गर्भावस्था की शुरुआत में थोड़ा पेट दर्द होना सामान्य है। हालांकि, यदि दर्द तेज़ और लगातार हो रहा है या आप तीव्र ऐंठन और रक्तस्राव महसूस कर रही हैं, तो आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए। प्रेग्नेंसी में पेट में होने वाले दर्द के कुछ ऐसे ही कारण निम्नलिखित हैं जो चिंताजनक नहीं होते हैं:
राउंड लिगामेंट्स में दर्द:
जैसे जैसे गर्भाशय बढ़ता है, राउंड लिगामेंट्स (दो बड़े स्नायुबंधन जो गर्भाशय से जननांगों तक फैले होते हैं) में खिंचाव होता है, जिस कारण निचले पेट में दर्द होता है। जब आप अचानक अपनी स्थिति बदलती हैं तो दर्द तेज या बहुत तेज़ हो सकता है। ये लक्षण आमतौर पर कुछ समय बाद गायब हो जाते हैं। अगर दर्द असहनीय है, तो आप डॉक्टर से पूछ कर दर्द निवारक दवा ले सकती हैं।
गैस और कब्ज:
गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में वृद्धि होने के कारण पेट में गैस और कब्ज़ की शिकायत हो जाती है। जब प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ता है तो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट धीमा पड़ जाता है और भोजन सामान्य से धीमी गति से पचता है। जिसके परिणामस्वरूप गैस और कब्ज की समस्या उत्पन्न होती है।
अधिक पानी पीने, फाइबर युक्त भोजन खाने और नियमित रूप से व्यायाम करने से आपको इस समस्या से आराम मिल सकता है।
ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन:
ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन हल्के होते हैं, बल्कि इन्हें "अभ्यास संकुचन" कहा जाता है। आपको प्रसव के संकुचन के समान ही कुछ संकुचन महसूस होंगे। हालांकि, जब आप स्थिति बदलती हैं तो ये घीमे या शांत पड़ जाते हैं।
डिहाइड्रेशन इन संकुचनों के लिए सबसे प्रमुख कारण है, इसलिए उनसे बचने के लिए पर्याप्त पानी पिएं। यदि संकुचन लंबे समय तक महसूस हों, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
गर्भाशय का बढ़ना:
गर्भाशय के बढ़ने की वजह से, आपकी आंत थोड़ी खिसक जाती है, जिससे मतली आदि की दिक्कत बढ़ जाती है।
असुविधा को खत्म करने के लिए, आपको कुछ न कुछ खाते रहना चाहिए। थोड़ी थोड़ी मात्रा में भोजन करें। नियमित रूप से व्यायाम करें। पर्याप्त आराम करें और अपने मूत्राशय को नियमित रूप से खाली करें।
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ऑर्गेज्म के दौरान दर्द:
शुरुआती गर्भावस्था के दौरान चरम सुख की प्राप्ति के दौरान और बाद में दर्द होना काफी आम है। इसके बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि ये बहुत हल्का दर्द होता है। पेट में दर्द आमतौर पर सामान्य संकुचन या श्रोणि क्षेत्र में रक्त प्रवाह बढ़ने के कारण होता है।
आम असुविधाएं:
उपरोक्त हानिरहित कारणों के अलावा, पेट के वायरस, गर्भाशय फाइब्रॉएड, गुर्दे की पथरी, किसी विशेष भोजन के प्रति संवेदनशीलता आदि परेशानियों के कारण पेट में दिक्कत हो सकती है।
हालांकि, सभी कारण हानिरहित नहीं हैं और न ही इन्हें अनदेखा किया जा सकता है। कुछ गंभीर जटिलता भी उत्पन्न कर सकते हैं।
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प्रेग्नेंसी में पेट दर्द होने के गंभीर कारण –
निम्नलिखित गंभीर जटिलताओं के होने पर आपको और आपके बच्चे को किसी भी जोखिम से बचने के लिए तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है:
एक्टोपिक गर्भधारण (पहली और दूसरी तिमाही):
50 में से एक गर्भधारण में एक्टोपिक गर्भावस्था का अनुभव होता है, इसमें गर्भाशय के बाहर अंडे का प्रत्यारोपण (Implantation) विशेष रूप से फैलोपियन ट्यूब में होता है। नतीजतन, आपके पेट में निचली तरफ तेज दर्द होता है और गर्भावस्था के छठे हफ्ते और गर्भावस्था के दसवें सप्ताह के बीच आपको रक्तस्राव होने लगता है।
जिन महिलाओं की पहले की प्रेग्नेंसी भी एक्टोपिक गर्भावस्था थी या जिनमें एंडोमेट्रिओसिस (Endometriosis), अपेन्डिसाइटिस (Appendicitis), और पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी) का निदान हुआ है, उनमें एक्टोपिक गर्भावस्था का खतरा बढ़ जाता है। पेट के दर्द के अन्य कारणों में फैलोपियन ट्यूब में ट्यूमर और असामान्यताएं, अतीत में हुए कई गर्भपात, अंतर्गर्भाशयी उपकरणों (जैसे कॉपर टी) या प्रोजेस्टिन जैसी गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग आदि प्रमुख हैं।
मिसकैरेज (पहली और दूसरी तिमाही):
20वें हफ्ते तक पहुंचने से पहले गर्भावस्था की समाप्ति को मिसकैरेज कहते हैं। योनि से रक्तस्राव इसका पहला लक्षण है और कुछ घंटों या कुछ दिनों तक पेट में दर्द भी होता है। दर्द हल्का या गंभीर हो सकता है और आपको ऐंठन भी हो सकती है। आपको पीठ के निचले हिस्से में दर्द और श्रोणि क्षेत्र में प्रेशर भी महसूस हो सकता है।
अधिकांश गर्भपात पहली तिमाही में होते हैं और कभी कभी दूसरी तिमाही में। कभी-कभी, यह कहना मुश्किल हो जाता है कि दर्द आखिर मिसकैरेज, आरोपण या गर्भाशय के बढ़ने में से किसके कारण हो रहा है। मिसकैरेज के दौरान होने वाले दर्द और ऐंठन में अंतर रक्तस्राव के आधार पर किया जा सकता है, जो कुछ दिनों तक होता रहता है।
यदि आपको मिसकैरेज के लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें।
अपरिपक्व प्रसव (दूसरी और तीसरी तिमाही):
यदि आपको प्रेगनेंसी के 37वें सप्ताह से पहले की प्रसव के संकुचन का अनुभव होता है, तो आप प्री टर्म प्रसव अर्थात अपरिपक्व प्रसव की स्थिति में हैं। इससे लगातार पेट में दर्द (यह दर्द मासिक धर्म में होने वाली ऐंठन की तरह होता है), योनि से रक्तस्राव, पैल्विक हिस्से में बढ़ा हुआ दबाव और भ्रूण की गतिविधियों में कमी होती है। यदि आप उपरोक्त लक्षण महसूस होते हैं तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए।
प्लेसेंटा का टूटना (दूसरी और तीसरी तिमाही):
यह आम तौर पर तीसरी तिमाही में होता है जब प्लेसेंटा अपने आप गर्भाशय से अलग हो जाती है। लक्षणों में तेज़ और गंभीर पेट की ऐंठन, रक्तस्राव (बिना थक्के के) और संकुचन अनुभव होते हैं। कभी कभी प्लेसेंटा के टूटने पर महिला की तुरंत सिजेरियन डिलीवरी करने की आवश्यकता होती है।
इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव होने पर तत्काल चिकित्सा पाने की कोशिश करें। हाई ब्लड प्रेशर, नशीली दवाओं का आदि होना या अतीत में प्लेसेंटा के टूटने के कारण भी ये समस्या होती है।
प्री-एक्लेमप्सिया (दूसरी और तीसरी तिमाही):
प्री-एक्लेमप्सिया का अनुभव, गर्भावस्था की दूसरी छमाही में किसी भी समय हो सकता है। इसमें मूत्र में प्रोटीन का उच्च स्तर या हाई ब्लड प्रेशर जैसे संकेत महसूस होते हैं। इसी कारण डॉक्टर हर जन्म से पहले दौरे (Prenatal visit) के दौरान ब्लड प्रेशर की जांच करते हैं।
प्री-एक्लेमप्सिया के दौरान ऊपरी पेट में दर्द, गंभीर सिरदर्द, साँस लेने में कठिनाई, आंखों की दृष्टि में परिवर्तन, चेहरे, आँखों, हाथ, पैर और टखनों पर सूजन और तेजी से वजन बढ़ने जैसे लक्षणों का अनुभव होता है। यदि आपको संदेह है कि आप प्री-एक्लेमप्सिया से पीड़ित हैं, तो आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
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मूत्र पथ संक्रमण:
यदि आप गर्भावस्था के दौरान मूत्र पथ संक्रमण को नजरअंदाज करती हैं, तो इससे पेट में दर्द और असुविधा हो सकती हैं, जैसे पेशाब के दौरान जलन और खून आना और शरीर के निचले हिस्से में दर्द होना आदि। यदि आपको उपरोक्त संकेतों के साथ बुखार, पसीना, मतली या ठंड का अनुभव हो रहा है, तो आपको भी किडनी संक्रमण हो सकता है।
ऐसे में आपको तुरंत इलाज की आवश्यकता हो सकती है। अच्छी बात यह है कि यूटीआई का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जा सकता है।
अपेन्डिसाइटिस:
गर्भधारण में अपेन्डिसाइटिस होना एक गंभीर स्थिति है और इसका निदान करना भी मुश्किल होता है। मतली, उल्टी, भूख में कमी आदि सभी अपेन्डिसाइटिस के लक्षण होते हैं। ये सभी गर्भावस्था के लक्षणों के समान ही होते हैं और यही कारण है कि इसका निदान करना मुश्किल हो जाता है। यद्यपि पेट के निचले दाहिने भाग में अपेन्डिसाइटिस का दर्द होता है। आप गर्भावस्था के दौरान इसे थोड़ा अधिक महसूस करेंगी क्योंकि अपेन्डिसाइटिस का दर्द लिवर या पेट के नीचे तक पहुंच जाता है।
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पित्ताशय में पथरी:
यदि आप 35 वर्ष से अधिक उम्र की हैं, अधिक वजन वाली महिला हैं या आपके परिवार में या आपको ऐसा कुछ हो चुका है तो आपके पित्ताशय में पथरी होने की अधिक संभावना है। पेट के ऊपरी दाएं भाग में आपको तेज़ दर्द हो सकता है, और पीठ तथा दाएं कंधे के नीचे दर्द हो सकता है।
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