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गर्भपात महिला के लिए पीड़ायक अवस्था होती है. संभव है कि इसके बाद कुछ समय तक महिला की शारीरिक संबंध के प्रति रुचि पैदा न हो. ऐसे में उसे पर्याप्त समय देने की जरूरत है. डॉक्टर भी कहते हैं कि गर्भपात के बाद महिला को इस परिस्थिति से उबरने के लिए कुछ समय देना चाहिए. साथ ही स्वास्थ्य के लिहाज से भी महिला को एबॉर्शन के बाद 2 सप्ताह तक यौन संबंध नहीं बनाने चाहिए. ऐसा इसलिए, क्योंकि 2 सप्ताह तक खून का स्राव होता ही रहता है.

आज इस लेख में हम इसी विषय पर विस्तार से बात करेंगे-

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  1. गर्भपात के बाद संबंध बनाने का सही समय
  2. सारांश
अबॉर्शन के कितने दिन बाद सेक्स करें? के डॉक्टर

गर्भपात के बाद डॉक्टर 15 दिन तक संबंध बनाने की सलाह नहीं देते हैं, क्योंकि उस समय इंफेक्शन का खतरा रहता है. साथ ही महिला का शरीर भी इसके लिए तैयार नहीं होता है. नीचे हम उन प्रमुख कारणों के बारे में बता रहे हैं, जिनके चलते डॉक्टर गर्भपात के बाद कम से कम 15 दिन तक सेक्स न करने की सलाह देते हैं -

इंफेक्शन का खतरा

गर्भपात के बाद महिला के शरीर से खून का स्राव करीब 2 सप्ताह तक होता रहता है, क्योंकि उस समय उसका शरीर गर्भाशय यानी यूट्रस को साफ कर रहा होता है. इस सबके दौरान महिला का गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्विक्स सामान्य से अधिक चौड़ा हो जाता है.

गर्भाशय ग्रीवा के अधिक खुले होने की वजह से गर्भाशय में इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है. डॉक्टर गर्भपात के 2 सप्ताह बाद तक संबंध बनाने के लिए सीधे मना करते हैं. इसके अलावा, डॉक्टर 2 हफ्ते तक वजाइना में टैंपोन, मेन्स्ट्रूअल कप्ससेक्स टॉय आदि इन्सर्ट करने के लिए भी मना करते हैं.

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रक्त स्राव का समय

गर्भपात के बाद बहते खून के रुकने का समय हर महिला के लिए अलग-अलग होता है. हो सकता है कि किसी महिला का रक्त स्राव एक हफ्ते में रुक जाए, तो वहीं किसी अन्य महिला का रक्त स्राव 15 दिन के बाद भी न रुके. यह कई स्थितियों पर निर्भर करता है, जिसमें यह भी शामिल है कि गर्भाशय से सभी टिश्यू को हटाया गया है या नहीं. यदि किसी महिला का पूरी तरह से गर्भपात हो चुका है, तो हो सकता है कि उसका रक्त स्राव 7 से 15 दिन के बीच बंद हो जाए. शोध बताते हैं कि रक्त स्राव 1 दिन से लेकर 1 महीने के बीच तक कभी भी रुक सकता है.

शारीरिक कमजोरी

गर्भपात के बाद एक महिला कई तरह की शारीरिक परेशानियों से जूझती है. इस समय बुखार, ठंड लगना, उल्टी, पेट दर्द, कमर दर्द, पैरों में दर्द, लो ब्लड प्रेशर और थकान उसके शरीर को अंदर तक तोड़ देते हैं. इस स्थिति में संबंध बनाने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए, क्योंकि वह अंदर से बहुत कमजोर होती है.

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भावनात्मक तौर पर कमजोर

गर्भपात के बाद हो सकता है कि महिला शारीरिक तौर पर रिकवर हो गई हो और सेक्स के लिए तकनीकी तौर पर सुरक्षित होने के बावजूद भावनात्मक तौर पर कमजोर हो. डिप्रेशन और दोबारा कंसीव न कर पाने का डर एक महिला को अंदर तक हिला सकता है.

इसके साथ ही आत्म-विश्वास में कमी, नींद की कमी, किसी चीज में मन न लगना, रात में डरावने सपने, स्यूसाइड की इच्छा जैसी भावनात्मक स्थिति भी उसे कमजोर बना देती हैं. प्रेगनेंसी के बाद बच्चे को खोने का दर्द सिर्फ वह महिला ही समझ सकती है, जिसने उसे महसूस किया हो. ऐसे में जब तक महिला मानसिक और भावनात्मक तौर पर संबंध बनाने के लिए तैयार नहीं होती है, उसे खुद को समय देना चाहिए. अगर महिला का पार्टनर संबंध बनाने के लिए तैयार हो, तो महिला और उससे जुड़े अन्य लोगों को भावनाओं और मानसिक स्थिति को समझाने की कोशिश करनी चाहिए.

संबंध बनाने के दौरान दर्द

गर्भपात के बाद गर्भाशय में सिकुड़न आती है और महिला को दर्द का अनुभव हो सकता है. गर्भपात के बाद ऐंठन भी हो सकती है, जो पीरियड्स के दौरान होने वाली ऐंठन की तरह महसूस हो सकती है. समय के साथ व गर्भाशय के ठीक होने के साथ यह ऐंठन व दर्द भी ठीक होने लगता है. इसके बाद भी संबंध बनाने के दौरान या बाद में दर्द या ऐंठन महसूस हो सकता है. ऐसी स्थति में भी इंतजार करना चाहिए, क्योंकि इस दर्द का मतलब है कि महिला का शरीर संबंध बनाने के लिए तैयार नहीं है.

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गर्भपात एक महिला के लिए बहुत ही दुखद घटना है. इसके बाद वह न सिर्फ शारीरिक तौर पर टूट जाती है, बल्कि भावनात्मक तौर पर भी बेहद कमजोरी महसूस करती है. अमूमन गर्भपात के 2 हफ्ते बाद तक उसे रक्त स्राव भी होता रहता है, जिसकी वजह से डॉक्टर संबंध न बनाने की सलाह देते हैं. हालांकि, हर महिला का शरीर अलग-अलग तरह के प्रतिक्रिया करता है. बेहतर तो यह होगा कि डॉक्टर की सलाह लेकर ही गर्भपात के बाद संबंध बनाने की कोशिश की जाए.

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