मानव शरीर (लड़के और लड़कियों दोनों का) आमतौर पर 45 डेल (del; दर्द मापने की इकाई) का दर्द ही बर्दाश्त कर सकता है। लेकिन प्रसव के दौरान महिलाएं 57 डेल का दर्द महसूस करती हैं। जो एक बार में 20 हड्डियों के टूटने पर होने वाले दर्द के बराबर होता है। इसे वास्तव में प्रसव पीड़ा कहते हैं।

प्रसव पीड़ा और उसके बाद डिलीवरी को बच्चे का जन्म होना या प्रेगनेंसी का अंत भी कहा जाता है। डिलीवरी दो प्रकार से होती है, नार्मल डिलीवरी या सिजेरियन डिलीवरी (सी-सेक्शन)। 2015 में विश्वभर में 13.5 करोड़ बच्चों ने जन्म लिया था जिनमें से लगभग 1.5 करोड़ बच्चे गर्भावस्था के 37वें हफ्ते से पहले, जबकि 3 से 12% बच्चे 42 हफ्तों बाद पैदा हुए थे। आजकल ज्यादातर डिलीवरी अस्पताल में होती हैं, लेकिन आज भी कई जगहों पर अधिकांश जन्म घर पर एक दायी की मदद से होते हैं।

प्रसव का सबसे सामान्य तरीका योनि मार्ग से डिलीवरी है। इस प्रकार के प्रसव के तीन चरण होते हैं: गर्भाशय ग्रीवा का छोटा और बड़ा होना, बच्चे का जन्म लेने के लिए आगे खिसकना और बच्चे का जन्म और प्लेसेंटा बाहर आना आदि।

अधिकांश बच्चों का जन्म लेते समय पहले सिर बाहर आता है। हालांकि लगभग 4% बच्चों के पैर या कूल्हे पहले बाहर आते हैं। 2012 में, लगभग 23 मिलियन प्रसव सर्जरी द्वारा हुए थे। आमतौर पर सीज़ेरियन डिलीवरी, जुड़वा बच्चों या बच्चों में संकट में होने या उलटी स्थिति में पैदा होने का संकेत होने पर किया जाता है। सर्जरी में ठीक होने में अधिक समय लग सकता है।

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  8. सारांश
प्रसव पीड़ा के लक्षण और कम करने के उपाय के डॉक्टर

प्रसव का समय कोई निश्चित रूप से नहीं बता सकता - आपके चिकित्सक द्वारा बताई गयी तिथि भी केवल अनुमानित होती है। प्रसव बताई गयी तिथि से 3 हफ्ते पहले या 2 हफ्ते  बाद भी हो सकता है। प्रसव का पहला चरण कई घंटों तक रह सकता है, इसलिए प्रसव पूर्व संकेतों के महसूस होने पर परेशान न हों। प्रसव की शुरुआत होने पर निम्न संकेतों का अनुभव होता है:

  1. लाइटनिंग (Lightening): यह तब होता है जब प्रसव का समय आने पर आपके शिशु का सिर आपके श्रोणि में नीचे की ओर चला जाता है इस समय आपका पेट कम नज़र आता है। आपको सांस लेने में आसानी होगी क्योंकि शिशु अब श्रोणि में नीचे की ओर है और अब फेफड़ों पर दबाव नहीं पड़ता। आपको बार बार पेशाब करने की जरूरत भी महसूस हो सकती है, क्योंकि शिशु आपके मूत्राशय पर दबाव डालता है। यह प्रसव के शुरू होने के कुछ हफ्ते या घंटों पहले शुरू हो सकता है।
  2. ब्लडी शो (Bloody show): आपके गर्भाशय ग्रीवा से निकला खून या भूरे रंग का डिस्चार्ज म्यूकस प्लग होता है जो गर्भ को संक्रमण से बचाने के लिए होता है। यह प्रसव शुरू होने के कुछ दिन या कुछ समय पहले बाहर निकल सकता है।
  3. दस्त (Diarrhea): लगातार दस्त या मतली होने का मतलब हो सकता है कि प्रसव का समय नज़दीक है। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में दस्त होना)
  4. विकृत झिल्ली (Ruptured membranes): योनिस्राव या लीक होने का अर्थ है कि एम्नियोटिक थैली की झिल्ली फट (Rupture) चुकी है। यह प्रसव शुरू होने से कुछ घंटे पहले या प्रसव के दौरान भी हो सकता है। ज्यादातर महिलाएं इसके 24 घंटे बाद प्रसव पीड़ा महसूस करने लगती हैं। यदि प्रसव इस समय सीमा के दौरान स्वाभाविक रूप से नहीं होता है, तो डॉक्टर प्रसव के लिए दवाओं या तकनीकों का प्रयोग करके प्रसव पीड़ा उत्पन्न कर सकते हैं। ऐसा संक्रमण और प्रसव सम्बन्धी जटिलताओं को रोकने के लिए किया जाता है।
  5. संकुचन (Contractions): जैसे जैसे प्रसव का समय नज़दीक आता है आवधिक, अनियमित संकुचन (गर्भाशय की मांसपेशियों में ऐंठन) का अनुभव होता है। जो संकुचन 10 मिनट से कम समय के अंतराल पर होते हैं वह आमतौर पर यह संकेत देते हैं कि प्रसव की शुरुआत हो गई है।
  6. आपकी पानी की थैली फट जाती है।
  7. आपको पेट फूला हुआ सा, कब्ज या दर्द महसूस होगा। 

जैसे ही आपको प्रसव के संकेत महसूस हों आप तुरंत डॉक्टर के पास जाएं वे आपको महसूस होने वाली ऐंठन से सम्बंधित और भी अन्य लक्षण पूछेंगे। याद रखें, यदि आपकी पानी की थैली फट गयी है, तो आपको तुरंत डॉक्टर को फोन करना चाहिए। वे आपको सही सलाह देंगे कि आपको कब अस्पताल जाना चाहिए।

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आखिरी मासिक धर्म के पहले दिन से लेकर 40 हफ़्तों के बाद की तारीख को प्रसव की तिथि बताया जाता है। हालांकि कभी कभी यह अल्ट्रासाउंड द्वारा निर्धारित की जाती है। ज्यादातर महिलाओं के प्रसव का समय डॉक्टर 37वें और 42वें सप्ताह के बीच का निर्धारित करते हैं। जो प्रसव गर्भावस्था के 37वें सप्ताह से पहले हो जाते हैं उन्हें समय से पहले प्रसव (Premature or preterm labor) कहते हैं। जो प्रसव 37वें या 38वें सप्ताह में होता है उसे प्रसव की शुरुआती अवधि माना जाता है क्योंकि इस समय में पैदा हुए बच्चों के फेफड़े अभी भी अपरिपक्व होते हैं।

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जैसे हर महिला की प्रेगनेंसी अलग होती है वैसे ही उसके प्रसव की शुरुआत, लक्षण और डिलीवरी होने में लगने वाला समय भी भिन्न होता है।

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प्रसव को आम तौर पर तीन चरणों में विभाजित किया जाता है:

चरण 1.

प्रसव के पहले चरण को तीन चरणों में विभाजित किया गया है: लेटेंट (latent), एक्टिव (Active; क्रियाशील) और ट्रांज़िशन (transition; परिवर्तनकाल)।

पहला, लेटेंट चरण, सबसे लंबा और सबसे कम तीव्र होता है। इस चरण के दौरान, संकुचन लगातार होने लगते हैं, यह आपकी गर्भाशय ग्रीवा को फैलाने में मदद करती है ताकि बच्चा जन्म नलिका से आसानी से निकल सके। इस स्तर पर असुविधा भी कम होती है इस चरण के दौरान, यदि आपके संकुचन नियमित होते हैं, तो आपको अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा और गर्भाशय ग्रीवा कितना फैला है यह निर्धारित करने के लिए लगातार पैल्विक परीक्षाएं की जाएँगी।

एक्टिव चरण के दौरान, गर्भाशय ग्रीवा अधिक तेजी से फैलना शुरू कर देता है। आप प्रत्येक संकुचन के दौरान अपनी पीठ या पेट में गहन दर्द या दबाव महसूस कर सकती हैं। आप शिशु को दबाव देकर धकेलने की इच्छा महसूस कर सकते हैं, लेकिन आपका डॉक्टर आपको पूरी तरह ग्रीवा के फैलने तक इंतजार करने के लिए कहेंगे।

ट्रांज़िशन के दौरान, गर्भाशय ग्रीवा पूरी तरह से 10 सेंटीमीटर तक फैलती है। संकुचन बहुत मजबूत, दर्दनाक और लगातार, हर तीन से चार मिनट में आते हैं और 60 से 90 सेकंड तक चलते हैं।

चरण 2.

इस चरण में गर्भाशय ग्रीवा पूरी तरह से खुल जाता है। इसके पूरी तरह फैलने पर, आपका डॉक्टर आपको पुश करने के लिए कहेगा। आपके दबाव डालना आपके शिशु को जन्म नलिका में आगे बढ़ाता है। आपके शिशु का सिर तब नज़र आने लगता है जब इसका सबसे चौड़ा हिस्सा योनि के मुख पर पहुंचता है। जैसे ही आपके बच्चे का सिर बाहर निकलता है, आपका डॉक्टर शिशु की नाक और मुँह से एमनीओटिक तरल पदार्थ, रक्त, और बलगम को बाहर निकालेंगे। आप बच्चे के कंधों और बाकी के शरीर को बाहर निकालने के लिए दबाव देना और शिशु को धकेलना जारी रखें। शिशु का जन्म होने के बाद डॉक्टर प्लेसेंटा को काट देते हैं।

चरण 3.

शिशु को जन्म देने के बाद, आप प्रसव के अंतिम चरण में प्रवेश करती हैं। इस चरण में, गर्भनाल को निकाला जाता है। यह वह अंग होता है जो गर्भ में बच्चे को पोषण देता है। प्रत्येक महिला और प्रत्येक प्रसव अलग होता है। प्रसव के प्रत्येक चरण में बिताए गए समय की मात्रा अलग-अलग होती है। अगर यह आपकी पहली गर्भावस्था है तो प्रसव आम तौर पर लगभग 12 से 14 घंटे तक रहता है। आमतौर पर बाद के गर्भधारण में यह प्रक्रिया कम समय लेती है।

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प्रसव पीड़ा से राहत पहुंचाने के लिए कई प्रकार के उपाय किये जा सकते हैं। दर्द से राहत पाने के लिए किये जाने वाले उपाय, आपकी प्रसव पीड़ा के चरण, आपके और आपके बच्चे के स्वास्थ्य आदि पर निर्भर करते हैं। प्रसव के लिए सबसे अच्छी दवा है कि आप इस समय के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें। क्योंकि अगर आप डिलीवरी से डरेंगी तो आप उस दौरान होने वाली समस्याओं या दर्द से अनजान रहेंगी और दर्द सहने के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं हो पाएंगी। आप दर्द कम करने की दवा भी ले सकती हैं। यदि आप भयमुक्त हैं और आपको अपने डॉक्टर पर विश्वास है तो आपको किसी दवा की कम या हो सकता है ज़रूरत न ही पड़े।

प्रसव एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसके दर्द से निपटने के दवा के अलावा भी कई तरीके हैं। डॉक्टर आपको अतिरिक्त सुझाव दे सकते हैं। दर्द से निपटने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं:

  1. रिलैक्स होने की कोशिश करें।
  2. जब भी ऐंठन हो थोड़ा बहुत टहलने की कोशिश करें।
  3. अपनी श्रोणि के हिस्से को चलायमान रखने के लिए हिलने डुलने वाले काम करती रहें।
  4. बाथटब, स्विमिंग पूल या शावर में स्नान करके भी इसका उपचार किया जा सकता है।
  5. अपने पति या किसी और से मालिश करवाएं।
  6. मूत्रत्याग के लिए अधिक जाएं।
  7. खुद को संगीत, टेलीविजन या ध्यान के माध्यम से विचलित करने की कोशिश करें।

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आपके पति और रिश्तेदार भी निम्न चीज़ें करके दर्द से निपटने में आपकी सहायता कर सकते हैं:

  1. आपका ध्यान दूसरी ओर विचलित करने की कोशिश करके।
  2. अपने साथी या रिश्तेदार जो भी आपके पास हों, वो बच्चे को नीचे की ओर खिसकाने में आपकी मदद कर सकते हैं।
  3. उनको गीला कपड़ा माथे पर रखने को कहें।
  4. डॉक्टर के द्वारा जो कहा गया हो वो पेय पदार्थ और भोजन लें।
  5. यदि आप चाहें तो मालिश करवा सकती हैं।
  6. एक के बाद दूसरी ऐंठन होने के बीच बीच में आराम करने की कोशिश करें।

बच्चे को जन्म देना कोई ताकत या बहादुरी की परीक्षा देना नहीं होता है। प्रसव के दर्द को मनुष्यों द्वारा अनुभव किया जाने वाला सबसे तीव्र दर्द माना जाता है। प्रसव के दर्द को कम करने के लिए विभिन्न प्राकृतिक और चिकित्सकीय तरीके हैं। चिकित्सकीय तरीकों में विभिन्न प्रकार की दर्द निवारक दवाएं आती हैं जो डॉक्टर की सलाह से लेनी चाहिए। इन दवाओं में दर्दनाशक और सेवन करने वाली दवाओं के अलावा, बेहोश करके या तंत्रिकाओं को ब्लॉक करके (सुन्न करके) या फिर एपिड्यूरल (Epidural: इसमें उस क्षेत्र को सुन्न कर दिया जाता है जहाँ दर्द हो रहा हो) आदि विधियों द्वारा प्रसव पीड़ा को कम करने की कोशिश की जाती है।

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जब डॉक्टर द्वारा निर्धारित की गयी तिथि तक प्रसव पीड़ा नहीं होती तो डॉक्टर दवाओं और इंजेक्शन के माध्यम से उसे उत्पन्न भी करते हैं। लेकिन इसे कुछ प्राकृतिक तरीकों द्वारा भी उत्पन्न किया जा सकता है जो इस प्रकार हैं :

1. सेक्स करने से प्रसव पीड़ा उत्पन्न होती है, इसके पीछे तथ्य यह है कि महिला की कामोत्तेजना प्रसव पीड़ा को तो उत्पन्न करने में सहायक होती ही है साथ ही साथ वीर्य में मौजूद प्रोस्टाग्लैंडिंस भी योनि के संपर्क में आ जाते हैं।

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चेतावनी: यदि आपकी पानी की थैली फट चुकी है तो इस उपाय का सहारा न लें। क्योंकि एक बार अगर एम्नियोटिक थैली की झिल्ली फट जाती है तो संक्रमण होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

2. स्तनों की मालिश करें। निप्पल में उत्तेजना होने से ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) हार्मोन सिक्रीट होता है। जो मांसपेशियों में संकुचन या ऐंठन शुरू करता है। पूरे दिन में 5 मिनट के लिए मालिश करें। स्तन उत्तेजना से प्रसव पीड़ा नहीं शुरू होगी। लेकिन अगर गर्भाशय ग्रीवा परिपक्व हो गयी होगी तो यह प्रक्रिया तेज हो सकती है। अत्यधिक मालिश न करें क्योंकि ऐसा करने से अधिक ऐंठन हो सकती है जो बहुत तेज़ी से महसूस होती है।

3. थोड़ा टहलें। जब आप चलते हैं तो आपके बच्चे को सांस लेने में और आसानी होती है। यदि आप पहले से ही ऐंठन महसूस कर रही हैं तो आपको टहलने से प्रसव पीड़ा उत्पन्न करने में माध मिल सकती है। खुद को थकने न दें। प्रसव में शारीरिक मेहनत की ज़रूरत पड़ती है। अपनी ऊर्जा को बचाएं ताकि प्रसव शुरू होने से पहले ही आप निष्क्रिय न हो जाएं।

4. सही जानकारी रखें। असल में प्रसव उत्पन्न करने को लेकर भी बहुत सारे मिथक होते हैं। लेकिन आपको कुछ उपाय नहीं करने चाहिए। इस प्रकार के उपाय कुछ इस प्रकार हैं:

  • अरंडी का तेल, पेट संबंधी परेशानियों को बढ़ाता है। इससे आपको प्रसव पीड़ा नहीं होती बल्कि पेट से सम्बंधित समस्याएं हो सकती हैं। मसालेदार भोजन खाने से किसी प्रकार की ऐंठन नहीं होती। इसका कोई प्रमाण भी नहीं है।
  • कुछ जड़ी-बूटियां, जैसे कोहोश या ईवनिंग प्रिमरोज तेल आदि उपयोग करने के लिए सुरक्षित नहीं हैं। और हार्मोन की ही तरह काम करने वाले यौगिकों के साथ इन जड़ी-बूटियों का उपयोग वास्तव में हानिकारक हो सकता है। किसी भी हर्बल सप्लीमेंट्स का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।

चिकित्सकीय तरीके:

  1. डॉक्टर आपके एक उंगली की सहायता से गर्भाशय की दीवार के चारों ओर से झिल्ली हटा देते हैं, इसे एम्नियोटिक थैली की झिल्ली फट जाती है। यह प्रक्रिया डॉक्टर अपने क्लिनिक में ही कटे हैं। उसके बाद आप घर जा सकती हैं और प्रसव होने का इंतज़ार कर सकती हैं। इस बीच में आपको स्पॉटिंग आदि महसूस हो सकती है। इसलिए चिंता न करें। यदि यह रक्तस्राव अत्यधिक हो तो डॉक्टर से संपर्क करें।
  2. गर्भाशय ग्रीवा को नरम करने के लिए दवा लें। यदि आपने अभी तक गर्भाशय ग्रीवा में किसी प्रकार का परिवर्तन अनुभव नहीं किया है तो अभी प्रसव होने में समय है, और डॉक्टर आपको कुछ अलग दवाओं का सेवन करने के लिए भी कह सकते हैं। ये दवाएं प्रसव आरंभ करने वाले हार्मोन की नकल करती हैं।
  3. इसमें आपकी पानी की थैली फाड़ी जाती है। इसे एम्निओटॉमी कहते हैं। जिसमें डॉक्टर धीरे-धीरे एम्नियोटिक थैली को एक प्लास्टिक हुक की सहायता से तोड़ते हैं। यह आमतौर पर तभी किया जाता है जब गर्भाशय ग्रीवा खुली हो और बच्चा उस जगह पर हो लेकिन आपकी पानी की थैली नहीं फट रही हो। आपका डॉक्टर आपके बच्चे के हृदय दर की जाँच करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि आपको गर्भनाल की जटिलताओं का अनुभव तो नहीं हो रहा है।

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प्रसव पीड़ा की अवधि अलग अलग महिलाओं में अलग अलग होती है। यह कई कारकों पर निर्भर करती है, सबसे पहले तो इसपर कि यह आपका पहला बच्चा है या इससे पहले भी आप माँ बन चुकी हैं। आमतौर पर, पहले प्रसव की अवधि 12-14 घंटे होती है, इसके बाद के प्रसवों  की अवधि सात घंटे या उससे भी कम समय हो जाती है। कुछ महिलाएं 24 घंटे या उससे अधिक समय के लिए भी प्रसव की स्थिति में हो सकती हैं, जबकि कुछ को केवल कुछ ही घंटों में प्रसव हो जाता है। हालांकि ये दोनों ही स्थितियां असामान्य हैं।

प्रसव को तीन विशिष्ट चरणों में विभाजित किया गया है, प्रत्येक चरण एक निश्चित समय के लिए चलता है। नर्स या दायी पूरे समय अर्थात इन तीनों चरणों में आपके साथ होगी, और आपका बच्चा पैदा होने तक आपका मार्गदर्शन करेंगी। यदि आपकी अपनी कोई डॉक्टर (रिश्तेदारी में या अन्य) हैं, या इस समय कोई आपके साथ रहना चाहता है, विशेषकर अगर समस्याएं हैं तो, वह आम तौर पर पहले चरण तक ही आपके साथ रह सकता है।

आपके पति को आपको शारीरिक और मानसिक रूप से समर्थन देने के लिए प्रसव के दौरान मौजूद होना चाहिए इससे भी काफी मदद मिलती है। वह आपको न केवल आराम देने और मालिश करने की कोशिश कर सकते हैं बल्कि प्रसव के दौरान आपको प्रसव के लिए ज़रूरी व्यायाम करने में भी मदद कर सकते हैं। साथ ही जब आवश्यकता हो वे अस्पताल के कर्मचारियों के साथ बातचीत करने और दवा आदि लाने में भी मदद कर सकते हैं।

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ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही में अनुभव होते हैं। ये अनियमित ऐंठन होती हैं जो आमतौर पर कम हो जाती है। जब वास्तविक प्रसव शुरू होता है, तो संकुचन हल्के, अनियमित ऐंठन के रूप में शुरू होता है जो समय के साथ नियमित और अधिक दर्दनाक हो जाते हैं। आप अपनी पीठ या अपने ऊपरी और निचले पेट में इन ऐंठन को महसूस कर सकती हैं। आप आमतौर पर ऐंठन या संकुचन के दौरान अपने बच्चे की गतिविधियां महसूस नहीं कर सकतीं। संकुचन बच्चे के सिर को नीचे की ओर धकेलते हैं। इससे धीरे धीरे गर्भाशय ग्रीवा खुलती है। प्रसव पीड़ा का आभास तब होता है जब आपको समान प्रकार के ही दर्द महसूस होते हैं, लेकिन उनसे गर्भाशय ग्रीवा नहीं खुलती है। यह असली प्रसव नहीं होता है, लेकिन यह दर्द असली होता है। वास्तविक प्रसव गर्भाशय ग्रीवा को फैलाता है।

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प्रसव आमतौर पर एक लंबी प्रक्रिया है। सबसे पहले होने वाले दर्द प्रारंभिक, कम या जल्दी प्रसव के रूप में जाना जाने जाते हैं। यह चरण एक या दो दिन तक रह सकते हैं या यह शुरू होकर फिर बंद हो सकते हैं। ऐसे समय में ज्यादा से ज्यादा खाएं और इसमें बहुत अधिक तरल पदार्थ, विशेष रूप से पानी और शुद्ध रस बिना अधिक चीनी डाले। आप नहा सकती हैं, टहल सकती हैं, लेकिन अपने आप को थकने न दें।

जब आपके संकुचन नियमित और तीव्र होते हैं, और एक से दो घंटे तक हर चार से पांच मिनट के लिए आते हैं, तो आपको डॉक्टर को फोन करना चाहिए। वह आपसे कई प्रश्न पूछ सकती हैं। जो निर्धारित करेंगे कि ये अस्पताल जाने का वक्त है या नहीं। अस्पताल में योनि परीक्षण करके निर्धारित किया जाता है कि गर्भाशय ग्रीवा फैली हुई है या नहीं। अगर गर्भाशय ग्रीवा लगभग 4 सेंटीमीटर तक फैली हुई होती है तो यह आपके प्रसव का समय होता है और आपको फिर भर्ती कराया जाएगा।

यदि आप जुड़वा या अधिक बच्चों की मां बनने वाली हैं या अन्य कोई जोखिम होने की सम्भावना है और आपको लगता है कि आपको प्रसव हो रहा है तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। किसी भी गर्भवती महिला को निम्न स्थितियों में बिना देरी किये डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:

  1. पानी की थैली का फटना।
  2. योनि से अत्यधिक रक्तस्राव होना।
  3. बच्चे गतिविधियां महसूस न होना।
  4. चेहरे और हाथों में सूजन होना।
  5. धुंधली दृष्टि
  6. गंभीर सिरदर्द
  7. चक्कर आना
  8. तीव्र पेट दर्द
  9. अचानक वजन बढ़ने पर।

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लेबर पेन या प्रसव पीड़ा वह शारीरिक दर्द है जो महिला को बच्चे के जन्म के समय अनुभव होता है। यह दर्द गर्भाशय की मांसपेशियों के संकुचन और गर्भाशय ग्रीवा के फैलाव के कारण होता है, जो बच्चे को जन्म नहर से बाहर निकलने के लिए तैयार करता है। लेबर पेन की तीव्रता और अवधि हर महिला के लिए अलग हो सकती है, और यह दर्द धीरे-धीरे बढ़ता है। प्रारंभिक लेबर में दर्द अक्सर कम होता है और अधिक असहजता पैदा करता है, जबकि सक्रिय लेबर और ट्रांजिशन चरण में दर्द अधिक तीव्र हो सकता है। इस दर्द को प्रबंधित करने के लिए विभिन्न तकनीकें उपलब्ध हैं, जैसे साँस लेने के व्यायाम, गर्म पानी से स्नान, मालिश, और कभी-कभी दर्द निवारक दवाएं या एपिड्यूरल एनेस्थेसिया का उपयोग। लेबर पेन एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और यह संकेत है कि शिशु जन्म के लिए तैयार हो रहा है।

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