जैसे-जैसे गर्भावस्था का समय बढ़ता है, महिलाएं अधिक उत्साहित होती जाती हैं. नौवें महीने में प्रसव की अनुमानित तारीख डॉक्टर पहले ही बता देते हैं. वहीं, कुछ महिलाओं को तय तारीख निकलने जाने के बाद भी प्रसव पीड़ा का अहसास नहीं होता है. ऐसे में अगर बच्चेदानी का मुंह समय से खुल जाए, तो प्रसव में आसानी हो सकती है. इसके लिए महिलाएं कुछ घरेलू उपाय आजमा सकती हैं, जो गर्भाशय ग्रीवा में फैलाव बढ़ाते हैं और डिलीवरी समय से करवाने में मदद कर सकते हैं. इसके लिए कुछ खास व्यायाम करने व खजूर आदि का सेवन किया जा सकता है. आज इस लेख में हम जानेंगे कि किन घरेलू उपायों से बच्चेदानी का मुंह समय पर खोला जा सकता है-

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  1. बच्चेदानी का मुंह खोलने में फायदेमंद घरेलू उपाय
  2. सारांश
  3. बच्चेदानी का मुंह खोलने के उपाय के डॉक्टर

साल 2011 में 201 गर्भवती महिलाओं पर अध्ययन किया गया था. इनमें 50 प्रतिशत महिलाओं ने प्रसव पीड़ा शुरू करने के लिए घरेलू उपायों को आजमाया था. हेल्थ एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि महिलाओं को प्रसव के लिए कम से कम 39 सप्ताह का इंतजार करना चाहिए. अगर 40वें सप्ताह के बाद भी लेबर पेन शुरू नहीं होता है, तो ऐसे में कुछ प्राकृतिक तरीकों को आजमाया जा सकता है, जिनके बारे में नीचे बताया गया है -

  1. एक्सरसाइज
  2. अरंडी का तेल
  3. खजूर
  4. अनानास
  5. वॉक करें
  6. हंसना
  7. ब्रेस्ट/निप्पल स्टिमुलेशन
  8. एक्यूपंक्चर/एक्यूप्रेशर

एक्सरसाइज

एक्सरसाइज अधिकतर समस्याओं को ठीक करने का घरेलू उपाय होता है. प्रसव को आसान बनाने के लिए भी एक्सरसाइज की जा सकती है. एक्सरसाइज किसी भी तरीके की हो सकती है. एक्सरसाइज तनाव को कम करती है, हार्ट रेट को बढ़ाती है. शरीर को मजबूत रखने के लिए भी एक्सरसाइज शानदार तरीका है.

अगर बच्चेदानी का मुंह खोलने में एक्सरसाइज कारगर न हो, तो भी इससे कई दूसरे लाभ मिल सकते हैं. बस ध्यान रहे कि किस एक्सरसाइज को करना है और किसको नहीं, ये डॉक्टर ही बता सकते हैं. इसलिए, कोई भी एक्सरसाइज शुरू करने से पहले डॉक्टर की राय जरूर लें.

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अरंडी का तेल

अरंडी का तेल बच्चेदानी का मुंह खोलने का एक आसान घरेलू उपाय हो सकता है. इसके लिए 29ml से लेकर 59ml तक अरंडी के तेल का सेवन किया जा सकता है. इस तेल को पीने से प्रोस्टाग्लैंडीन रिलीज होता है, जो गर्भाशय ग्रीवा को तैयार करने और प्रसव शुरू करने में मदद कर सकता है.

प्रसव को आसान बनाने के लिए इस घरेलू उपाय का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए. साथ ही अधिक मात्रा में अरंडी का तेल पीने से बचें. अरंडी का तेल पीने से डायरिया जैसे साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं. इसलिए, बिना डॉक्टर की सलाह के इसका सेवन न करें.

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खजूर

कुछ वैज्ञानिक शोधों से पता चलता है कि गर्भावस्था के आखिरी हफ्तों में खजूर खाना फायदेमंद होता है. खजूर खाने से बच्चेदानी का मुंह खोलने में मदद मिल सकती है, इससे प्रसव को आसान बनाया जा सकता है. खजूर प्रसव पीड़ा होने पर गर्भाशय ग्रीवा को तैयार करने में मदद करता है. साथ ही गर्भाशय ग्रीवा के फैलाव को भी बढ़ाता है.

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अनानास

अनानास में ब्रोमेलैन नामक एंजाइम होता है. यह एंजाइम टिश्यू में प्रोटीन को तोड़ता है. दरअसल, ब्रोमेलैन एंजाइम गर्भाशय ग्रीवा तक जाता है और वहां टिश्यू को तोड़ने का काम करता है. उससे गर्भाशय ग्रीवा नरम हो जाती है और प्रसव प्रक्रिया में आसानी आ सकती है.

इस सिद्धांत को पुष्ट करने के लिए अभी कोई ठोस सबूत नहीं है. यह एंजाइम पेट में एक्टिव नहीं होता है और सिर्फ शरीर द्वारा अवशोषित किया जाता है. अनानास खाने से जीभ में झुनझुनी व मुंह में छाले जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं.

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वॉक करें

वॉक करना रक्त के प्रवाह को बढ़ाकर गति के फैलाव में मदद कर सकता है. महिला घर में ही घूम सकती है. यहां तक कि स्थिति बदलना भी फैलाव को प्रोत्साहित कर सकता है, क्योंकि इससे बच्चे का वजन गर्भाशय ग्रीवा पर दबाव डालता है. इससे प्रसव पीड़ा हो सकती है और डिलीवरी समय से हो सकती है. महिला एक्सरसाइज बॉल का उपयोग भी कर सकती है. इसे बर्थिंग बॉल भी कहा जाता है. इसमें बॉल पर बैठना होता है और आगे-पीछे हिलना होता है. इससे पेल्विस में मांसपेशियां ढीली होंगी और प्रसव में आसानी होगी.

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हंसना

हंसने से भी प्रसव को आसान बनाया जा सकता है. इससे तनाव और डर को दूर रखा जा सकता है. इससे शरीर को आराम मिलता है और गर्भाशय फैलाव में भी मदद मिलती है. इसके लिए गर्भवती महिला दोस्तों से मिल सकती हैं, कॉमेडी मूवी या शो देख सकती है.

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ब्रेस्ट/निप्पल स्टिमुलेशन

कुछ ठोस मेडिकल रिसर्च का मानना है कि ब्रेस्ट या निप्पल को स्टिमुलेट करने से बच्चेदानी का मुंह खोलने में मदद मिल सकती है. निप्पल स्टिमुलेशन से ऑक्सीटोसिन का उत्पादन होता है. ऑक्सीटोसिन वह हार्मोन है, जो गर्भाशय को सिकुड़ता है.

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एक्यूपंक्चर/एक्यूप्रेशर

एक्यूपंक्चर गर्भाशय को प्रसव के लिए तैयार करने में मदद करता है. डेनमार्क ने 2012 में 400 महिलाओं पर एक परीक्षण किया. इस अध्ययन से पता चला कि एक्यूपंक्चर गर्भाशय ग्रीवा को प्रसव के लिए तैयार करने में मदद कर सकता है. कुछ हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि एक्यूप्रेशर प्रसव पीड़ा शुरू कर सकता है, लेकिन अगर इससे प्रसव नहीं हो रहा है, तो भी इससे प्रसव के दौरान होने वाले तेज दर्द और परेशानियों को कम किया जा सकता है.

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प्रसव को प्रेरित करने के लिए किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर की राय जरूर लें, ताकि सभी तरह के जोखिम और जटिलताओं से बचा जा सके. इनमें से कुछ उपाय वास्तविक हैं, लेकिन इसके लिए कोई ठोस सबूत नहीं है कि ये काम करते हैं या नहीं. वहीं, हेल्थ एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि प्रसव को सामान्य तरीके से होने देना ही सबसे सुरक्षित होता है.

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