गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की त्वचा में कई तरह के परिवर्तन होना शुरू हो जाते हैं। प्रेग्नेंसी के समय महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण इस तरह की समस्या सामने आती है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को त्वचा में होने वाले परिवर्तन व अन्य समस्याओं के लिए पहले से ही तैयार रहना चाहिए। इसके साथ ही इस समय यदि आपको अपनी त्वचा पर कोई बदलाव देखने को मिलें, तो उससे घबराना नहीं चाहिए। यह समस्याएं समय के साथ सही हो जाती हैं।

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प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं की त्वचा में किस तरह के परिवर्तन आते हैं और इन परिवर्तनों के आने की क्या वजह होती है, आगे इन सभी बातों को विस्तार से बताया जा रहा हैं। साथ ही हम आपको यह भी बताएंगे कि गर्भावस्था में होने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए आपको किस तरह के उपयों को आजमाना चाहिए। तो आइये जानते हैं गर्भावस्था के दौरान त्वचा में परिवर्तन, समस्याएं, और  उसके उपायों के बारे में।

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  1. प्रेग्नन्सी में स्किन में बदलाव क्यूँ होते हैं? - Garbhavastha ke dauran tvacha me parivartan kyu hota hai
  2. क्या प्रेग्नन्सी के दौरान त्वचा में परिवर्तन हानिकारक हैं ? - Kya garbhavastha ke dauran tvacha me parivartan hanikarak ho sakta hai
  3. प्रेग्नेंसी में स्किन काली क्यों हो जाती है? - Pregnancy me skin kali kyu ho jati hai
  4. प्रेग्नन्सी में स्ट्रेच मार्क्स क्यूँ आते हैं ? - Garbhavastha me stretch marks
  5. प्रेग्नेंसी में मुंहासे क्यूँ निकलते हैं ? - Pregnancy me keel muhase
  6. प्रेग्नन्सी में वैरिकोज वेन्स - Garbhavastha me varicose veins
  7. प्रेग्नन्सी में चेहरे पर दाग - Garbhavastha me chahre par daag
  8. प्रेग्नेंसी में पेट के निचले हिस्से में गहरी लाइन - Pregnancy me pet ke nichle hissai me gahri line
  9. प्रेग्नेंसी में स्किन ड्राइ क्यूँ होती है? - Pregnancy me pet ke nichle hissai ki tvacha ka rukhapan
  10. प्रेग्नन्सी में चहरे पर झाइयाँ - Garbhavastha ke dauran tvacha me jhaiyan aur masse
  11. सारांश

 प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर के अंदर कई तरह के बदलाव व परिवर्तन होते हैं। जिनका सीधा असर उनकी त्वचा पर दिखाई देता है। प्रेग्नेंसी के कुछ समय बाद पेट के बाहर की ओर आने के साथ ही त्वचा में भी कई तरह के परिवर्तन होना शुरू हो जाता है।

प्रेग्नेंसी के समय महिलाओं के त्वचा में निम्न तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं -

  • स्ट्रेच मार्क्स
  • त्वचा के रंग में बदलाव होना।
  • त्वचा में मुंहासे होना।
  • त्वचा पर नसों का दिखना।
  • त्वचा में खुजली होना या त्वचा का संवेदनशील होना। 

प्रेग्नेंसी के समय महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव, रक्त संचार में परिवर्तन और प्रतिरक्षा तंत्र में होने वाले बदलाव के कारण त्वचा में समस्याएं होने लगती हैं। लेकिन आपके लिए खुशी की बात यह है कि ये सभी समस्याएं बच्चे के जन्म के कुछ समय बाद अपने आप सही हो जाती हैं। इस समय त्वचा में होने वाले कुछ तरह के परिवर्तन जैसे - स्ट्रेच मार्क्स और रंजकता (Pigmentation) महिलाओं को अनुवांशिक रूप से होते हैं। यदि आपकी मां या बड़ी बहन को उनकी प्रेग्नेंसी के दौरान स्ट्रेच मार्क्स और रंचकता (Pigmentation) हुई है, तो आपको भी यह समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है।

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हाल ही में गर्भवती होने वाली कई महिलाओं के मन में इस तरह का सवाल आता है। इसके लिए आपको बता दें कि गर्भावस्था के दौरान त्वचा पर होने वाले मालूमी बदलावों से आपको किसी तरह की कोई हानि नहीं होती है। लेकिन, त्वचा में कुछ दिनों से जलन, छाले, रैशेज, सूजन, दर्द और खुजली होना और इनके तेजी से बढ़ने पर आपको अपने डॉक्टर से मिलने की आवश्यकता पड़ सकती है। इस स्थिति को ऑब्सटीट्रिक कोलेस्टासिस (Obstetric cholestasis/ गर्भावस्था के दौरान गुर्दे की समस्या) कहा जाता है। इस तरह की समस्या के कारण आपके बच्चे का जन्म समय से पूर्व भी हो सकता है। इसलिए आपको समय-समय पर डॉक्टर से नियमित जांच करवाते रहना चाहिए।

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कई बार प्रेग्नेंसी के दौरान आपकी त्वचा में होने वाले बदलाव स्वास्थ्य संबंधी किसी अन्य समस्या की ओर भी इशारा करते हैं। गर्भावस्था के समय यदि आपको त्वचा पर किसी प्रकार का दर्द, लालिमा, रंजकता और मस्से होते हुए दिखाई दें तो तुरंत अपने डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

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महिलाओं के स्वास्थ के लिए लाभकारी , एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोंस को कंट्रोल करने , यूट्रस के स्वास्थ को को ठीक रखने , शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल कर सूजन को कम करने में लाभकारी माई उपचार आयुर्वेद द्वारा निर्मित अशोकारिष्ठ का सेवन जरूर करें ।  

त्वचा का सामान्य से अधिक गहरे रंग का होना, आपके प्रेग्नेंट होने का पहला लक्षण होता है। गर्भधारण करने पर कई महिलाएं अपनी त्वचा में इस तरह के बदलाव को महसूस करती हैं। इस दौरान महिलाओं के निप्पल और उसके चारों ओर का घेरा गहरे काले रंग का हो जाता है।

इस दौरान महिलाओं की त्वचा पर होने वाली झाइयों और मस्सों का रंग भी गहरा हो जाता है। इस समय त्वचा काली होने के साथ ही नाभि के आसपास का हिस्सा और आपकी बगल व अंदुरूनी जांघों का रंग भी काला होने लगता है। जबकि बच्चे को जन्म देने के बाद त्वचा के इन सभी हिस्सों का रंग दोबारा से पहले की तरह होने लगता है। रंजकता की वजह से माथे, गाल और गर्दन पर होने वाले भूरे रंग के दाग को मेलास्मा (Melasma/ काले धब्बों का एक प्रकार), क्लोस्मा (Chloasma) और पिगमेंटेशन का मास्क कहा जाता है। क्लोस्मा महिलाओं के शरीर के मैलानिन के स्तर में बढ़ोतरी के कारण होते हैं। तीन में से दो प्रेग्नेंट महिलाएं अपनी त्वचा में इस तरह के बदलाव को महसूस करती हैं।

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बचाव के लिए क्या करें -

सूर्य की हानिकारक किरणों से आपकी त्वचा का रंग और अधिक गहरा हो जाता है, इससे बचने के लिए आपको एसपीएफ 15 युक्त सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके साथ ही बाहर जाते समय छाते या किसी टोपी का प्रयोग करना चाहिए। इस समस्या को दूर करने के लिए डॉक्टर आपको चेहरे पर लगाने वाली कुछ क्रीम या लोशन के प्रयोग की सलाह दे सकते हैं।    

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गर्भावस्था में त्वचा के परिवर्तन में मुख्यतः स्ट्रेच मार्क्स महिलाओं को परेशान करते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान 90 प्रतिशत महिलाओं की त्वचा में स्ट्रेच मार्क्स हो जाते हैं। गर्भ में बच्चों के बड़े होने से और प्रेग्नेंसी में मोटापा बढ़ने की वजह से स्ट्रेच मार्क्स हो जाते हैं। स्ट्रेच मार्क्स महिलाओं के पेट के निचले हिस्से और स्तनों पर होते हैं। इन अंगों पर स्ट्रेच मार्क्स लाल या गुलाबी रंग की धारियों के रूप में होते हैं। इस समय हार्मोन स्तर में बदलाव से त्वचा में प्रोटीन का स्तर गड़बड़ा जाता है और इससे त्वचा सामान्य के मुकाबले पतली हो जाती है। 

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बचाव के लिए क्या करें -

गर्भावस्था में स्ट्रेच मार्क्स से बचने के लिए आपको विटामिन ई और अल्फा हाईड्रोक्सी एसिड युक्त लोशन का इस्तेमाल करना चाहिए। चिकित्सीय जगत में इस उपाय से स्ट्रेच मार्क्स हटाने का कोई तथ्य मौजूद नहीं है, लेकिन इसके इस्तेमाल से आपको कोई समस्या भी नहीं होती है। इसके अलावा आपको अपने मोटापे को भी कम रखना होगा। अगर आप स्ट्रेच मार्क्स को कम करने के लिए कोई उपाय नहीं आजमाती हैं, तो बच्चे के जन्म के बाद यह आपके पेट में गहरी लाइन की तरह बन जाते हैं।

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प्रेग्नेंसी में महिलाओं की त्वचा पर कील-मुंहासे होने की समस्या भी एक आम परेशानी होती है। गर्भावस्था में हार्मोनल बदलाव के कारण महिलाओं के शरीर की तेल ग्रंथियां अधिक मात्रा में तेल का स्राव करती हैं। जिसकी वजह से महिलाओं के चेहरे पर कील मुंहासे होने लगते हैं। कील-मुंहासा होने के दौरान चेहरे पर जलन भी होती है। 

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बचाव के लिए क्या करें -

इसके लिए आपको नियमित तौर पर अपनी त्वचा की सफाई करनी होगी। जिसमें आपको चेहरे की त्वचा से तेल को कम करने वाले फेस वॉश का इस्तेमाल करना चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान आपको जी-मिचलाने की शिकायत हो तो आपको किसी सुंगधित फेस वॉश का इस्तेमाल करना चाहिए। त्वचा में तेल के स्तर को कम करने के लिए रात को सोने से पहले व सुबह उठते ही चेहरे को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए। इसके अलावा आपको एस्ट्रीजेंट का प्रयोग करना चाहिए। इन सभी के साथ आपको अतिरिक्त तेल से मुक्ति दिलाने वाले मॉइश्चराइजर का उपयोग करना चाहिए। यदि आपको कील-मुंहासों की समस्या अधिक हो, तो आप तुरंत डॉक्टर से मिलें और इसे दूर करने पर विचार करें।

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गर्भावस्था के दौरान त्वचा में होने वाली समस्याओं में वैरिकोज वेन्स (Varicose veins) को भी शामिल किया जाता है। इसमें महिलाओं के पैर की नसों में उभार आ जाता है और वह पैरों की त्वचा पर साफ दिखाई देने लगती हैं। महिलाओं के शरीर का रक्त प्रवाह बढ़ जाने के कारण ऐसा होता है। इस स्थिति के कारण महिलाओं के पैर में दर्द होने लगता है और वह किसी भी काम को करने में असहज महसूस करती हैं। प्रेग्नेंट महिलाओं के परिवार में यदि पहले किसी को वेरिकोज वैन्स की समस्या हो तो उनको भी इस समस्या के होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। लेकिन, इस समस्या को ठीक किया जा सकता है। 

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बचाव के लिए क्या करें -

इस समस्या के बचाव के लिए आपको निम्न तरह के उपाय को करने होंगे -

  • ज्यादा देर तक एक ही जगह पर खड़े होने से बचना चाहिए।
  • चलने की आदत डालें। इससे आपके पैरों के रक्त को हृदय तक पहुंचने में मदद मिलती है। (और पढ़ें - हृदय रोग का उपचार)
  • बैठते समय किसी कुर्सी या स्टूल पर पैरों को रखकर सहारा दें।
  • लंबे समय तक एक ही स्थिति पर बैठने से बचें। (और पढ़ें - पैरों में सूजन का इलाज)
  • पैरों को सहारा देने वाले मोजों को पहनें।
  • विटामिन सी का अधिक सेवन करें।

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मेलास्मा (Melasma) और क्लोस्मा (Chloasma) की समस्या होने पर गर्भवती महिला के चेहरे पर काले दाग हो जाते हैं। इसको 'मास्क ऑफ प्रेग्नेंसी' के नाम से भी जाना जाता है। मेलास्मा के कारण गर्दन, गाल और माथे पर काले रंग के दाग हो जाते हैं। महिलाओं में हार्मोनल बदलाव के कारण पिगमेंटेशन हो जाती है। गर्भवती होने वाली करीब 50 प्रतिशत महिलाओं को इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है।

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बचाव के लिए क्या करें -

इससे बचाव के लिए आपको धूप में जाने से पहले एसपीएफ 15 युक्त सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके साथ ही आपको अपने चेहरे को ढ़क कर बाहर जाना चाहिए। गर्भावस्था में महिलाओं की त्वचा संवेदनशील हो जाती है। जिसकी वजह से सूर्य की हानिकारक किरणें त्वचा को प्रभावित करती हैं। बिना किसी बचाव के सूर्य के सीधे संपर्क में आने के कारण आपकी त्वचा में काले दाग होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।

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प्रेग्नेंसी के दौरान अधिकतर महिलाओं के पेट के निचले हिस्से में एक सीधी लाइन दिखाई देने लगती है। इस लाइन को लीनिया निग्रा (Linea nigra) कहते हैं। यह लाइन एक सेमी चौड़ी होती है और यह मुख्यतः नाभि के बीच से नीचे की ओर जाती है। गर्भवती महिलाओं में यह लाइन दूसरी तिमाही में उभर जाती है। हर महिला के शरीर में यह लाइन उभर कर नहीं आती है। महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोनल असंतुलन के कारण यह लाइन हो जाती है।

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बचाव के लिए क्या करें -

इस तरह की लाइन से गर्भवती महिलाओं को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है। यह पेट के निचले हिस्से की मांसपेशियों में आए खिंचाव के कारण, आपके गर्भाशय में बच्चे को अतिरिक्त जगह प्रदान करने का संकेत देती है। बच्चे के जन्म के कुछ समय बाद यह लाइन आपने आप हल्की होना शुरू हो जाती है।

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प्रेग्नेंसी में जब बच्चे का आकार बढ़ता है, तब महिलाओं के पेट का आकार भी बढ़ना शुरू हो जाता है। इस कारण से महिलाओं के पेट की त्वचा में खिंचाव आ जाता है। पेट में आए अतिरिक्त खिंचाव से त्वचा में रूखापन आ जाता है। त्वचा के रूखेपन के कारण उसमें खुजली होना शुरू हो जाती है। अगर आपको प्रेग्नेंसी के दौरान जी-मिचलाना, उल्टी आना, थकान और पीलिया के साथ पेट के निचले हिस्से में अधिक खुजली महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर, इस स्थिति के बारे में बताएं। यह समस्या कई बार आपके कोलेस्ट्रोल के स्तर में आए असंतुलन के कारण भी होती है। जिसकी जांच के लिए आपके डॉक्टर कुछ परीक्षण करते हैं।

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बचाव के लिए क्या करें -

अगर आप अपने पेट के निचले हिस्से के रूखेपन से बचना चाहती हैं, तो आपको इसमें नमीं बनाई रखनी होगी। इसके साथ ही आपको खुजली को दूर करने वाली क्रीम का भी इस्तेमाल करना होगा। जिसमें कैलामाइन (Calamine) युक्त लोशन आपके लिए लाभकारी होगा। इसके अलावा कोलेस्ट्रोल के स्तर को आप दवाओं के सेवन से सही कर सकती हैं।

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गर्भावस्था में हार्मोनल बदलाव के कारण त्वचा में पिगमेंटेशन होती है। चेहरे पर होने वाली पिगमेंटेशन में झांइयां, मस्से, निप्पल व उसके चारों ओर का हिस्सा गहरे काले रंग का हो जाता है। इसके साथ ही साथ योनि के आसपास का हिस्सा भी गहरे काले रंग का हो जाता है।

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बचाव के लिए क्या करें-

गर्भावस्था में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण महिलाओं में इस तरह की समस्या होना आम बात है। इस तरह के बदलाव का किसी भी तरह से बचाव नहीं किया जा सकता है। अगर आपको झांइयां और मस्से होते दिखाई दें या इनके आकार में परिवर्तन होता महसूस हो तो आपको अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए।

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चेहरे व शरीर के अन्य जगहों पर आया यह बदलाव बच्चे के जन्म के बाद कम होना शुरू हो जाता है। पिगमेंटेशन होने से आपको किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है।  

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प्रेग्नेंसी में स्किन केयर करना महत्वपूर्ण होता है क्योंकि हार्मोनल परिवर्तनों के कारण त्वचा पर समस्याएं हो सकती हैं। सही तरीके से स्किन केयर करने से अच्छी त्वचा पाई जा सकती है ।  प्रेग्नेंसी में, त्वचा को हाइड्रेटेड रखने के लिए पर्याप्त पानी पीना बहुत महत्वपूर्ण है। स्किन केयर उत्पादों का उपयोग करते समय ध्यान देना चाहिए। त्वचा पर सूर्य की किरणों से बचाव के लिए धूप में कम समय बिताएं । नियमित रूप से त्वचा को साफ करना, मोइस्चराइज़र का उपयोग करना, स्वस्थ आहार लेना, और स्ट्रेस को कम करने के लिए योग और ध्यान करना भी त्वचा की देखभाल में मददगार हो सकता है।

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