गर्भावस्था के दौरान होने वाले डायबिटीज यानी जेस्टेशनल डायबिटीज के उपचार के लिए इंसुलिन थेरेपी के साथ-साथ अपनी दिनचर्या में परिवर्तन को भी शामिल करना अनिवार्य है। दैनिक जीवन में परिवर्तन (LSM) में डाइट में परिवर्तन और व्यायाम से इस स्थिति को नियंत्रित कर सकते हैं। आप निम्न तरीकों से परिवर्तन कर सकते है :
1. छोटे-छोटे आहार लें - अधिक मात्रा में और बहुत देर के बाद भोजन करना आपके शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा को अचानक से बढ़ा देता है। इस स्थिति में गर्भवती महिला को छोटे-छोटे और कम समय अंतराल पर आहार ग्रहण करना चाहिए। 3 घंटे के अंतराल पर 3 मुख्य आहार जैसे - सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का भोजन लेना चाहिए और बीच के अंतराल में 3 छोटे आहार लेने चाहिए जैसे - बीच में लिए जाने वाले स्नैक्स और बेड टाइम स्नैक्स।
(और पढ़ें - नाश्ता में क्या खाना चाहिए)
2. ग्लूकोज के धीमे अवशोषण के लिए प्रोटीन - प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट की तुलना में धीरे अवशोषित होता है जो कि ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में मदद करता है। इसलिए आप अपनी डाइट में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को कम करके प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाने की कोशिश करें। इस प्रोटीन में आप उच्च जैविक गुण (हाई बायोलॉजिकल वैल्यू) वाले प्रोटीन को रखें जैसे - दूध, मीट, अंडे, मछली इत्यादि। इसके साथ ही आप दालें, फलियां, सोयाबीन तथा मूंगफली को भी अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। आप कार्बोहाइड्रेट के साथ प्रोटीन को इन रूप में अपने आहार में शामिल कर सकते हैं, जैसे - दाल और रोटी, दलिया खिचड़ी, बेसन मिश्रित आटे की रोटी, अंडे की भुर्जी और रोटी इत्यादि।
(और पढ़ें - शुगर कम करने के उपाय)
3. आयरन की मात्रा की पूर्ति कैसे करें - शरीर में रक्त की आवश्यकता बढ़ने पर हीमोग्लोबिन का कम होना सामान्य तौर पर गर्भावस्था के दौरान देखने को मिलता है। लौह तत्व की कमी इसका प्रमुख कारण है। आयरन की बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए आप अपने आहार में साबुत अनाज, फलियां, हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे सरसों का साग, बथुआ, पालक इत्यादि, सूखे मेवे जैसे बादाम और अखरोट, खजूर, अंडे की जर्दी, ऑर्गन मीट इत्यादि को शामिल कर सकते हैं।
4. कैल्शियम से भरपूर आहार - गर्भावस्था के दौरान कैल्शियम एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, जो कि बच्चे में हड्डियों की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक है। कैल्शियम की बढ़ी हुई मात्रा की पूर्ति आप इन खाद्य पदार्थों के माध्यम से कर सकते हैं, जैसे - दूध, दूध से बने पदार्थ, दालें, सोयाबीन, अंडे इत्यादि। कैल्शियम के अच्छे अवशोषण के लिए अपने शरीर में विटामिन डी के स्तर की जांच करें और आवश्यकता पड़ने पर विटामिन डी के सप्लीमेंट अवश्य लें।
(और पढ़ें - हड्डी टूटने का इलाज)
6. कब्ज को कम करने के लिए फाइबर युक्त आहार - गर्भावस्था के दौरान फीटल के दवाब के कारण कब्ज का होना भी एक सामान्य समस्या है। अपने आहार में रेशे (फाइबर) युक्त पदार्थों का प्रयोग करके इस समस्या को कम किया जा सकता है। फाइबर से भरपूर आहार जैसे - ताजे फल और सब्जियां, साबुत अनाज, साबुत दालें इत्यादि को आहार में प्रयोग किया जा सकता है। प्रतिदिन 40 ग्राम फाइबर गर्भावस्था के दौरान आवश्यक होता है।
7. कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले आहार - आहार में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले आहार का प्रयोग करके रक्त में शुगर के स्तर को कम किया जा सकता है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स ये बताता है कि किसी भी खाद्य पदार्थ को लेने के बाद आपके शरीर में ब्लड शुगर का स्तर कितनी जल्दी बढ़ता है। कुछ चीजें खाने के बाद रक्त में शुगर का स्तर बहुत तेजी से बढ़ जाता है, इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स अधिक होता है। जबकि कुछ चीजें ऐसी हैं जो बहुत कम और धीमी गति से शुगर का स्तर बढ़ाती हैं, इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। आप अपने आहार में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले कार्बोहाइड्रेट का चयन करें जैसे - फलियां (राजमा, छोले), दालें, सेब, संतरा, मेथी, पालक, जौ, ओट्स, कूटू इत्यादि।
(और पढ़ें - प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए)