शादी के बाद कई नए कपल जल्दी बेबी नहीं चाहते. इसी सोच के साथ कुछ समय तक प्रेगनेंसी को रोकने के लिए प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल करना सही निर्णय होता है. इन प्राकृतिक गर्भनिरोधक तरीकों में विड्रॉल मेथड, बेसल बॉडी टेंपरेचर मेथड और हर्ब्स का इस्तेमाल करना शामिल है.

आज इस लेख में आप प्राकृतिक परिवार नियोजन के तरीकों के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. प्रमुख प्राकृतिक गर्भनिरोधक तरीके
  2. प्राकृतिक गर्भनिरोधक के लिए हर्ब्स
  3. प्राकृतिक गर्भनिरोधक से जुड़ी सावधानियां
  4. प्राकृतिक गर्भनिरोधक से होने वाले नुकसान
  5. सारांश
परिवार नियोजन के प्राकृतिक तरीके के डॉक्टर

गर्भधारण न हो इसके लिए कुछ प्राकृतिक तरीकों को अपना सकते हैं, इन प्राकृतिक तरीकों में बेसल बॉडी टेम्परेचर मेथड, विड्रॉल मेथड और ब्रेस्टफीडिंग यानी स्तनपान आदि शामिल हैं. आइए, इन प्राकृतिक तरीकों के बारे में विस्तार से जानते हैं -

बेसल बॉडी टेंपरेचर मेथड

प्राकृतिक तरीकों से गर्भधारण से बचने में बेसल बॉडी टेंपरेचर मेथड मददगार साबित हो सकता है. इस तरीके में शरीर के तापमान के जरिए गर्भधारण से बचा जाता है. रिसर्च बताती हैं कि जब अंडा ओवरी से निकलता है, तब प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन का लेवल बढ़ने लगता है, जिससे महिला का बॉडी टेंपरेचर तकरीबन 0.4 डिग्री फारेनहाइट तक बढ़ता है. इन दिनों को फर्टाइल डेज भी कहा जाता है. ऐसे में महिला शरीर के तापमान को ट्रैक करके उन फर्टाइल दिनों में शारीरिक संबंध न बनाकर प्रेगनेंसी से बचा जा सकता है.

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विड्रॉल मेथड

प्राकृतिक गर्भनिरोधक तरीकों में से एक विड्रॉल मेथड भी है. इस जन्म नियंत्रण के तरीके में यह ध्यान रखा जाता है कि योनि में शुक्राणु न जाएं. शोध के अनुसार, इस विड्रॉल विधि में प्रेग्नेंट होने का जोखिम 100 में से 22 महिलाओं को होता है. इस विधि को अपनाने के लिए शारीरिक संबंध बनाते समय महिला और पुरुष दोनों को सावधान रहना होगा, ताकि इस दौरान शुक्राणु योनि तक न पहुंच पाएं.

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स्तनपान

ब्रेस्टफीडिंग भी एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक तरीका है. इसे लैक्टेशनल एमेनोरिया मेथड कहा जाता है. इस तरीके की मदद से दो हार्मोन यानी ल्यूटिनाइजिंग और गोनैडोट्रोपिन रिलीजिंग हार्मोन कम हो जाते हैं, जिससे गर्भनिरोधण में मदद मिलती है. रिसर्च के अनुसार, इस तरीके को अपनाने वाली 100 में से 2 महिलाओं को ही प्रेग्नेंट होने का जोखिम रहता है. ये तरीका उन महिलाओं के कारगर है, जो तुरंत दूसरी बार मां नहीं बनना चाहती हैं. ऐसे में महिला को निम्न बातों को फॉलो करना आवश्यक है -

  • इसके लिए शिशु की उम्र 6 महीने से कम होनी जरूरी है.
  • महिला को हमेशा ही अपने शिशु को स्तनपान करवाना होगा.
  • शिशु को कोई ठोस पदार्थ, अन्य दूध और फॉर्मूला मिल्क न दिया हो.
  • प्रसव के बाद महिला को मासिक धर्म न हुआ हो.

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प्रेग्नेंट होने से बचने के लिए कुछ हर्बल पदार्थ, जैसे - हल्दी, नीम का तेल और पपीते के बीज का इस्तेमाल किया जा सकता है. ये औषधि प्राकृतिक गर्भनिरोधक का काम करती हैं, जो एक सुरक्षित उपाय साबित हो सकती है. वहीं, अगर वैज्ञानिक आधार की बात करें, तो डॉक्टर इन उपायों को असरकारक नहीं मानते. आइए, इन घरेलू तरीकों के बारे में जानते हैं -

नीम का तेल

प्रेगनेंसी से बचाव के लिए नीम का तेल अच्छा माना गया है. इसको लेकर प्रकाशित एक शोध में भी नीम का तेल एक अच्छा और आसान महिला गर्भनिरोधक तरीका बताया गया है.

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जीरा

जीरा भी प्राकृतिक गर्भनिरोधक कहलाता है. दरअसल, जीरे के सेवन से प्रजनन क्षमता थोड़ी कम हो सकती है. इसी वजह से अनचाहे गर्भ से बचने के लिए जीरे के उपयोग को अच्छा माना गया है.

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पपीते का बीज

पपीते का बीज गर्भनिरोधक एजेंट कहलाता है. रिसर्च में कहा गया है कि पपीते के बीज से बने अर्क में प्रजनन क्षमता घटाने यानी एंटीफर्टिलिटी और गर्भपात इफेक्ट होता है. यही नहीं, पपीते के बीज से यौन क्षमता से संबंधित प्रोजेस्टेरोन हार्मोन में कमी आ सकती है.

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हल्दी

हल्दी के सेवन से भी गर्भधारण करने से बचा जा सकता है. दरअसल, हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन कंपाउंड गर्भनिरोधक माना जाता है. रिसर्च की मानें, तो करक्यूमिन कंपाउंड से प्रेगनेंसी से बचाव हो सकता है.

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प्राकृतिक परिवार नियोजन के तरीकों को अपनाने से अनचाही गर्भावस्था से भले ही बचा जा सकता हो, लेकिन इन उपायों को इस्तेमाल में लाने से पहले कुछ बातों को जानना जरूरी है. इन उपायों के बारे में नीचे बताया गया है -

  • यदि महिला किसी भी तरह की शारीरिक समस्या से गुजर रही है और कोई दवाई ले रही है, तो इन गर्भनिरोधक तरीकों को न अपनाएं.
  • प्रेगनेंसी से बचाव करने वाले प्राकृतिक परिवार नियोजन के तरीकों को अपनाने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
  • अगर प्राकृतिक परिवार नियोजन करने वाली औषधियों और तरीकों को अपनाने से कोई परेशानी होने लगे, तो उसे उपयोग में लाना एकदम रोक दें.
  • प्राकृतिक गर्भनिरोधक के लिए इस्तेमाल होने वाले हर्ब्स से एलर्जी हो, तो उसे उपयोग में न लाएं.

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प्राकृतिक गर्भनिरोध तरीकों से होने वाले नुकसान निम्न प्रकार से हैं -

  • इससे एचआईवीसेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन जैसे यौन रोग होने का अंदेशा रहता है.
  • कुछ महिलाओं के लिए मासिक धर्म के समय फर्टाइल सर्कल की पहचान करना मुश्किल हो सकता है.
  • डॉक्टर इन प्राकृतिक गर्भनिरोधक तरीकों को सुरक्षित नहीं मानते हैं.

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परिवार नियोजन के प्राकृतिक तरीकों में स्तनपान के साथ ही विड्रॉल मेथड, बेसल बॉडी टेंपरेचर मेथड और कई प्राकृतिक औषधियां शामिल हैं. इन प्राकृतिक गर्भनिरोधक हर्ब्स में नीम का तेल, पपीते का बीज, हल्दी आदि को गिना जाता है, लेकिन इन प्राकृतिक गर्भनिरोधक तरीकों का इस्तेमाल सावधानी से करना जरूरी है, क्योंकि लंबे समय तक इनके इस्तेमाल से कुछ शारीरिक समस्याएं होने की आशंका रहती है.

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