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इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे कपल्स के लिए आईवीएफ और आईयूआई आर्टिफिशियल रीप्रोडक्टिविटी टेक्नोलॉजी प्रक्रियाओं में से एक है. इन दोनों ही टेक्नोलॉजी में कई अंतर होते हैं. कई लोग इन दोनों के बीच अंतर को समझे बिना ही किसी भी टेक्नोलॉजी का सहारा ले लेते हैं, जबकि ट्रीटमेंट लेने से पहले हर कपल को इन दोनों के बीच के फर्क को समझना जरूरी होता है. जहां आईयूआई के लिए महिला की रिपोर्ट सामान्य होना जरूरी है, वहीं आईवीएफ कोई भी महिला करवा सकती है.

आज इस लेख में आप आईयूआई और आईवीएफ के बीच के अंतर को जानेंगे -

(और पढ़ें - आईवीएफ फेल होने के कारण)

  1. आईयूआई क्या है?
  2. आईवीएफ क्या है?
  3. आईवीएफ और आईयूआई के बीच अंतर
  4. IUI या IVF में से कौन ज्यादा सफल है?
  5. सारांश
आईवीएफ और आईयूआई में अंतर के डॉक्टर

इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन को आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन भी कहा जाता है. यह गर्भधारण करने के लिए सरल प्रक्रियाओं में से एक है. इस प्रक्रिया में डॉक्टर या एक्सपर्ट्स लैब में स्पर्म को कलेक्ट और प्रोसेस्ड करने के बाद गर्भाशय गुहा (uterine cavity) में रखते हैं. इस प्रक्रिया को शुरू करने से पहले महिला के एग की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए कुछ दवाइयां दी जाती हैं.

इस दौरान महिला के ओवुलेशन से पहले पुरुष का स्पर्म कलेक्ट कर लिया जाता है. इसमें से खराब, मृत और कम गतिशील स्पर्म को अलग करके बेस्ट स्पर्म का चयन किया जाता है. इसके बाद इस स्पर्म को महिला के गर्भाशय में इंजेक्ट कर दिया जाता है. वहीं, इस प्रक्रिया में अगर पुरुष का स्पर्म सही नहीं होता है या फिर महिला के अकेला होने की स्थिति में स्पर्म डोनर का इस्तेमाल किया जाता है.

(और पढ़ें - सरकारी अस्पताल में आईवीएफ)

IUI से ज्यादा फ़ायदा किसे हो सकता है?

  • अगर किसी महिला को ओवुलेशन की समस्या हो और वह ओवुलेशन बढ़ाने वाली दवा लेने के बाद भी गर्भधारण करने में सक्षम न हो
  • प्रजनन दवा का उपयोग करने वाली महिला 
  • शुक्राणु मे असमानताएँ जैसे कि सांद्रता, गतिशीलता और शुक्राणु की आकृति या आकार
  • पुरुष साथी को स्खलन में कठिनाई होना हो
  • अगर पुरुष ने  सर्जरी या वृषण कैंसर जैसी बीमारियों के उपचार से पहले शुक्राणु को जमा कर रखा है
  • अगर महिला के गर्भवती होने के लिए डोनर के शुक्राणु का उपयोग किया जा रहा है।
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इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) में पुरुष के स्पर्म और महिला के एग को लैब में फर्टिलाइज किया जाता है. फर्टिलाइजेशन के बाद इसे महिला के गर्भ में इंजेक्ट कर दिया जाता है. इस प्रक्रिया में सबसे पहले महिलाओं के ओवुलेशन की प्रक्रिया पर ध्यान दिया जाता है. अगर किसी कारण महिला के एग का विकास सही से नहीं हो रहा है, तो इस स्थिति में डॉक्टर उन्हें दवाएं देते हैं.

इससे एग की गुणवत्ता और साइज को बढ़ाया जाता है. जब एग का आकार और गुणवत्ता में सुधार आता है, तो इसे निकालकर लैब में स्पर्म के साथ फर्टिलाइज किया जाता है. फर्टिलाइजेशन के बाद इसे गर्भ में इंजेक्ट कर दिया जाता है. इस प्रक्रिया के बाद गर्भ का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है.

(और पढ़ें - आईवीएफ में क्या खाना चाहिए)

आईवीएफ से किसे लाभ हो सकता है?

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन की सलाह आमतौर पर उन जोड़ों को दी जाती है जो एक साल से अधिक समय से मा बाप बनने की कोशिश कर रहे हैं और जिनमें एक या अधिक प्रजनन संबंधी समस्याएं हैं, जैसे:

  • फैलोपियन ट्यूब का बंद होना
  • महिला में अंडों की कमी
  • पुरुष शुक्राणुओं की अत्यधिक कम संख्या या कम गतिशीलता
  •  एंडोमेट्रियोसिस
  • पुरुष साथी का पुरुष नसबंदी का इतिहास
  • आईवीएफ सरोगेसी

आईवीएफ की सलाह आमतौर पर उन जोड़ों को दी जाती है जो तीन असफल आईयूआई चक्रों के बाद गर्भधारण करने में विफल रहे हैं। 

महिलाओं के स्वास्थ के लिए लाभकारी , एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोंस को कंट्रोल करने , यूट्रस के स्वास्थ को को ठीक रखने , शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल कर सूजन को कम करने में लाभकारी माई उपचार आयुर्वेद द्वारा निर्मित अशोकारिष्ठ का सेवन जरूर करें । 

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आइए, अब जानते हैं कि इन दोनों प्रक्रियों के बीच मुख्य अंतर क्या है -

  • आईयूआई में महिला की रिपोर्ट सामान्य होना जरूरी है. वहीं, आईवीएफ महिलाओं में किसी तरह की परेशानी होने के बावजूद भी गर्भधारण का प्रयास किया जा सकता है.
  • आईयूआई में स्पर्म काउंट और क्वालिटी अच्छी होनी जरूरी होती है. अगर ऐसा न हो, तो डोनर की आवश्यकता हो सकती है. वहीं, आईवीएफ में स्पर्म काउंट कम होने के बाद भी पिता बना जा सकता है.
  • आईयूआई में मेनोपॉज के बाद गर्भधारण नहीं किया जा सकता है. वहीं, आईवीएफ में मेनोपॉज के बाद भी महिला के गर्भधारण करने की कुछ संभावना बनी रहती हैं.
  • आईयूआई में भ्रूण की गुणवत्ता परखी नहीं जाती है. वहीं, आईवीएफ में भ्रूण की गुणवत्ता परखी जाती है.
  • आईयूआई की तुलना में आईवीएफ की सफलता दर अधिक होती है.
  • आईयूआई कम खर्चीला होता है, इसलिए अधिकतर मामलों में यह सलाह दी जाती है कि आईवीएफ कराने से पहले कम से कम तीन बार आईयूआई कराना चाहिए. अगर इसमें गर्भधारण करने में असफलता हासिल हो, तो उसके बाद ही आईवीएफ कराना चाहिए.

(और पढ़ें - महिला बांझपन का इलाज)

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कोई भी उपचार कराने से पहले ये हमेशा याद रखें कि ये सभी उपचार बच्चे की गारंटी नहीं है। लेकिन यह आपके गर्भवती होने की संभावनाओं को बढ़ाता है और तकनीकी रूप से IVF की सफलता दर IUI से अधिक है लेकिन उपचार की सफलता आपके शरीर की विशिष्टताओं पर निर्भर करती है। IUI की सफलता दर 15% से 20% है।

आईवीएफ के सफल होने की स्थिति आपकी आयु, डिम्बग्रंथि , बांझपन का कारण, पिछली सफल गर्भधारण आदि जैसे कारकों पर निर्भर करती है।

आईयूआई और आईवीएफ दोनों ही इनफर्टिलिटी से जूझ रहे महिलाओं और पुरुषों के लिए एक आशा की किरण है. हालांकि, बच्चे के लिए इस टेक्नोलॉजी का सहारा लेने से पहले इसके बारे में अच्छे से जानना जरूरी होता है. इसके साथ ही आईवीएफ और आईयूआई कराने के लिए किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह लें, ताकि किसी भी तरह की परेशानी की आशंका को कम किया जा सके.

(और पढ़ें - पुरुष बांझपन का इलाज)

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