तेलंगाना में सरकारी अस्पतालों में होने वाली डिलीवरी (प्रसव) के मामलों में 22 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा चलाई एक योजना को श्रेय दिया जा रहा है, जिसमें महिलाओं को डिलिवरी के बाद एक किट दी जाती है। इस किट में बच्चे के पैदा होने के बाद उसकी शुरुआती देखभाल के लिए जरूरी तमाम चीजें मुफ्त में मुहैया कराई जाती हैं। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, इस किट का नाम 'केसीआर किट' है। इसमें नवजात की देखभाल और बेहतर स्वास्थ्य के लिए मां को कई चीजें दी जाती हैं, जैसे बच्चे को नहलाने में इस्तेमाल होने वाला साबुन, तेल और पाउडर। इनके अलावा मच्छरों से बचाव के लिए एक नेट भी दिया जाता है।
रिपोर्टों की मानें तो इन सब चीजों के अलावा किट में कुछ खिलौने, बच्चे की साफ-सफाई के लिए नैपकीन, डायपर और दो जोड़ी कपड़े भी दिए जाते हैं। इतना ही नहीं, बच्चे के पोषण को ध्यान में रखते हुए महिला को 13,000 रुपये (लड़की के जन्म पर) दिए जाने की व्यवस्था की गई। यह रकम लड़की पैदा होने पर दी जाती है। लड़के के जन्म पर यह सहायता राशि 12,000 रुपये रखी गई है, जिसे चार अलग-अलग किस्तों में दिया जाता है। साथ ही मां के लिए दो साड़ियां भी दी जाती हैं।
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महिला को कैसे मिलता है फायदा?
इस योजना को लेकर प्रकाशित हुई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, तेलंगाना की महिलाओं को गर्भवस्था के समय से ही इस योजना (केसीआर किट स्कीम) का लाभ मिलना शुरू हो जाता है। इसके तहत, गर्भवती महिला द्वारा अस्पताल में अपना नाम रजिस्ट्रर कराने के बाद भ्रूण के पोषण के लिए उसे पहली किस्त के रूप में 3,000 रुपये दिए जाते हैं। वहीं, डिलीवरी के बाद 5,000 रुपये की दूसरी किस्त महिला के बैंक अकाउंट में भेजी जाती है। इसके बाद बच्चे के पहले टीकाकरण (बच्चे की साढ़े तीन महीने की में) के समय तीसरी किस्त के रूप में 2,000 रुपये दिए जाते हैं। फिर खसरे की वैक्सीन लगने के दौरान यानी बच्चे के जन्म के नौ महीने बाद 3,000 रुपये की राशि बतौर चौथी किस्त दी जाती है।
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भारत में गर्भवती महिला के लिए अलग-अलग सहायता राशि
हमारे देश में गर्भवती महिलाओं को केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग प्रकार से सहायता राशि प्रदान करती हैं। केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत गर्भवती महिला के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कुछ मूलभूत सुविधाएं दी जाती हैं। इसमें डिलीवरी के समय दी जाने वाली 6,000 रुपये की एक किस्त भी शामिल है। वहीं, राज्यों की अपनी अलग नीतिया हैं।
साल 2018 के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के मुताबिक, मणिपुर में देश का ऐसा राज्य है जहां गर्भवती महिला की डिलीवरी के समय उसके स्वास्थ्य और बच्चे के पोषण पर सबसे अधिक खर्च किया जाता है। रिपोर्टों के मुताबिक, यहां यह खर्च औसतन 10,076 रुपये है। इस मामले में दूसरे नंबर पर देश की राजधानी दिल्ली है जहां 8,719 रुपये एक गर्भवती के स्वास्थ्य और उसके बच्चे के पालन-पोषण पर खर्च होते हैं।
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वहीं, पश्चिम बंगाल में 7,782, केरल में 6,901 और अरुणाचल प्रदेश में 6,474 रुपये दिए जाते हैं। इन आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए नीति आयोग ने अनुमान लगाया है कि एक बड़े से राज्य में हर डिलीवरी पर औसतन 3,080 रुपये खर्च होते हैं, जबकि छोटे राज्यों में यह आंकड़ा 5,170 रुपये हैं। केंद्र शासित प्रदेशों में यह राशि 2,995 रुपये हैं।
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