एक्लेमप्सिया (Eclampsia) एक ऐसी स्थिति है जो केवल गर्भावस्था के दौरान और आमतौर पर मस्तिष्क में अनियंत्रित विद्युत गतिविधियों (electrical activities) के कारण उत्पन्न होती है, जो गर्भावस्था के बाद के चरणों में ऐंठन आदि शारीरिक लक्षणों के रूप में अनुभव होती है। इस स्थिति को सीज़र्स (Seizures) कहते हैं। यह एक दुर्लभ स्थिति है और हर साल 2,000-3,000 गर्भधारण में 1 को प्रभावित कर रही है।
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जब गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर के साथ प्रोटीनयूरिआ (proteinuria; यानी मूत्र में 300 मि.ग. से अधिक प्रोटीन की मात्रा) हो जाता है तो उस अवस्था को प्री-एक्लेमप्सिया (Pre-eclampsia) कहते हैं। प्री-एक्लेमप्सिया में, मां में हाई बीपी भ्रूण में रक्त की आपूर्ति कम करता है। इसका मतलब यह होता है कि भ्रूण को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व और ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहे हैं।
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अधिकतर एक्लेमप्सिया या प्री-एक्लेमप्सिया के मामले पहली बार गर्भधारण में होते हैं। एक्लेमप्सिया का यदि उचित उपचार न किया जाये तो यह जानलेवा हो सकता है। हालांकि विकसित देशों में इसकी वजह से गर्भवती महिलाओं की मृत्यु होना बहुत दुर्लभ है। विश्व स्तर पर, एक्लेमप्सिया से लगभग 14 प्रतिशत मातृत्व मौतें हुई हैं। ज्यादातर मामलों में, प्री-एक्लेमप्सिया के लक्षण हल्के होते हैं और निरिक्षण और आहार परिवर्तन के अलावा किसी अन्य इलाज की आवश्यकता नहीं होती है।