गर्भपात को लेकर सामने आए एक नए शोध ने डॉक्टरों और मेडिकल विशेषज्ञों के बीच बहस छेड़ दी है। यह शोध इस दावे को चुनौती देता है कि गर्भपात के लिए निर्धारित 24 हफ्तों की सीमा तक भ्रूण को दर्द 'नहीं' होता। अब दो मेडिकल शोधकर्ताओं ने कहा है कि 13 हफ्ते का भ्रूण भी 'दर्द या पीड़ा महसूस कर सकता है'।
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक इन दोनों शोधकर्ताओं में एक ब्रिटिश मेडिकल विशेषज्ञ स्टुअर्ट डार्बीशर शामिल हैं। वे हाल के समय तक यह मानते थे कि 24 हफ्ते से पहले गर्भ में पल रहे बच्चे में कोई संवेदनशीलता नहीं होती। शोध में शामिल दूसरे शोधकर्ता अमेरिकन मेडिकल विशेषज्ञ जॉन बॉकमन हैं। इन दोनों विशेषज्ञों की मानें तो गर्भावस्था के 18 हफ्तों के अंदर बच्चे का दिमाग और तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) का विकास इतना हो जाता है कि वह दर्द महूसस कर सके।
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इस नए तथ्य को उजागर करने के बाद शोधकर्ताओं ने गर्भपात को लेकर अपनी राय रखी है। उन्होंने कहा है कि गर्भावस्था के इस स्तर (13 से 20 हफ्ते) पर पहुंच कर गर्भपात कराने जा रही महिलाओं को बताया जाना चाहिए कि 13 हफ्ते का भ्रूण दर्द महसूस कर सकता है। वहीं, गर्भपात को अंजाम देने वाले मेडिकल स्टाफ से कहा जाए कि वे महिलाओं से पूछे कि बच्चे के लिए दर्द निवारक दवा दी जाए या नहीं।
उधर, गर्भपात का विरोध करने वाले लोगों ने इस जानकारी को आधार बना कर गर्भपात का विरोध करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि शोधकर्ताओं के दावे के बाद गर्भपात के प्रति लोगों के रवैये में बदलाव आना चाहिए। इस बीच ब्रिटेन में गर्भपात कराने वाली सबसे बड़ी संस्था ब्रिटिश अडवाइजरी प्रेग्नेंसी सर्विस ने इस नए दावे को खारिज किया है।
क्या और कैसे होता है गर्भपात
गर्भपात बेहद संवेदनशील विषय है। इसे परिभाषित करना सरल नहीं है। गर्भपात के समर्थक इसे 'महिला अधिकार' मानते हैं तो विरोधी इसे 'भ्रूण हत्या' कहते हैं। यह महिला के स्वास्थ्य, मां बनने की इच्छा और जीवन के अधिकार से जुड़ा जटिल मुद्दा है। इसलिए इसकी कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं है। फिर भी, सामान्य शब्दों में कहा जाए तो गर्भधारण से महिला के पेट में आए बच्चे को जन्म से पहले नष्ट करना गर्भपात है। कई देशों में महिलाओं को यह निर्णय लेने का अधिकार है कि गर्भवती होने के बाद वे बच्चे को जन्म देना चाहती हैं या नहीं। वहीं, कुछ देशों में गर्भपात पर प्रतिबंध है।
यह निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है कि गर्भपात कब और क्यों किया जाता है-
- गर्भवती महिला का स्वास्थ्य अच्छा न हो
- प्रेग्नेंसी में समस्या हो
- महिला बच्चा न चाहती हो आदि।
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आमतौर पर गर्भधारण के कुछ दिनों बाद ही गर्भपात करा लिया जाता है। यह प्रक्रिया ज्यादा जटिल नहीं होती, क्योंकि तब तक भ्रूण बनना शुरू ही होता है। ऐसे में कई देशों में रासायनिक गर्भपात सबसे ज्यादा प्रचलित है। यह तरीका भ्रूण को पोषक तत्वों से वंचित रखता है जिससे उसका विकास नहीं हो पाता। इसमें दवाइयों के जरिये भ्रूण गर्भ से बाहर आ जाता है।
गर्भपात का दूसरा तरीका सर्जिकल है। यह तरीका आमतौर पर गर्भावस्था के 5वें से 13वें सप्ताह के बीच अपनाया जाता है। इसमें यह सुनिश्चित करना सबसे महत्वपूर्ण होता है कि सर्जरी के बाद गर्भ में कोई अवशेष न बचे।