गर्भावस्था के दौरान, आपका इम्यून सिस्टम थोड़ा कमजोर हो जाता है क्योंकि यह आपकी और आपके बच्चे दोनों की रक्षा करने के लिए अतिरिक्त काम करता है। इसलिए, आप गर्भावस्था के दौरान संक्रमण, ठंड या बुखार के प्रति अतिसंवेदनशील हो जाती हैं। इस दौरान बुखार आने के अन्य कारण भी हो सकते हैं:
सर्दी जुकाम
सर्दी जुकाम, अक्सर बुखार के कारण ही होता है। इसके लक्षण फ्लू के ही समान होते हैं, और बहती नाक, खांसी, गले में खराश और सांस लेने में कठिनाई आदि लक्षण भी महसूस होते हैं। ये लक्षण आमतौर पर 3 से 15 दिनों के भीतर सही होते हैं। यदि इससे ज्यादा दिनों तक बुखार हो तो डॉक्टर से संपर्क करें।
फ्लू
गर्भावस्था के दौरान फ्लू, बुखार का दूसरा प्रमुख कारण है। फ्लू से पीड़ित होने पर दर्द, बुखार, खाँसी, उल्टी और मतली यदि लक्षण अनुभव होते हैं। अगर ये लक्षण अधिक दिनों तक न जाएं तो डॉक्टर से संपर्क करें।
मूत्र पथ संक्रमण (यूटीआई)
लगभग 10% महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान मूत्र पथ संक्रमण (Urinary tract infection) होता है। यूटीआई तब होता है जब बैक्टीरिया योनि से मूत्रमार्ग (Urethra) तथा मूत्राशय (Bladder) तक फैल जाते हैं। इसके कारण झागदार या खूनी मूत्र, बुखार, ठंड और पेशाब के दौरान जलन महसूस होती है।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल वायरस द्वारा
जब कोई गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल वायरस शरीर में घुस जाता है, तो यह बुखार, उल्टी, दस्त और निर्जलीकरण जैसे लक्षणों के रूप में महसूस किया जा सकता है। इन लक्षणों का यदि समय पर इलाज नहीं किया गया तो ये समय से पूर्व प्रसव का कारण भी बन सकते हैं।
इंट्रा एमनियोटिक इन्फेक्शन या खराब गंध वाला डिस्चार्ज
इंट्रा एमनियोटिक इन्फेक्शन (Intra amniotic infection) एक से दो प्रतिशत गर्भावस्थाओं में होता है। यह बच्चे के आसपास मौजूद एम्नियोटिक द्रव (Amniotic fluid) का बैक्टीरियल संक्रमण होता है। इसके आम संकेत दिल की धड़कन तेज़ होना, गर्भाशय में असहजता, योनिस्राव, पसीना, तेज बुखार और ठंड लगना हैं। यदि गर्भावस्था के अंतिम चरणों के दौरान ये संक्रमण होता है, तो डॉक्टर बच्चे को किसी भी संक्रमण से बचाने के लिए तत्काल सिजेरियन सेक्शन की कराने की सलाह देते हैं। और भविष्य में इस इन्फेक्शन से बचाने के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं की सलाह देते हैं। (और पढ़ें - गर्भधारण करने के उपाय)
पांचवा रोग या पार्वो वायरस बी19
अमेरिकी केंद्रों के रोग नियंत्रण और रोकथाम (सीडीसी) के मुताबिक, केवल पांच प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को ये दुर्लभ संक्रामक संक्रमण होता है। आम लक्षणों में चकत्ते, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, गले में खराश और बुखार आदि अनुभव होते हैं। पार्वो वायरस (Parvovirus B19), मिसकैरेज, भ्रूण में एनीमिया, मृतजन्म मतलब मरा हुआ बच्चा पैदा होने और सीने में जलन जैसी जटिलताएं पैदा कर सकता है।
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फ्लू जैसी लिस्टेरिया (लिस्टेरियोसिस)
दूषित पानी और भोजन के सेवन से लिस्टेरियोसिस (Listeriosis) होता है। इसके आम लक्षणों में तेज़ बुखार, मतली, मांसपेशियों में दर्द, दस्त, सिरदर्द, गर्दन में अकड़न या ऐंठन आदि प्रमुख हैं। यदि इनका उपचार नहीं किया जाता, तो यह गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकते हैं, जैसे समय से पहले प्रसव, मरे हुए बच्चे का जन्म और मिसकैरेज आदि।
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