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वात्स्यायन कृत प्राचीन भारतीय ग्रंथ 'कामसूत्र' आमलोगों में काफी लोकप्रिय है। इसके बारे में लगभग सभी जागरूक लोगों ने सुना होगा, जिनमें से कई इस ग्रंथ को पढ़ना भी चाहते हैं। आपको बता दें कि यह ग्रंथ मात्र यौन जीवन के बारे में ही जानकारी नहीं देता, बल्कि इसमें यौन क्रियाओं के अलावा पुरुष और महिला के रिश्तों के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं व कर्तव्यों के बारे में भी बताया गया है। इसमें कई ऐसे पहलुओं को उजागर किया गया है, जिसके बारे में आप और हम विचार भी नहीं कर सकते हैं। 

यौन संबंध मानव जीवन का एक अभिन्न अंग है। जीवन के इस महत्वपूर्ण पहलू को आप अनुभव और ज्ञान के द्वारा ही बेहतर और आनंदित बना सकते हैं। कामसूत्र पर लोगों की उत्सुकता को देखते हुए हम इस ग्रंथ के बारे में विस्तार से बता रहें हैं। जिसमें कामसूत्र क्या है, कामसूत्र में क्या लिखा गया है, इससे जुड़े मिथक, कामसूत्र दुनिया भर में क्यों प्रचलित है और कामसूत्र के यौन आसन आदि के बारे में नीचे बताया जा रहा है। 

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  1. कामसूत्र क्या है? - What is Kamasutra in Hindi
  2. कामसूत्र से जुड़े मिथक - Myths related to Kamasutra in Hindi
  3. कामसूत्र पुस्तक - Kamasutra book in Hindi
  4. कामसूत्र दुनियाभर में प्रचलित कैसे हुआ? - How Kamasutra became popular worldwide in Hindi
  5. कामसूत्र और सेक्स - Kamasutra and sex in Hindi
  6. कामसूत्र का महत्व आज के समय में - Kamasutra's importance today in Hindi
  7. कामसूत्र के आसन - Kamasutra ke aasan in Hindi
यौन रोग के डॉक्टर

कामसूत्र प्राचीन भारतीय ग्रंथों में से एक है। कई शताब्दियों पूर्व, भारतीय परिवेश व लोगों के आपसी संबंधों के बारे में इसमें विस्तार पूर्वक बताया गया है। कामसूत्र प्यार के सच्चे स्वरूप को बताने वाला वैज्ञानिक ग्रंथ है, जिसका लक्ष्य समाज में महिला व पुरुष के रिश्ते के सभी पहलुओं व कर्तव्यों को उजागर करना है। 'कामशास्त्र' शब्द का अर्थ समझाया जाए, तो इसका सीधा अर्थ 'काम के सिद्धान्त को बताने वाला ग्रंथ' निकलता है। इसमें मौजूद 'काम' शब्द का मतलब शारीरिक और भावनात्मक संतुष्टि बताया गया है।

महर्षि वात्स्यायन ने संस्कृत भाषा में कामसूत्र को लिखा था। कामसूत्र दुनियाभर में 'काम क्रिया' पर लिखा गया पहला ग्रंथ माना जाता है। महर्षि वात्स्यायन के बारे में इतिहास में कोई पुख्ता जानकारी मौजूद नहीं है परंतु वात्स्यायन के बारे में विद्वानों ने दक्षिण-पश्चिम भारत में स्थित खजुराहों की मूर्तिकला को देखते हुए अंदाजा लगाया है कि वह इसी स्थान पर रहते होंगे। गुप्तकाल के समय साहित्य और वास्तुकला का विकास हुआ था, इसीलिए महर्षि वात्स्यायन के द्वारा रचित कामसूत्र को इसी समय का माना जाता है।

महर्षि वात्स्यायन द्वारा कामसूत्र को लिखने का उद्देश्य मात्र यौन संबंधों को उजागर करना नहीं था। उन्होंने काम आनंद के गंभीर विषय पर सैद्धांतिक व वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विचार करते हुए इस ग्रंथ की रचना की थी। इस ग्रंथ में इस तरह के आनंद को पाने के सभी पहलुओं व कर्तव्यों के बारे में बताया गया है।

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आज कामसूत्र को लेकर लोगों मे कई तरह के मिथक प्रचलित है, जबकि सही मायने में कामसूत्र लोगों के जीवन को सरल बनाने के लिए लिखा गया था। परंतु, इसके अनुवाद के बाद इस ग्रंथ को केवल सेक्स व सेक्स पोजीशंस को ही बताने वाली पुस्तक के रूप में दिखाया गया, जिसके कारण दुनियाभर में कामसूत्र को लेकर कई तरह के मिथक बन गए। नीचे उन्हीं मिथकों के बारे में बताया जा रहा है -

यौन आसनों के बारे में बताता है

आज अधिकतर लोगों का यह मानना है कि कामसूत्र केवल सेक्स पोजीशन्स के बारे में बताता है, जबकि असल में ऐसा नहीं है। कामसूत्र का मात्र 20 प्रतिशत हिस्सा ही इस पक्ष को उजागर करता है। इसके अलावा इस ग्रंथ में महिला व पुरुषों के संबंधों व कर्तव्यों पर अधिक गहराई से चर्चा की गई है। कामसूत्र के मात्र एक भाग में 64 आसनों के बारे में बताया गया है, लेकिन इन यौन आसनों के अलावा इसमें काम भावना की उत्पत्ति, कामेच्छा को जागृत करने, काम क्रिया किस तरह से अच्छी या बुरी होती है संबंधी बातों के बारे में भी बेहद सरल तरीके से बताया गया है।

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सेक्स ग्रंथ मानना

आपको बता दें कि महर्षि वात्स्यायन ने इसमें ‘काम’ के बारे में लिखा है। आज लोग ‘काम’ को मात्र यौन आनंद व सेक्स समझ लेते है, जबकि इसमें ‘काम’ के अंतर्गत भावनाओं और इंद्रियों के द्वारा महसूस होने वाले आनंद को शामिल किया गया है। जैसे- किसी नरम कपड़े का त्वचा पर छूना, संगीत की मुधर तान, सुगंध व किसी चीज खाने पर मिलने वाला आनंद आदि को ‘काम’ का ही एक रूप कहा जा सकता है। कामसूत्र के मात्र एक भाग में यौन संबंधों को बनाने से संबंधित बातें लिखी गई हैं।

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प्रचलन में न होना

कई लोगों में मिथक है कि कामसूत्र वर्तमान समय के अनुसार प्रचलन से बाहर हो चुका है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। कई सौ वर्ष पूर्व लिखे जाने के बाद भी यह वर्तमान समय में उपयोगी है। बेशक आज मानव जीवन के कई क्षेत्रों में उन्नति की जा चुकी हो, परंतु किसी के प्रति भावनाओं का जागृत होना या महिला व पुरुष के संबंधों की आधारशीला आज भी पहले की ही तरह है।

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तांत्रिक ग्रंथ समझना

हमारे समाज में कई लोग ऐसे भी हैं जो कामसूत्र को यौन क्रिया के साथ ही साथ तांत्रिक ग्रंथ भी समझते हैं, जबकि सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। कामसूत्र में मात्र समाज में महिला व पुरुष के संबंधों और काम को विस्तार से वर्णित किया गया है। यह कोई तांत्रिक ग्रंथ नहीं है।

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इस ग्रंथ को महर्षि वात्स्यायन ने सात अध्यायों में लिखा है। इसमें व्यक्ति के दाम्पत्य जीवन को सरल बनाने व उसके कर्तव्यों के विषय में विस्तार से समझाया गया है। महिला व पुरुष किस तरह से अपने रिश्ते को मधुर और सुखी बना सकते हैं, इस बारे में कामसूत्र गहराई से बताता है। सेक्स के दौरान व्यक्ति को किस तरह का आचरण करना चाहिए व किन आसनों की मदद लेनी चाहिए, इसकी संपूर्ण जानकारी कामसूत्र प्रदान करता है। इस ग्रंथ के बारे में लोगों में कई भ्रांतियां फैली हुई है, इस भ्रांतियों को ही दूर करने के लिए हम आपको इसके सार के बारे में बता रहें हैं। महर्षि वात्स्यायन ने इसको सात भागों में बांटा है। जिसमें कुल 36 अध्याय तथा 1250 श्लोक लिखे गए हैं। तो आइये संक्षिप्त में जानते हैं कि इसके सात भागों में क्या बताया गया है।

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  1. भूमिका इस प्रथम भाग में पांच अध्याय हैं। जिसमें प्रेम व निकटता के बारे में बताया गया है। इसके अलावा पुरुष व महिला के लिए प्रेम का मतलब और इसको वर्गीकृत करके समझाया गया है।
  2. यौन क्रिया के बारे में इस भाग में दस अध्यायों को शामिल किया गया है। जिसमें महिला व पुरुष की यौन इच्छाओं, गले लगने के तरीकों, किस करना, नाखूनों का इस्तेमाल, दांतों से साथी के शरीर पर निशान बनाना, सेक्स के दौरान महिलाओं की पीड़ा, महिलाओं के साथ किया जाने वाला विनम्र व्यवहार, ओरल सेक्स, सेक्स को शुरु करने के तरीके व इसके अंतिम चरण के बारे में बताया गया है। इसके अलावा इस भाग में 64 यौन आसन (सेक्स पोजीशन्स) का भी जिक्र किया गया है।
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  3. पत्नी के बारे में – इस भाग में पांच अध्याय लिखे गए हैं। जिसमें पुरुषों को शादी से जुड़ी कुछ जरूरी सलाह दी गई है। इसके साथ ही साथ महिला को शादी के लिए तैयार करने के विषय पर भी बताया गया है।
  4. पत्नी का आचरण इस भाग में दो अध्याय है। यह भाग पूरी तरह से पत्नियों के आचरण व व्यवहार को बताता है। (और पढ़ें - सेक्स पोजीशन)
  5. अन्य की पत्नियों के बारे में इस भाग में छह अध्याय हैं। इसमें राजाओं के द्वारा अन्य लोगों की पत्नियों की ओर आकर्षित होने की बात को बताया गया है।
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  6. वेश्याओं के बारे में- इस भाग में छह अध्याय हैं, जो बताते हैं कि महिलाएं पैसों को पाने के लिए मर्दों के साथ किस प्रकार प्रेम करती हैं।
  7. सम्मोहित करने के बारे में इस भाग में दो अध्याय है। इनमें किसी को अपनी ओर आकर्षित करने की क्रिया के बारे में बताया गया है।

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कामसूत्र की अनुवादित पुस्तकों में विभिन्न सेक्स पोजीशन्स को फोटो के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है, जबकि मूल ग्रंथ को ऐसा नहीं किया गया था। इस तरह के अनुवादित पुस्तकों से ज्यादातर पाठकों का ध्यान कामसूत्र की मुख्य पृष्ठभूमि पर गया ही नहीं और वह इस ग्रंथ में बताए गए महिला व पुरुष के संबंधों की आत्मियता, काम व कर्तव्यों के बारे में गहराई से नहीं समझ पाए। इसकी जगह पर पाठकों का ध्यान केवल सेक्स पोजीशंस और उस दौरान की जाने वाली क्रियाओं पर ही केंद्रित होकर रह गया।

वर्ष 1970 के बाद पोर्न इंडस्ट्री ने कामसूत्र को आधार बनाते हुए कई फिल्मों का निर्माण करना शुरू कर दिया और वह कामसूत्र की सेक्स पोजीशंस को प्रचलित करने लगे। इसका परिणाम यह हुआ कि मात्र सेक्स पोजीशंस की पुस्तक के रूप में कामसूत्र पहचाना जाने लगा। इस रूप में कामसूत्र आज दुनियाभर में प्रचलित है।

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कामसूत्र में मनुष्य के आनंद की अनुभूतियों में यौन क्रियाओं को भी शामिल किया गया है। इसमें सेक्स के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसके साथ ही साथ कामसूत्र महिला व पुरुष द्वारा सेक्स के दौरान की जाने वाली क्रियाओं व आचरण को भी गहराई से बताता है। कामसूत्र व सेक्स का जुड़ाव निम्न तरीके से समझा जा सकता है -

सेक्स क्या है?

कामसूत्र के अनुसार सेक्स प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें महिला व पुरुष न सिर्फ शारीरिक रूप से एक दूसरे से जुड़ते हैं, बल्कि वह मानसिक और आत्मिक रूप से भी एक दूसरे से संबंध स्थापित करते हैं। सेक्स के दौरान भावनाओं का अहम रोल होता है। इसको केवल शारीरिक क्रिया मान लेना बेहद गलत है। इसमें पुरुष को अपनी संतुष्टि के साथ ही महिला की संतुष्टि का पूरा ध्यान रखना होता है।

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सेक्स के लिए क्या जरूरी है?

कामसूत्र के मुताबिक सेक्स ऐसे कमरे में करना चाहिए जिसमें चारों ओर हल्की सुगंध व रोशनी हो, यह माहौल आपके निजी पल को और खास बना देता है। दम्पति को सेक्स क्रिया से पूर्व अपनी सभी चिंताओं को भूल जाना चाहिए। इस समय महिला व पुरुष को अपने दिमाग व भावनाओं को केवल प्रेम पर एकाग्र करना चाहिए। प्रेम और भावनाओं के साथ किया गया सेक्स दोनों ही साथियों को पूर्ण संतुष्टि प्रदान करता है।

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सेक्स करने का तरीका

इस विषय पर कामसूत्र में विस्तार से समझाया गया है। इसको अध्याय दो में 64 यौन आसनों के माध्यम से बताया गया है। कामसूत्र के कई अनुवादों में केवल सेक्स पोजीशंस पर ही जोर दिया गया है, जबकि कामसूत्र के मूल रूप में इसको करने के तरीके, कई अन्य तरह से भी प्रस्तुत किया गया है। 

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कुछ समय पहले जहां लोग सेक्स के बारे में बात करने तक से कतराते थे, वहीं आज का युवा वर्ग इस विषय को विस्तार से जानने का इच्छुक है। आज युवा कामसूत्र को सेक्स विषय में शिक्षित करने वाली पुस्तक मानते हैं। इसके सही अनुवाद को पढ़ने से युवाओं को सेक्स करने के तरीकों को समझने के साथ ही साथ महिला व पुरुष के रिश्तों के अन्य कर्तव्यों के बारे में भी जानने का मौका मिलता है। इससे लोग सेक्स के दौरान की जाने वाली गलतियों से बच जाते हैं और चरमसुख आसानी से प्राप्त करते हैं। कामसूत्र से लोगों के जीवन की यौन क्रियाओं में सकारात्मक प्रभाव होता है। इस ग्रंथ की सहायता से महिला व पुरुष दोनों ही अपनी-अपनी भूमिका को आसानी से समझ पाएं हैं।

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कामसूत्र के दूसरे भाग में सेक्स के लिए जरूरी तरीकों के बारे में बताया गया है। जिसमें यौन इच्छाओं, गले मिलने के तरीके, चुंबन (किस), नाखूनों व दांतों का सेक्स में प्रयोग करना, सेक्स करते समय महिलाओं को होने वाले दर्द, पुरुषों का विनम्र व्यवहार, ओरल सेक्स आदि के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है। इसमें 64 यौन आसनों को शामिल किया गया है। इन 64 यौन आसानों में से सेक्स के दौरान प्रयोग में लाए जानें वाले 21 आसनों को हमने चित्र के माध्यम से प्रस्तुत किया है। इनके नाम नीचे सूची में दिए गए हैं -

  1. उत्फुल्लक (utphallaka)
  2. इंद्राणिक (Indranika)
  3. वेष्टितक (veshititaka) 
  4. विजृम्भितक(vijrimbhitaka) 
  5. बाड़वक (vadavaka) 
  6. वेणुदारितक (venudaritaka)
  7. शूलाचितक (shulachitaka) 
  8. पद्मासन (padmasana) 
  9. परावृत्तक (paravrittaka) 
  10. स्थिररत (sthitarata) 
  11. अवलम्बितक (avalambitaka)
  12. धेनुक (dhenuka)
  13. कृषक (Peasant) 
  14. भुग्नक (bhagnaka)
  15. जृम्भितक (jrimbhitaka)
  16. पार्शव संपुट (parshva samputa)
  17. उत्तान संपुट (uttana samputa)
  18. उत्पी‍ड़ितक (utpiditaka)

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