गर्भावधि ट्रॉफोब्लास्टिक रोग (Gestational trophoblastic disease/ GTD/ जीटीडी) दुर्लभ रोगों का एक समूह है, जिसमें गर्भाधारण के बाद असामान्य ट्रोफोबैस्ट (trophoblast) कोशिकाएं गर्भाशय के अंदर बढ़ती हैं। हाईडेटीडीफॉर्म मोल (Hydatidiform mole/ HM/ एचएम) जीटीडी का सबसे सामान्य प्रकार है। गर्भकालीन ट्राफोबलास्टिक नेपलाशिया (जीटीएन) एक प्रकार का गर्भावधि ट्रॉफोब्लास्टिक रोग (जीटीडी) है, जो मुख्यतः गंभीर रूप में होता है। इसमें अत्याधिक तिल, चोरिकार्सिनोमा (Choriocarcinomas/ एक प्रकार का कैंसर), प्लेसेन्टल-साइट ट्रॉफोब्लास्टिक ट्यूमर (Placental-site trophoblastic tumors), एपिथेलियोइड ट्रॉफोब्लास्टिक ट्यूमर (Epithelioid trophoblastic tumors) आदि समस्याओं को शामिल किया जाता है। अधिक उम्र या मोलर प्रेग्नेंसी (molar pregnancy/ गर्भाधान में निषेचन में आने वाली कमी) के चलते जीटीडी का जोखिम बढ़ जाता है। योनि से खून आना और गर्भाशय का बढ़ जाना जीटीडी के संकेतों में से एक हैं। गर्भावधि ट्रॉफोब्लास्टिक रोग को पहचानने के लिए गर्भाशय से संबंधी कुछ टेस्ट किये जाते हैं। गर्भावधि ट्रॉफोब्लास्टिक रोग को ठीक किया जा सकता है। इसका इलाज और प्रतिक्रिया निम्न बातों पर निर्भर करती हैं।
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- गर्भाशय, लसिका ग्रंथी या शरीर के किस अंग पर ट्यूमर बना है। (और पढ़ें - प्रेग्नेंट होने के उपाय)
- ट्यूमर की संख्या क्या है और वह शरीर में कहां हैं। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए)
- प्रेग्नेंसी शुरू होने के कितने समय बाद ट्यूमर की पहचान की जा सकी है। (और पढ़ें - pregnancy in hindi)
- मोलर प्रेग्नेंसी, गर्भपात और सामान्य प्रेग्नेंसी के बाद जीटीडी होना। (और पढ़ें - pregnancy week by week in hindi)
- पहले कभी गर्भावधि ट्रॉफोब्लास्टिक रोग का इलाज होना। (और पढ़ें - गर्भ में बच्चे का विकास)
- खून में बीटा एससीजी (गर्भानाल में बनने वाला हार्मोन) के स्तर जांचने के बाद। (और पढ़ें - सेक्स ड्यूरिंग प्रेगनेंसी)
महिला के द्वारा भविष्य में गर्भवती होने की इच्छा पर भी इस रोग के उपचार का विकल्प निर्भर करता है।
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