गर्भावस्था के दौरान व्यायाम करना बेहद ज़रूरी होता है। नीचे दिए गए योग अभ्यास से आपको थोड़ी परेशानी हो सकती है लेकिन इन्हे करने के लिए एक शिक्षक की निगरानी में करें।
मार्जरी आसन -
सबसे पहले घुटने मोड़ते हुए ज़मीन पर बैठ जाएँ। अब अपने हाथों को थोड़ा आगे ले जाते हुए धीरे-धीरे ज़मीन पर रखें।
अब अपने पेट को नीचे ज़मीन की तरफ झुकाये और गर्दन को जितना हो सके उतना ऊपर की तरफ लेकर जाएँ। कुछ मिनट इसी अवस्था में रहें। कुछ मिनट बाद इसी प्रक्रिया में कमर को ऊपर की तरफ लेकर जाएँ और सिर को दोनों हाथों के बीच लाकर नीचे की तरफ झुका लें। कुछ मिनट इसी अवस्था में रहें। क्षमता अनुसार भी आप इसका समय तय कर सकते हैं।
(और पढ़ें - मार्जरी आसन करने का तरीका और फायदे)
मार्जरी आसन के फायदे -
- इससे आपकी रीढ़ की हड्डी लचीली होगी। यह इसलिए उपयोगी है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान कमर पर पड़ने वाले भार को ये आसन सहारा देता है।
- पेट के क्षेत्र को ये आसन टोन करता है।
- रक्त परिसंचरण में सुधार होता है।
- इससे प्रजनन अंग अच्छी तरह पोषित भी होते हैं।
कोणासना -
सबसे पहले दोनों पैरों को जोड़कर सीधे खड़े हो जाएँ। अब दायां हाथ ऊपर सीधा खड़ा कर लें और बाएं हाथ को पैर से चिपकाकर रखें। अब अपने शरीर को जितना मुमकिन हो उतना बाईं ओर अपने दाएं हाथ के साथ घुमाएं। कुछ मिनट तक इसी अवस्था में रहें। क्षमता अनुसार भी आप इसका समय तय कर सकते हैं। फिर अपने दाएं हाथ के साथ शरीर को सीधा कर लें और दोनों हाथ को पैरों से चिपकाकर सीधे खड़े हो जाएँ।
कोणासना के फायदे -
- इस आसन को करने से आपकी रीढ़ की हड्डी लचीली रहेगी।
- इससे आपका शरीर खुलेगा।
- गर्भावस्था में होने वाली सबसे आम समस्या कब्ज़ से भी ये आसन राहत दिलाता है।
वीरभद्रासन 2 -
सबसे पहले सीधा खड़ा हो जायें। अब अपने बाएं पैर को आगे की और लेकर जाएँ ओर दाएं पैर को पीछे की ओर जैसा की चित्र में दर्शाया गया है लेकिन ये अपनी क्षमता के अनुसार करें। अब अपने दोनों हाथों को ऊपर उठायें और एकदम सीधा कर लें और हथेलियों को ऊपर की तरफ घुमा दें। कुछ मिनट तक इस अवस्था में रहें या अपनी क्षमता के अनुसार भी समय को तय कर सकते हैं।
(और पढ़ें - वीरभद्रासन 2 करने का तरीका और फायदे)
वीरभद्रासन के फायदे -
- इस आसन को करने से आपका शरीर संतुलित रहता है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान गिरने की संभावना ज़्यादा रहती है।
- यह कंधों, पैरों और कमर के निचले हिस्से को टोन करता है।
- इस आसन को करने से आपकी सहनशक्ति बढ़ जाती है।
- इससे आपको डिलीवरी में मदद मिलती है।
त्रिकोणासन -
सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएँ। अब पैरों को खोल लें और बाएं पैर को आगे की तरफ लेकर जाएँ। दाएं पैर को एकदम सीधा रखें अब शरीर को झुकाएं और बाएं हाथ को बाएं पैर के पंजे या घुटने पर रख दें। और दाएं हाथ को ऊपर की तरफ लेकर जाएँ। अपनी गर्दन भी दाईं हाथ की ओर घुमा लें। इस प्रक्रिया को क्षमता अनुसार करें।
(और पढ़ें - उत्थित त्रिकोणासन करने का तरीका और फायदे)
त्रिकोणासन के फायदे -
- शारीरिक और मानसिक रूप से ये आसन आपको संतुलित रखता है।
- कूल्हों को स्ट्रेच और खोलने में मदद करता है जो कि गर्भावस्था के दौरान बेहद फायदेमंद है।
- कमर का दर्द और खिचाव को दूर करता है।
बद्धकोणासन -
सबसे पहले बैठ जाएँ। और अपने दोनों पैरों के तलवों को एक साथ मिला लें जैसा चित्र में दर्शाया गया है। अब हाथों से पैरों के अंगूठों या पंजों को पकड़ लें। फिर कुछ मिनट तक या क्षमता अनुसार तितली की तरह पैरों को धीरे धीरे हिलाएं।
(और पढ़ें - बद्ध कोणासन करने का तरीका और फायदे)
बद्धकोणासन के फायदे -
- कूल्हों और पेट और जांघ के बीच के भाग को लचीला बनाता है।
- जांघ और घुटनों को स्ट्रेच करता है और दर्द से राहत देता है।
- थकान को दूर करता है।
- डिलीवरी में आसानी होती है।
विपरीत करनी आसन –
इस आसन को करने के लिए दीवार का सहारा लें। सबसे पहले घुटने मोड़ते हुए दीवार की तरह लेट जाएँ। अब पेरो को धीरे धीरे ऊपर की तरफ उठायें। आपके कुल्हें और कमर के नीचे गुदगुदा तकिया रखा होना चाहिए जिससे कमर और कूल्हे सीधा कठोर ज़मीन से न लगें। अपने कंधों और सिर को आराम दें। अपने हाथों को साइड में रख दें और हथेलिया ऊपर की तरफ घुमा लें। इसी अवस्था में पांच मिनट तक आराम से आराम से सांस लें और नीचे की तरफ सांस हल्के हल्के लेकर आएं। अपनी क्षमता के अनुसार की अवस्था का समय तय कर सकते हैं।
(और पढ़ें - विपरीत करनी करने का तरीका और फायदे)
विपरीत करनी आसन के फायदे –
- इस आसन को करने से पीठ दर्द से राहत मिलती है।
- पेल्विक क्षेत्र तक रक्त के प्रवाह को सुधारता है।
- गर्भपात के सामान्य लक्षण एंकल और वेरिकोस नसों की सूजन को कम करता है।
शवासन –
सबसे पहले सीधा लेट जाएँ। पैरों में थोड़ी दूरी बनाएं और हाथों को शरीर से अलग रख दें। हाथों की हथेलियों को ऊपर की तरफ रखें। फिर आँखों को बंद कर लें। अब शरीर को ढीला छोड़ दें और धीरे धीरे गहरी सांस लें। इस प्रक्रिया को आप जब चाहे उतनी देर तक कर सकते हैं।
(और पढ़ें - शवासन करने का तरीका और फायदे)
शवासन के फायदे –
- गर्भवती महिलाओं को लगतार अपने रक्तचाप पर ध्यान रखना चाहिए।
- इस आसन से आपका शरीर आरामदेह रहता है, कोशिकाओं को ठीक रखता है।
- ये आसन खुद में ही एक दर्द निवारक है।
- गर्भवती महिलाओं को दर्द को दूर करने के लिए दवाइयों से बचना चाहिए।
- इस आसन से तनाव दूर रहता है।
योग निद्रा –
सबसे पहले सीधा लेट जाएँ। पैरों में थोड़ी दूरी बनाएं और हाथों को शरीर से अलग रख दें। हाथों की हथेलियों को ऊपर की तरफ घुमा लें। फिर अपनी आँखों को बंद कर लें। अब शरीर को ढीला छोड़ दें और धीरे धीरे गहरी सांस लें। इस प्रक्रिया को आप जब चाहे उतनी देर तक कर सकते हैं।
(और पढ़ें - योग निद्रा के माध्यम से पायें सुखद गहरी नींद)
योग निंद्रा के फायदे –
- ये दर्द से राहत दिलाता है।
- तनाव और चिंता को कम करता है।
- रक्तचाप को नियमित करने में मदद करता है।
- ये सभी कोशिकाओं को आराम देता है और डिलीवरी के लिए शरीर को तैयार करता है।