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इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी आईवीएफ में अंडाशय से मैच्योर अंडे एकत्रित किए जाते हैं और एक प्रयोगशाला में शुक्राणु को फर्टिलाइज किया जाता है. फिर फर्टिलाइज्ड अंडे को गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है. आईवीएफ के एक पूर्ण चक्र में लगभग तीन हफ्ते लगते हैं. कुछ परिस्थितियों में इस प्रक्रिया में अधिक समय लग सकता है. यह सुविधा प्राइवेट के साथ ही अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) और गुरु तेग बहादुर हॉस्पिटल जैसे कई सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है.

आज इस लेख में सरकारी अस्पताल में आईवीएफ के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. आईवीएफ के प्रमुख सरकारी अस्पताल
  2. सारांश
सरकारी अस्पताल में आईवीएफ: अस्पताल का नाम व खर्चा के डॉक्टर

आईवीएफ की सुविधा अब कई सरकारी अस्पतालों में भी उपलब्ध है. इस तरीके को अपनाकर गर्भधारण करने का सफलता दर (सक्सेस रेट) काफी अच्छा है. आईवीएफ के लिए लोकनायक जय प्रकाश नारायण हॉस्पिटल और एसएटी फर्टिलिटी सेंटर जैसे सरकारी अस्पतालों से संपर्क किया जा सकता है. आइए, विस्तार से जानें आईवीएफ के लिए विख्यात प्रमुख सरकारी अस्पतालों के बारे में -

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान

यह भारत का प्रसिद्ध अस्पताल है, जिसकी शाखा 20 से भी ज्यादा शहरों में है. इस संस्था द्वारा कई आईवीएफ ट्रीटमेंट हो चुके हैं. यहां की औसतन आईवीएफ ट्रीटमेंट की सफलता दर 30 से 35 प्रतिशत है. इस संस्था में आईवीएफ ट्रीटमेंट कराने पर 60,000 हजार तक खर्च हो सकता है.

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गुरु तेग बहादुर हॉस्पिटल

करीब 190 बिस्तर की सुविधा देने वाला यह अस्पताल दिलशाद गार्डन, नई दिल्ली में स्थित है. यहां पर आईवीएफ की सुविधा कुछ वर्ष पहले ही शुरू हुई है. इस प्रक्रिया के लिए उत्तम तकनीक और कर्मचारी उपलब्ध हैं. इस अस्पताल में आईवीएफ की सफलता दर 40 से 45% है. इस संस्थान में आईवीएफ करवाने पर 65 हजार तक खर्च आ सकता है.

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एसएटी हॉस्पिटल फर्टिलिटी सेंटर

यह भी एक सरकारी अस्पताल है. यह सेंटर केरला के तिरुवनंतपुरम में है. इस सेंटर में पहली बार आईवीएफ के जरिए 2013 में एक फर्टिलाइज्ड बेबी को जन्म दिया गया. उसके बाद से यहां पर कई अन्य आईवीएफ की सफलता का प्रमाण मिला है. यहां पर आईवीएफ कराने की कुल लागत 60 से 80 हजार तक आ सकती है.

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लोकनायक जय प्रकाश नारायण हॉस्पिटल

यह भी एक सरकारी अस्पताल है. इसे पहला स्त्री रोग केंद्र माना जाता है. यह अस्पताल जवाहर लाल नेहरू रोड, दिल्ली पर स्थित है. इस अस्पातल की आईवीएफ सफलता दर 30 से 35 प्रतिशत है. यहां आईवीएफ उपचार पर करीब 60 से 65 हजार तक खर्च आ सकता है.

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ऐसे कपल, जो पेरेंट्स बनने की चाह तो रखते हैं, लेकिन बन नहीं पा रहे हैं, उनके लिए आईवीएफ किसी वरदान से कम नहीं है. आईवीएफ के जरिए अपने बजट में सरकारी अस्पतालों की मदद से भी गर्भधारण किया जा सकता है. इसके माध्यम से गर्भधारण का सपना बड़ी उम्र की महिलाएं और प्रजनन क्षमता से जुड़ी दिक्कत से गुजर रही महिलाएं भी कर रही हैं. यह सुविधा कई सरकारी अस्पताल, जैसे एम्स और गुरु तेग बहादुर अस्पताल आदि में उपलब्ध है. इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए प्रतिष्ठित अस्पताल का चयन करें और अपने डॉक्टर की सलाह का पालन करें.

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