गर्भावस्था में मतली और उल्टी आने के सटीक कारण अभी भी ज्ञात नहीं हैं। हालांकि ऐसा माना जाता है कि हार्मोनल परिवर्तन इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं:
एस्ट्रोजन स्तर (Estrogen levels): विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा एस्ट्रोजन के स्तर में वृद्धि होने के कारण हो सकता है, जो सामान्य स्तर की तुलना में गर्भावस्था के दौरान 100 गुना अधिक हो जाता है। हालांकि यह अभी पूरी तरह से सिद्ध नहीं हुआ है।
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प्रोजेस्टेरोन का स्तर (Progesterone levels): गर्भवती महिला में प्रोजेस्टेरोन का स्तर भी बढ़ जाता है। प्रोजेस्टेरोन का उच्च स्तर समय से पहले प्रसव को रोकने के लिए गर्भाशय (गर्भ) की मांसपेशियों को शिथिल करता है। हालांकि यह पेट और आंतों को भी शिथिल करता है, जिसके परिणामस्वरूप पेट में अतिरिक्त एसिड एकत्रित हो सकता है और गैस्ट्रोइसोफैगल रिफ्लक्स रोग (Gastroesophageal reflux disease, GERD) या एसिड रिफ्लक्स हो सकता है।
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हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia): माता के शरीर से बच्चे में ऊर्जा प्रवाह के कारण रक्त शर्करा के स्तर में कमी आ जाती है। हालांकि यह अभी साबित नहीं हुआ है।
ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन (Human chorionic gonadotropin, HCG): इस हार्मोन का स्रावण गर्भवती होने के तुरंत बाद भ्रूण द्वारा और बाद में प्लेसेंटा द्वारा किया जाता है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, एचसीजी का मॉर्निंग सिकनेस से सम्बन्ध हो सकता है।
सूंघने की शक्ति (Sense of smell): गर्भावस्था के दौरान, गंधों की संवेदनशीलता में वृद्धि हो जाती है, जिसके कारण जी मिचलाने की समस्या भी हो सकती है।
भ्रूण के विकास के लिए ज़रूरी है मॉर्निंग सिकनेस -
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मॉर्निंग सिकनेस भ्रूण के विकास के लिए ज़रूरी हो सकती है जो गर्भवती माताओं और उनके बच्चे को फ़ूड पॉइजनिंग (Food poisoning) से बचाती है। यदि गर्भावस्था में उल्टी और मतली का अनुभव करने वाली महिला को खाना अच्छा नहीं लगता है, तो संभावित रूप वो मुर्गीपालन (Poultry), अण्डों या मांस से दूषित हो सकता है। और जिन खाद्य पदार्थों के दूषित होने का जोखिम कम होता है, जैसे चावल, रोटी और क्रैकर्स आदि, खाने का मन करता है। जिससे महिला और उसके बच्चे के स्वस्थ रहने की सम्भावना में वृद्धि होती है।
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विकासशील भ्रूण में प्रतिरक्षा तंत्र (Immune system) पूरी तरह से विकसित नहीं होता है और इसी कारण उसके लिए विषाक्त पदार्थों की थोड़ी मात्रा भी हानिकारक भी हो सकती है।
भ्रूण के विकासशील अंग विषाक्त पदार्थों के कारण सबसे ज्यादा गर्भावस्था के 6 से 18 सप्ताह के बीच कमजोर होते हैं।