कोई भी महिला जब गर्भवती होती है तो उसके मन में अनेकों सवाल उमड़ते हैं। खासकर तब जब वो पहली बार गर्भवती हो रही हो। महिला के शरीर में तो अनेकों बदलाव होते ही हैं साथ ही उसे अपनी जीवन शैली में भी परिवर्तन करने पड़ते हैं क्योंकि इस समय आने वाले बच्चे की पूरी ज़िम्मेदारी उसी की होती है। तो आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं गर्भावस्था में प्रवेश करने वाली महिला को क्या करना चाहिए और क्या नहीं। 

(और पढ़ें - गर्भावस्था में क्या खाएं और क्या ना खाएं)

  1. प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में क्या करें और क्या ना करें - First trimester do's and don'ts in Hindi
  2. प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए - Second trimester do's and don'ts in Hindi
  3. प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में क्या करें और क्या ना करें - Third trimester do's and don'ts in Hindi

क्या करें -

  1. सर्वप्रथम तो अपने गर्भवती होने की पुष्टि करें। इसके लिए आप प्रेगनेंसी टेस्ट घर पर भी कर सकती हैं और अस्पताल में जांच भी करवा सकती हैं। यदि टेस्ट पॉजिटिव आता है तो आप गर्भवती हैं।
  2. अधिक से अधिक पानी पिएं जिससे आपके शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) न होने पाए। प्रतिदिन 2-3 लीटर पानी पिएं। (और पढ़ें - पानी की कमी को दूर करने के लिए ज़रूर खाएँ ये फल)
  3. अगर आप अभी तक दवाओं के रूप में विटामिन का सेवन नहीं कर रही थीं तो अब करना शुरु कर दें। विशेष रूप से गर्भावस्था के लिए निर्धारित फोलिक एसिड की पूर्ति आहार के माध्यम से कर पाना थोड़ा कठिन होता है, इसलिए दवाओं के द्वारा विटामिन लेना आवश्यक होता है। (और पढ़ें - विटामिन के फायदे)
  4. अपना स्वास्थ्य बीमा (health insurance plan) चेक कर लें। क्योंकि कुछ बीमा कंपनियां डिलीवरी से पहले की देखभाल और डिलीवरी में होने वाला खर्चा उठाने का ज़िम्मा लेती हैं। (और पढ़ें - नॉर्मल डिलीवरी)
  5. एक अच्छे डॉक्टर का चुनाव कर लें क्योंकि अगले कुछ महीने आपको उनकी बहुत ज़रूरत पड़ने वाली है। बेहतर डॉक्टर के चुनाव के लिए आप अपने दोस्तों, सगे सम्बन्धियों या मां की मदद ले सकती हैं।
  6. पहली तिमाही के लिए डॉक्टर के साथ प्रसवपूर्व अपॉइंटमेंट्स निश्चित कर लें। इन अपॉइंटमेंट्स में डॉक्टर आपसे कुछ प्रश्न पूछेंगे। उनका उत्तर देने में संकोच न करें और ईमानदारी से सही जवाब दें।
  7. इस समय सेवन करने वाली दवाओं की सलाह डॉक्टर से लें। यदि दवा लेने पर कुछ भी अजीब महसूस हो या कोई साइड इफ़ेक्ट नज़र आये तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  8. घरेलू काम करें लेकिन पहले ये सुनिश्चित कर लें कि उनसे आपके या बच्चे के स्वास्थ पर कोई असर न पड़े। क्योंकि जो महिलाएं व्यायाम नहीं कर पातीं, इन कार्यों को करते समय उनकी थोड़ी एक्सरसाइज हो जाती है।
  9. प्रेगनेंसी में न खाने वाले खाद्य पदार्थों को खाने से बचें जैसे - सॉफ्ट चीज़, कच्चे अंडे, कच्चा मांस और कच्ची मछली आदि। (और पढ़ें - अंडे के फायदे और नुकसान)
  10. गर्भावस्था के दौरान अपने खाने पीने की आदतों में थोड़ा बदलाव करें और डॉक्टर की सलाह पर अधिक प्रोटीन युक्त आहार और विटामिन युक्त आहार लेने की कोशिश करें।
  11. अपने रसोईघर में पोषक चीज़ों को मौजूद रखें जिससे जब भी मन हो आप पौष्टिक चीज़ों का ही सेवन करें।
  12. गर्भावस्था के दौरान आपको सामान्य से अधिक थकान महसूस हो सकती है इसलिए शाम को जल्दी सोने की आदत डालें। इससे आपको थकान से बचने में मदद मिलेगी। (और पढ़ें - गर्भावस्था में थकान)
  13. प्रेगनेंसी में होने वाली समस्याओं का पता रखें। अगर आप अकेली रहती हैं या घर में कोई बताने वाला नहीं है तो आजकल के टेक्नोलॉजी के युग में आप इंटरनेट के माध्यम से हर समस्या और उसके समाधान का पता लगा सकती हैं। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में होने वाली समस्याएं और उनका समाधान)
  14. अपने आने वाले बच्चे की ज़रूरतों के लिए बजट बनाना शुरु कर दें। उसके कपड़े, खिलौने और डाइपर आदि उसके जन्म के तुरंत बाद ज़रूरी होते हैं।
  15. बच्चे का नाम सोचना शुरु कर दें। क्योंकि हर मॉडर्न मां और बच्चा चाहता है कि उसका नाम सबसे अलग हो। इसलिए इन तैयारियों में अभी से जुट जाएं तो बेहतर होगा।

(और पढ़ें - प्रेगनेंसी डाइट चार्ट)

क्या ना करें -

  1. धूम्रपान, शराब और डिब्बेबंद (Preservatives) खाने का उपयोग न करें। ऐसा करना आपके बच्चे की सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है। (और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के सरल तरीके)
  2. प्रदूषण से दूर रहें। इसका सबसे अच्छा तरीका है कि यात्रा करने से बचें यदि बहुत ज़रूरी हो तो अपने डॉक्टर से सलाह लें। यहां तक कि पार्लर में मैनीक्योर (हाथों की सफाई) और पैडीक्योर (पैरों की सफाई) कराना भी सही नहीं होता है क्योंकि उसमें उपयोग किये जाने वाले उत्पाद हानिकारक सिद्ध हो सकते हैं। इसलिए भरोसेमंद ब्यूटीशियन के पास ही जाएं। (और पढ़ें - नाखूनों की देखभाल के लिए टिप्स)
  3. भारी सामान न उठाएं। क्योंकि जिम में भर उठाना या घर पर भारी चीज़ों जैसे पानी से भरी बाल्टी या सिलेंडर आदि को उठाने से गुरुत्व केंद्र (Centre of gravity) बदल सकता है जिससे बच्चा गर्भाशय से किसी और जगह खिसक सकता है जो गर्भावस्था में जटिलताओं का कारण बन सकता है। (और पढ़ें - अस्थानिक गर्भावस्था)
  4. बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी दवा का सेवन न करें।
  5. मोबाइल फोन के उपयोग से अधिक से अधिक बचें। खासकर तब जब उसमें बैटरी बहुत कम हो क्योंकि मोबाइल फोन से हानिकारक तरंगे निकलती हैं जो आपके और आपके बच्चे के लिए नुकसानदायक हो सकती हैं।

(और पढ़ें - प्रेग्नेंट होने के लिए क्या करें)

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क्या करें -

  1. अगर संभव हो तो दूसरी तिमाही में डिलीवरी से पूर्व एक्सरसाइज क्लासेज जाना शुरू कर दें। इन क्लासेज में गर्भवती महिलाओं के लिए आवश्यक व्यायाम सिखाये जाते हैं। जिससे गर्भावस्था में होने वाली समस्याओं के इलाज में भी मदद मिलती है। (और पढ़ें - गर्भावस्था में योग और प्राणायाम)
  2. दूसरी तिमाही में प्रसव पूर्व डॉक्टर से होने वाली अपॉइंटमेंट्स सुनिश्चित कर लें।
  3. स्वयं को थोड़ा आराम दें और थोड़ा समय अपने लिए निकालें। आप बाहर घूमने, फिल्म देखने या सैर करने जा सकती हैं।
  4. अपने पेट की मसाज करना इस शुरु कर दें। इससे खिंचाव के निशान से तो नहीं बचा जा सकता लेकिन खुजली से ज़रूर रक्षा की जा सकती है। (और पढ़ें - गर्भावस्था के स्ट्रेच मार्क्स हटाने के उपाय)
  5. यदि आपके और भी बच्चे हैं तो उनसे बात करें और उन्हें आने वाले मेहमान के लिए उत्साहित करने की कोशिश करें। कई बार आपकी अधिक देखभाल होते देखकर बच्चों को ऐसा लगता है कि कहीं नए मेहमान के आने से उनकी महत्ता घर में कम न हो जाये। जिस कारण उनके मन में कभी कभी नकारात्मक भाव भी उत्पन्न हो जाते हैं।
  6. अगर आप पहली बार गर्भवती होने जा रही हैं तो बच्चों की देखभाल करने के तरीके खोजना शुरु कर दें।
  7. गर्भावस्था में महिला के दांतों का साफ़ न होना बच्चे के लिए सुरक्षित नहीं होता है। मां के अच्छे दांत होने से बच्चे के दांतों में भी कैविटी नहीं होती। (और पढ़ें - दांतों को साफ करने के लिए नारियल का तेल)
  8. अगर आप पेट के बल सोती हैं तो ऐसा करना दूसरी तिमाही से बंद कर दीजिये क्योंकि इससे आपके पेट और बच्चे पर दबाव बढ़ता है, जो जोखिम भरा हो सकता है।
  9. यदि आप कामकाजी महिला हैं तो मटर्निटी लीव (Maternity leave) लेने की योजना बनाना शुरु कर दें।
  10. प्रेगनेंसी के लिए कुछ ज़रूरी व्यायाम जैसे स्ट्रेचिंग और कीगल एक्सरसाइज ज़रूर करें।
  11. अगर आप चाहें तो गर्भावस्था के दौरान सेक्स भी कर सकती हैं। प्रेगनेंसी में सेक्स करने से कोई समस्या नहीं होती है।

(और पढ़ें - sex kaise karte hain)

क्या ना करें -

  1. दूसरी तिमाही में अत्यधिक मीठा और नमक का सेवन करना कम कर दें क्योंकि प्रेगनेंसी में जेस्टेशनल डायबिटीज और नमक से वाटर रिटेंशन की समस्या होने की अधिक सम्भावना होती है। (और पढ़ें - नमक के फायदे और नुकसान)
  2. तनाव से बचें। खुश रहने की कोशिश करें। तनाव आपके और आपके होने वाले बच्चे के लिए हानिकारक होता है। (और पढ़ें - तनाव के घरेलू उपाय)
  3. ओवर द काउंटर अर्थात बिना डॉक्टर की सलाह के सेवन कर सकने वाली दवाओं का सेवन न करें।

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क्या करें -

  1. तीसरी तिमाही के शुरु होने पर आपको स्वयं पर बहुत अधिक ध्यान देने की ज़रूरत होती है।
  2. तीसरी तिमाही में होने वाली प्रसवपूर्व जांचों की जानकारी लें और समय समय कर टेस्ट करवाएं। 
  3. यदि आप चाहें तो और क्लासेज शुरु कर सकती हैं। इनमें आपको बच्चे की देखभाल, स्तनपान और प्रसव से सम्बंधित जानकारियां दी जाती हैं। कई अस्पताल भी ये क्लासेज मुहैया कराते हैं। (और पढ़ें - स्तनपान से जुड़ी समस्याएं और उनके समाधान)
  4. अपने आने वाले नए मेहमान से बातें करें। ऐसा करने से आपके और आपके बच्चे के सम्बन्ध और भी गहरे होते हैं। कहा जाता है की प्रेगनेंसी में आप जैसा सोचती हैं, खाती हैं हर बात का असर आपके बच्चे पर पड़ता है।
  5.  डिलीवरी के दौरान होने वाले दर्द को सहने के लिए स्वयं को मानसिक रूप से तैयार करें।
  6. अगर आपको इसके बच्चे नहीं चाहिए तो गर्भनिरोधक उपाय अपनाएं या परिवार नियोजन की तयारी करना शुरु कर दें। 
  7. अस्पताल जाने के लिए तैयार हो जाएं और वहां उपयोग में आने वाली आवश्यक चीज़ों को एक बैग में इकट्ठा कर लें। क्योंकि प्रसव पीड़ा कभी भी हो सकती है उस समय आपके पास ये सब करने का समय नहीं होगा।
  8. अपने बच्चे के लिए झूला (पालना) इत्यादि खरीद लें और उसकी साज सज्जा कर लें जिससे बच्चे के साथ जब आप घर आएं तो आपको उसकी देखभाल में परेशानी न हो।
  9. गर्भावस्था के अंतिम चरणों में होने वाली जटिलताओं की जानकारी रखें। ताकि कुछ भी महसूस होने पर उपचार में देर न हो।
  10. प्रेगनेंसी के बाद शरीर में आने वाले बदलावों और अपना वज़न कम करने के लिए जानकारी प्राप्त करें। (और पढ़ें - डिलीवरी के बाद वजन कम कैसे करें)

क्या ना करें -

  1. कोई भी परेशानी महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क करने या उनसे सलाह लेने में संकोच न करें।
  2. पीठ के बल न सोएं। इस बात का खास ध्यान रखें क्योंकि ऐसा करने से गर्भाशय का सारा वज़न रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है जिससे उसमें दर्द होता है। (और पढ़ें - गर्भावस्था में दर्द)
  3. अगर आपकी डिलीवरी का समय निर्धारित समय से अधिक हो जाये तो चिंतित न हों डॉक्टर से संपर्क करें।
  4. अत्यधिक देर तक खड़ी न रहें। इससे आपको थकान हो सकती है।
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