैकुलेट करने पर स्पर्म काउंट कम हो सकता है, लेकिन अगर पुरुष हेल्दी है, तो उनकी फर्टिलिटी पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.
  • स्पर्म की क्वालिटी और काउंट पर इजैकुलेशन के प्रभावों को देखने के लिए 2015 में एक स्टडी की गई. इसमें प्रतिदिन इजैकुलेट करने वाले पुरुषों में स्पर्म की संख्या में गिरावट देखी गई. वहीं, स्पर्म की गुणवत्ता के साथ-साथ स्पर्म के आकार, तैरने की क्षमता और एकाग्रता पर बार-बार इजैकुलेशन का कोई खास प्रभाव नहीं दिखा.
  • इन तमाम स्टडीज से यह पता चलता है कि कम प्रजनन क्षमता वाले पुरुषों में बार-बार इजैकुलेशन करने से स्पर्म काउंट बहुत हद तक कम हो सकता है. इससे उनके पिता बनने की संभावना भी कम हो सकती है. हालांकि, अधिकांश पुरुषों के साथ ऐसा नहीं होता है और फर्टिलिटी पर इजैकुलेशन का प्रभाव नहीं पड़ता है. 

(और पढ़ें - शुक्राणु की कमी का आयुर्वेदिक इलाज)

शुरू से अंत तक, पुरुष शरीर को नए स्पर्म सेल्स के प्रोडक्शन में औसतन 74 दिन लगते हैं. स्पर्म के प्रोडक्शन और मैच्युरेशन की पूरी प्रक्रिया को शुक्राणुजनन कहा जाता है. वहीं, औसतन पुरुष 24 घंटे में 129,600,000 स्पर्म प्रोड्यूस कर सकता है. अगर कोई पुरुष द्वारा इजैकुलेट नहीं किया जाता है, तो बॉडी स्पर्म को फिर से अब्सॉर्ब कर लेती है, लेकिन पुरुष के शरीर के बाहर आने पर स्पर्म कुछ ही मिनटों में मर जाता है. स्पर्म की क्वालिटी और स्पर्म काउंट व्यक्ति के डाइट और लाइफस्टाइल से प्रभावित हो सकता है. ऐसे में स्पर्म को हेल्दी रखने के लिए अच्छा खाएं, एक्टिव रहें और अनहेल्दी चीजों से बचें.

(और पढ़ें - शुक्राणु की कमी का होम्योपैथिक इलाज)

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