ऊपर बताए गए लक्षणों के अलावा कुछ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जो इंप्लांटेशन ब्लीडिंग से जुड़े होते हैं। यदि आपको योनि में खून आने के साथ नीचे बताए गए लक्षणों में से कोई भी एक महसूस हो रहा है, तो आपके गर्भवती होने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं।
मतली और उल्टी
अमेरिकन प्रेगनेन्सी एसोशिएसन के अनुसार जी मिचलाना और उल्टी आना गर्भावस्था का दूसरा सबसे मुख्य संकेत होता है। यह आमतौर पर यौन संबंध बनाने या फर्टिलाइजेशन करने के दो हफ्तों के बाद महसूस होता है और पहले तिमाही तक रह सकता है। यहां तक कि कुछ महिलाओं को दो पूरे गर्भावस्था के दौरान ही जी मिचलाना या उल्टी जैसी समस्याएं रह सकती हैं।
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जी मिचलाना या मतली होने के दौरान उल्टी करने जैसा महसूस होता है, इसमें कई बार उल्टी हो भी जाती है और कई बार नहीं भी। गर्भावस्था के दौरान होने वाली मतली को “मॉर्निंग सिकनेस” कहा जाता है, लेकिन यह समस्या पूरा दिन और यहां तक कि रात के समय भी हो सकती है।
स्तनों में सूजन व छूने पर दर्द होना
जिन महिलाओं ने गर्भधारण कर लिया है, उनको स्तनों में सूजन व छूने पर दर्द होने जैसी समस्या होने लगती है। इसके अलावा महिलाओं के स्तनों का आकार भी थोड़ा सा बढ़ सकता है। स्तनों में सूजन व छूने पर दर्द होना गर्भावस्था का तीसरा सबसे मुख्य संकेत माना जाता है।
गर्भधारण के होने के बाद महिलाओं के हार्मोन में बदलाव होने लग जाते हैं जैसे प्रोजेस्टेरोन का स्त्राव बढ़ना आदि, जिस कारण से स्तनों में बदलाव महसूस होने लगता है। स्तनों में बदलाव आमतौर पर गर्भधारण करने के 1 से 2 हफ्ते बाद होने लगता है। यह लक्षण इंप्लांटेशन ब्लीडिंग से संबंधित हो सकता है।
थकान
गर्भाशय के अंदर विकसित हो रहे भ्रूण के लिए उचित वातावरण बनाने के लिए गर्भावस्था के शुरूआती चरणों में ही महिलाओं के शरीर में तेजी से काफी सारे बदलाव होते हैं। शरीर में तेजी से बदलाव होने के कारण महिलाओं को पूरे दिन थकावट महसूस होती है। इसके अलावा गर्भावस्था में होने वाले हार्मोन के बदलाव और प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने के कारण भी महिलाओं को थकान व नींद महसूस होती है। इसके साथ आपको भावनात्मक संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं और आपको हर समय कमजोरी सी महसूस होती हैं।
बार-बार पेशाब आना
गर्भवती महिलाओं को बार-बार पेशाब करने की इच्छा जागती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि भ्रूण के कारण गर्भाशय का आकार बढ़ जाता है, जिससे आस-पास के अंगों में दबाव बढ़ जाता है। गर्भाशय के पास मौजूद मूत्राशय (जहां पेशाब जमा होता है) पर दबाव बढ़ने से बार-बार पेशाब करने की इच्छा होने लगती है। ज्यादातर मामलों में बार-बार पेशाब आने की समस्या गर्भावस्था के 6 से 8 हफ्तों के बीच में होने लग जाती है।
भूख लगना
आपने गर्भवती महिलाओं के बारे में सुना होगा या फिल्मों में देखा होगा कि कैसे गर्भधारण करने के बाद महिलाएं अजीब-अजीब सी चीजें खाने की इच्छा रखने लगती हैं। गर्भवती महिलाओं को अचानक से किसी भी समय कुछ अलग खाने का मन करने लगता है और वे अपने आप को रोक नहीं पाती हैं। गर्भावस्था के दौरान लगभग हर महिला का मन कुछ अलग-अलग खाने का करता है, हालांकि कुछ महिलाओं का मन अत्यधिक तो कुछ का कम करता है। अभी तक इस स्थिति के पीछे की कोई स्पष्ट वजह नहीं मिल पाई है।
मूड स्विंग होना
बार-बार मूड स्विंग होना भी गर्भावस्था में होने वाला एक लक्षण होता है। गर्भवती महिलाओं में हार्मोन्स के बदलाव होने के कारण उनके मूड में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। उन्हें एक ही दिन में अच्छा, बुरा, शांति, गुस्सा और खुशी महसूस हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान मूड स्विंग होना आम बात होती है, लेकिन यदि आपको अत्यधिक उदासी महसूस हो रही है तो डॉक्टर से जरूर बात करें। क्योंकि यह डिप्रेशन का संकेत हो सकता है।
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