वैसे तो दर्द हम सभी के जीवन के हिस्से की तरह है लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान यह कथन और भी ज्यादा सत्य महसूस होने लगता है। अपने जिगर के टुकड़े को 9 महीने तक कोख में पालने का अनुभव किसी भी मां के लिए दुनिया का सबसे अच्छा अनुभव होता है। साथ ही प्रेगनेंसी से गुजर चुकी हर महिला इस बात को भी जरूर स्वीकार करेंगी कि गर्भावस्था के दौरान उन्हें कई तरह की समस्याओं और दर्द का सामना करना पड़ता है। 

ब्रेस्ट में सूजन और दर्द की समस्या हो या फिर गर्भावस्था के दौरान राउंड लिगामेंट में दर्द, गर्भाशय में संकुचन की दिक्कत हो या डिलिवरी के वक्त होने वाला लेबर पेन। गर्भवती महिलाओं को अपने गर्भकाल के दौरान कई तरह की परेशानियां होती हैं जिसका वे पूरी दृढ़ता के साथ सामना करती हैं। गर्भवती महिलाओं को अनुभव होने वाले कई तरह के दर्द में से एक है- कमर और पीठ का दर्द। साल 2019 में एनेस्थीसिया एसेज एंड रिसर्चेज में प्रकाशित एक स्टडी की मानें तो करीब 25 से 90 प्रतिशत महिलाओं को गर्भावस्था से जुड़े कमर के निचले हिस्से में होने वाले दर्द का अनुभव होता है और इस दर्द की शुरुआत आमतौर पर प्रेगनेंसी के 20वें हफ्ते से लेकर प्रेगनेंसी के 28वें हफ्ते के बीच होती है।

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लेकिन जब कमर के निचले हिस्से का यह दर्द (लोअर बैक पेन) साइटिक नस में होने वाले दबाव के कारण होता है, गर्भवती महिलाओं के लिए दर्द से भरा यह अनुभव असहनीय हो जाता है। साइटिक नस, मानव शरीर की सबसे बड़ी नस या तंत्रिका है और निचले रीढ़ में उत्पन्न होने वाली पांच नसों की  जड़ों के मिलने से बनती है। साइटिक नस, रीढ़ की हड्डी को त्वचा से जोड़ती है और साथ ही में जांघ, टांग और पैरों की मांसपेशियों को भी और गर्भाशय के नीचे से होते हुए नितंबों के माध्यम से नीचे पैरों तक जाती है।

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ऐसे में गर्भावस्था के दौरान जब महिला का गर्भाशय बड़ा होने लगता है तो यह साइटिक नस ही वह प्राइम लोकेशन बन जाती है जहां पर अत्यधित दबाव पड़ता है। इसकी सबसे बुरी बात ये है कि पूरी प्रेगनेंसी के दौरान आपका गर्भाशय बढ़ते हुए शिशु को समायोजित करने के लिए बढ़ता रहेगा जिसका अर्थ है कि साइटिक नस पर पड़ने वाला दबाव भी बढ़ता रहेगा। लेकिन, अच्छी बात यह है कि आपके बच्चे के जन्म के तुरंत बाद आपको इस दर्द से राहत मिल सकती है क्योंकि आपका गर्भाशय अपने सामान्य आकार में वापस आ जाता है। हालांकि ऐसे कई उपाय और तरीके हैं जिनकी मदद से गर्भावस्था के दौरान होने वाले इस साइटिका दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है।

  1. प्रेगनेंसी के दौरान साइटिक दर्द होने का कारण क्या है? - Pregnancy me sciatic dard hone ka karan
  2. क्या गर्भावस्था के दौरान होने वाला कमर दर्द और साइटिका दर्द दोनों एक ही है? - Kya pregnancy me kamar dard aur sciatic dard ek hi hai?
  3. गर्भावस्था के दौरान साइटिक दर्द के लक्षण - Pregnancy me sciatic pain ke lakshan
  4. प्रेगनेंसी के दौरान साइटिक दर्द से बचने के टिप्स - Pregnancy me sciatic pain se bachne ke tips
  5. प्रेगनेंसी के दौरान साइटिक दर्द के लिए घरेलू नुस्खे - Pregnancy me sciatic dard ke gharelu nuskhe
  6. प्रेगनेंसी में दर्द होने पर डॉक्टर से कब संपर्क करें? - Pregnancy me dard hone par doctor ke pass kab jaye?
गर्भावस्था के दौरान साइटिका का दर्द के डॉक्टर

साइटिक तंत्रिका, शरीर की सबसे लंबी तंत्रिका है जो गर्भाशय के नीचे से शुरू होती है और नितंबों के माध्यम से चलती हुई दोनों पैर के नीचे की तरफ इसकी शाखाएं जाती हैं। साइटिक तंत्रिका में होने वाले दर्द का सबसे आम कारण है- स्लिप डिस्क जिसे हर्निएटेड डिस्क भी कहते हैं, रीढ़ की हड्डी में किसी तरह की गांठ या संकुचन- इन सभी कारणों से तंत्रिका पर दबाव और सिकुड़न बढ़ती है।

(और पढ़ें- साइटिका के घरेलू उपाय)

साइटिक तंत्रिका में दर्द के सभी कॉमन कारण हैं लेकिन यही सेम दर्द अगर गर्भावस्था के दौरान हो तो इसका कारण बिलकुल अलग हो सकता है। आप भले ही यह सोचें कि बच्चे के बढ़ते वजन की वजह से आपको सीधे तौर पर साइटिक तंत्रिका में दर्द हो रहा है लेकिन यह सच नहीं है। इसकी और अधिक व्यवहार्य स्पष्टीकरण ये है कि प्रेगनेंसी हार्मोन्स पेट के निचले क्षेत्र में मौजूद लिगामेंट्स को कभी ढीला करते हैं, कभी स्ट्रेच करते हैं क्योंकि गर्भाशय बढ़ते शिशु को समायोजित करने के लिए उसी अनुपात में बढ़ता है। इन लिगामेंट्स का कार्य रीढ़ की हड्डी को सपोर्ट करना और स्थिर रखना है, लेकिन एक बार जब ये लिगामेंट्स स्ट्रेच हो जाते हैं यह सपोर्ट अस्थिर हो जाता है।

बदले में यह साइटिक तंत्रिका को संकुचित करता है, उस पर दबाव बनाता है जिससे साइटिक तंत्रिका दर्द होने लगता है। गर्भ में पल रहे शिशु का वजन और उसकी पोजिशन पहले से ही संकुचित तंत्रिका पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे दर्द और अधिक तीव्र हो जाता है।

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कमर के निचले हिस्से में होने वाला दर्द प्रेगनेंसी के सबसे कॉमन लक्षणों में से एक है और यह कई कारणों से हो सकता है जिसमें गर्भवती महिला का बढ़ता वजन, संतुलन में कमी, पेट के बढ़ने की वजह से गलत पॉस्चर, वेरिकोज वेन्स आदि शामिल है। साइटिक तंत्रिका दर्द वास्तव में पीठ के निचले हिस्से के दर्द के दुर्लभ क्लिनिकल स्थितियों में से एक है जो विशेष रूप से साइटिक तंत्रिका में होने वाले संकुचन और दबाव के कारण होता है। इसी तरह, वैरिकोज वेन्स की समस्या होने पर भी पीठ के निचले हिस्से और पैरों में दर्द हो सकता है, लेकिन इसका कारण निम्न वेना कावा में होने वाला दबाव है।

आखिर यह कैसे कहा जा सकता है कि आपको जो दर्द हो रहा है वह किसी और कारण से नहीं बल्कि साइटिक तंत्रिका से जुड़ा है? इसे पता लगाने के सबसे आसान तरीका ये है कि पहले यह चेक करें कि आपकी टांगों में, वल्वा या रेक्टम में वेरिकोज वेन्स की समस्या है या नहीं और फिर दर्द की निगरानी करें कि वह रीढ़ में शुरू होकर पैरों की तरफ जा रहा है या नहीं। हालांकि सबसे अच्छा तरीका यही होगा कि आप अपनी ऑब्स्ट्रेटिशन से बात करें और सही तरीके से अपनी जांच करवाएं।

(और पढ़ें- साइटिका से निजात पाने के लिए करें ये एक्सरसाइज)

चूंकि पीठ और कमर में दर्द प्रेगनेंसी का सबसे कॉमन लक्षण है इसलिए कई बार गर्भवती महिलाओं को यह पता ही नहीं चलता कि वे साइटिक तंत्रिका दर्द से पीड़ित हैं, सामान्य कमर दर्द से नहीं। यही कारण है कि साइटिका का दर्द प्रेगनेंसी के दौरान क्यों और कैसे उभरता है इसकी जानकारी रखना जरूरी है। साइटिक तंत्रिका दर्द में अक्सर बेहद तेज और जलन वाली दर्द की शुरुआत होती है जो हिप से शुरू होकर पैरों तक जाता है और एक समय में सिर्फ एक साइड में ही होता है। इस समस्या के मुख्य लक्षण हैं:

  • कुल्हों या पैरों कि किसी एक साइड में नियमित रूप से बहुत तेज दर्द बने रहना
  • दर्द आपके नितंबों के पीछे की तरफ से निकलता है और जांघ के पीछे के हिस्से में और पैर के नीचे तक अनुभव किया जा सकता है- मूल रूप से साइटिक तंत्रिका के साथ।
  • यह दर्द बहुत तेज, तीखा और जलन के साथ होता है।
  • प्रभावित टांग और पैर में सुन्नता, झुनझुनी, पिन या सुई जैसी चुभन या कमजोरी भी महसूस हो सकती है।
  • चलने, खड़े होने या बैठने में कठिनाई होना।

(और पढ़ें- साइटिका की आयुर्वेदिक दवा और इलाज)

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प्रेगनेंसी के दौरान साइटिक दर्द से बचने के लिए आप कई चीजें कर सकती हैं। याद रखें कि आपको अपनी गतिविधियों को आसान रखना है और ऐसी ऐक्टिविटी में शामिल न हों जिसमें बहुत ज्यादा मेहनत करने की जरूरत पड़े। इसके अलावा इन टिप्स को अपनाएं:

  • जमीन से कुछ उठाते वक्त अपने दोनों घुटनों को मोड़ें और अपनी पीठ को बिलकुल सीधा रखें।
  • भारी चीजों को उठाने से बचें।
  • सिर्फ अपनी कमर या हिप को घुमाने से बचें। मुड़ते वक्त साथ में पैरों को भी घुमाएं ताकि रीढ़ की हड्डी ट्विस्ट न हो जाए।
  • हील वाले फुटवेअर पहनने की बजाए फ्लैट शूज पहनें ताकि आपका वजन दोनों टांगों और पैरों पर बराबर रूप से बंटा हो।
  • गर्भावस्था के दौरान कंधे के एक साइड पर बैग न टांगे क्योंकि ऐसा करने से आपका वजन समान रूप से नहीं बंटेगा। अगर आप शॉपिंग बैग उठा रही हैं तो दोनों हाथों में बराबर मात्रा में समान वजन उठाएं ताकि संतुलन बना रहे।
  • काम करने के दौरान, घर में या ट्रैवल करते वक्त अपनी पीठ को सीधा रखें और उसे दीवार, कुर्सी या तकिए से सपोर्ट दें। आप चाहें तो मैटरनिटी सपोर्ट पिलो भी यूज कर सकती हैं।
  • जैसे-जैसे प्रेगनेंसी आगे बढ़ती है अपने आराम के समय को भी आगे बढ़ाएं।
  • आप जिस गद्दे पर सोती हैं वह मजबूत और स्थिर होना चाहिए। अगर गद्दा ज्यादा सॉफ्ट है तो उसे थोड़ा मजबूत करने के लिए हार्डबोर्ड का इस्तेमाल करें।

(और पढ़ें- गर्भावस्था में नाभि में दर्द क्यों होता है)

सिंपल सी बात ये है कि अगर आप गर्भावस्था के दौरान साइटिका दर्द से पीड़ित हैं तो यह तब तक पूरी तरह से ठीक नहीं होगा जब तक बच्चे की डिलिवरी नहीं हो जाती और एक बार डिलिवरी हो जाए उसकी बाद सारी चीजें प्रेगनेंसी से पहले वाली अवस्था में चली जाती हैं। आप ऊपर बताए गए टिप्स को अपना सकती हैं ताकि आपका दर्द और न बढ़े और नीचे बताए जा रहे उपायों और नुस्खों को अपनाकर घर पर ही साइटिका के दर्द को बढ़ने से रोक सकती हैं।

(और पढ़ें- प्रेगनेंसी में हो ज्यादा खुजली तो हो सकती है ऑब्स्टिट्रिक कोलेस्टेसिस की समस्या)

आप चाहें तो डॉक्टर से बात करके अपने दर्द को मैनेज करने के लिए दवाइयों का सेवन कर सकती हैं लेकिन ज्यादातर महिलाएं गर्भावस्था के दौरान दर्दनिवारक दवाइयों का सेवन करने से परहेज करती हैं क्योंकि उन्हें प्रेगनेंसी में जटिलाओं का डर रहता है। ऐसे में आप बेहद आसान घरेलू नुस्खों को अपनाकर भी दर्द को दूर कर सकती हैं और ये नुस्खे बेहद आसान हैं और पूरी तरह से सुरक्षित भी।

गर्म से सिंकाई - Garm se sikai

किसी उत्तेजित या जलन वाले हिस्से पर गर्म चीज से सिंकाई करना, खासकर तब जब सूजन-जलन तंत्रिका पर होने वाले दबाव के कारण हो तो, यह दर्द को कम करने का एक अच्छा तरीका है। आप चाहें तो इसके लिए गर्म पानी की थैली, इलेक्ट्रिक हीट पैड, आदि को पीठ के उन हिस्सों पर लगा सकती हैं जहां पर साइटिक तंत्रिका की जड़ स्थित हो, साथ ही साथ नीचे पैरों की तरफ पूरी तंत्रिका में। ऐसा करने से पीठ और पैरों की मांसपेशियों में रक्त प्रवाह में सुधार होगा और साइटिक दर्द से राहत मिलेगी। हालांकि, सुनिश्चित करें कि आप हर 3-4 घंटे में एक बार 15-20 मिनट से ज्यादा समय के लिए गर्म से सिंकाई न करें।

(और पढ़ें- सिंकाई क्या है, कैसे करें)

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एक्सरसाइज करें - Exercise kare

हल्की-फुल्की लेकिन प्रभावी एक्सरसाइज रूटीन आपके शरीर को फिट और दर्द से बचाए रखने में मदद कर सकती है। आपकी एक्सरसाइज रूटीन में हिप्स, पीठ, कंधे, हाथ और पैरों के लिए एक साधारण स्ट्रेचिंग से शुरुआत होनी चाहिए। सुनिश्चित करें कि आप आगे की तरफ न झुकें, क्रंचेज न करें या कोई भी ऐसा व्यायाम न करें जिसमें पेट पर अनावश्यक रूप से तनाव उत्पन्न हो। हर दिन 15-20 मिनट के लिए अच्छी गति से वॉक करें। इससे भी आपके कुल्हों और पैरों में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होगा। गर्भावस्था के दौरान होने वाले साइटिक दर्द के लिए सबसे अच्छे व्यायाम में से एक है वॉकिंग

(और पढ़ें- गर्भावस्था में व्यायाम)

योग करें: - Yoga kare

शहरों में अब बड़ी संख्या में महिलाएं गर्भावस्था के दौरान प्रीनेटल योगा क्लासेज जॉइन करती हैं जहां पर गर्भावस्था की तीनों तिमाही के लिए सही योग और मेडिटेशन सिखाया जाता है ताकि गर्भावस्था के सभी लक्षणों जिसमें साइटिक तंत्रिका दर्द भी शामिल है को कम किया जा सके। हालांकि इस तरह के योगा क्लासेज अब ऑनलाइन भी मौजूद हैं तो आप घर में रहकर भी योग कर सकती हैं जिससे आपका स्ट्रेस और साइटिक दर्द दोनों दूर हो जाएगा। दरअसल, योग व्यायाम का एक अधिक समग्र दृष्टिकोण है जिसकी मदद से आप दर्द प्रबंधन कौशल में सुधार कर सकती हैं और यह आपको मानसिक रूप से भी फिट और खुश रखता है।

(और पढ़ें- गर्भावस्था में योग और प्राणायाम)

सही पॉस्चर बनाए रखें: - Posture sahi rakhen

जैसे-जैसे गर्भ में आपका शिशु और बेबी बंप दोनों बढ़ेंगे, शरीर में मौजूद गुरुत्व केंद्र शिफ्ट होने लगेगा। यह न केवल आपको संतुलन से बाहर होने का एहसास कराएगा, बल्कि आपके शारीरिक और साइटिक दर्द दोनों को बढ़ा भी सकता है। इसलिए इस दर्द को कम रखने और अधिक संतुलित महसूस करने के लिए अपनी गर्भावस्था के दौरान एक अच्छी मुद्रा यानी पॉस्चर को बनाए रखना सबसे अहम है। ऐसा करने के लिए, आपको खुद को निम्नलिखित चीजें याद दिलानी होगी:

  • बैठते और खड़े होते वक्त अपनी रीढ़ को सीधी रखें और अपनी गर्दन को भी उसी तरह से रखें।
  • अपने ब्रेस्ट को बाहर की ओर झुकाए बिना अपनी छाती को ऊंचा रखें।
  • अपने कंधों को समतल और रिलैक्स रखें।
  • सुनिश्चित करें कि आप आगे की ओर झुककर न रहें।
  • बैठते समय अपने घुटनों को लॉक न करें।
  • खड़े होते वक्त आपकी मुद्रा विस्तृत होनी चाहिए ताकि शरीर को पर्याप्त सपोर्ट मिले।
  • परिस्थिति विज्ञान के अनुसार (एर्गोनॉमिक) डिजाइन की गई कुर्सियों को चुनें जो बैठते वक्त आपकी पीठ को सपोर्ट दे एक उपयुक्त तकिए के साथ आगे भी पीठ का समर्थन करती रहे।

मैटरनिटी बेल्ट - Maternity belt use kare

जिस तरह से परफेक्टली फिट होने वाली मैटरनिटी ब्रा गर्भावस्था के दौरान ब्रेस्ट में होने वाले दर्द और सूजन को कम करने में मदद करती है ठीक उसी तरह से मैटरनिटी बेल्ट आपको पीठ दर्द से निपटने में मदद करती है। इन्हें बेली बैंड्स भी कहते हैं और ये बेल्ट लचीली होती है ताकि गर्भ में पल रहे बच्चे के बढ़ने के साथ ही यह आपके कपड़ों को सपोर्ट कर सके। विशेष रूप से इन बेल्ट्स को गर्भावस्था की दूसरी तिमाही और तीसरी तिमाही की महिलाओं के लिए डिजाइन किया जाता है।

मैटरनिटी बेल्ट, गर्भवती महिला की पीठ और पेट को सपोर्ट करती हैं, सही पॉस्चर बनाए रखने में मदद करती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि इन क्षेत्रों में होने वाला कोई भी दर्द कम से कम हो। साइटिका दर्द को कम करने की दिशा में तो ये बेल्ट्स बेहतरीन काम करती ही हैं, साथ ही ये बेल्ट राउंड लिगामेंट दर्द से भी छुटकारा दिलाती हैं, और प्रसव के तुरंत बाद पर्याप्त सपोर्ट भी प्रदान करती हैं।

प्रसव पूर्व मसाज - Prenatal massage karwaye

प्रसव पूर्व (प्रीनेटल) मसाज थेरेपी का चिकित्सा समुदाय के साथ उभयवृति इतिहास है क्योंकि ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यह पहली तिमाही के दौरान बेहद हानिकारक साबित हो सकता है। हालांकि, हाल के वर्षों में हुए शोधों से पता चला है कि दूसरी और तीसरी तिमाही में प्रसव पूर्व मालिश करवाने से गर्भवती महिलाओं को जोड़ों के दर्द, गर्दन में दर्द, पीठ दर्द और साइटिक दर्द सहित कई प्रकार के दर्द से निपटने में मदद मिलती है। फिर भी, आपको प्रसव पूर्व मालिश करवाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए और सुनिश्चित करें कि आप केवल लाइसेंस प्राप्त और अनुभवी थेरेपिस्ट से ही मालिश करवाएं।

हल्का या मध्यम श्रेणी का साइटिका दर्द अगर हो तो उसे लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं लेकिन दर्द अगर बहुत तेज हो या बार-बार हो रहा हो तब यह परेशान का कारण बन सकता है। निम्नलिखित स्थितियों में अपने डॉक्टर या आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा से तुरंत संपर्क करें:

  • अगर आप गर्भावस्था की दूसरी या तीसरी तिमाही में हों तो यह समय से पूर्व लेबर का संकेत हो सकता है (और पढ़ें- समय से पहले प्रसव, डिलिवरी और बच्चे का जन्म)
  • अगर आपको बुखार हो, वजाइनल ब्लीडिंग हो रही हो या पेशाब करते वक्त तेज दर्द महसूस हो
  • अगर आपको एक या दोनों पैरों में, नितंब में और जननांगों में किसी भी तरह की सेंसेशन महसूस न हो रही हो
  • अगर आपको रिब्स या पसली में दर्द महसूस हो रहा हो, फिर चाहे तरफ या दोनों तरफ
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संदर्भ

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