गर्भावस्था महिला के जीवन का एक महत्वपूर्ण चरण है। बच्चे को जन्म देना हर महिला को रोमांचित कर देता है। अपनी प्रेग्नेंसी के पहले ही दिन से महिला और उसके घर के सभी सदस्य आने वाले नन्हें मेहमान की तैयारियों में जुट जाते हैं। कोई उसका नाम सोचने लगता हैं तो कोई बच्चे के पैदा होने के बाद की योजनाएं तैयार करने लगता है। इस दौरान महिला के शारीरिक हार्मोन्स के साथ ही उनके व्यवहार में भी बदलाव आना शुरू हो जाता है। इसलिए इस समय महिला को आम दिनों की अपेक्षा अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। खासकर महिला को गर्भावस्था की पहली तिमाही में अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान देना होता है।

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गर्भावस्था की पहली तिमाही में महिला के मन में कई तरह के प्रश्न होते हैं और यही वह समय होता है जब महिला के द्वारा खुद को प्रेग्नेंसी के हर चरण के लिए तैयार करना बेहद जरूरी होता है। इस दौरान महिला के मन में उठने वाले सवालों को शांत करने के लिए लेख में गर्भावस्था की पहली तिमाही के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। साथ ही इस लेख में आपको गर्भावस्था की तिमाही क्या है, गर्भावस्था की पहली तिमाही के लक्षण, प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में भ्रूण का विकास, प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में क्या खाना चाहिए और गर्भावस्था की पहली तिमाही में देखभाल आदि के बारे में भी विस्तार से बताया गया है। 

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  1. गर्भावस्था की पहली तिमाही का मतलब क्या है? - Garbhavastha ki pahli timahi ka matlab kya hai
  2. गर्भावस्था की पहली तिमाही में होने वाले शारीरिक बदलाव - Garbhavastha ki pehli timahi me hone vale sharirik badlav
  3. प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में भ्रूण का विकास - Pregnancy ki pahli timahi me bron ka vikas
  4. प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में क्या खाना चाहिए - 3 mahine ki pregnancy me kya khana chahiye
  5. गर्भावस्था की पहली तिमाही में देखभाल - Garbhavastha ki pehli timahi me dekhbhal
  6. सारांश

गर्भावस्था का पूरा समय करीब 40 सप्ताह का होता है। इन सप्ताहों को तीन भागों में बांटा जाता है। गर्भावस्था की पहली तिमाही, महिला के अंडे और पुरूष के शुक्राणुओं के निषेचन से शुरू होती है। जिसके बाद पहली तिमाही करीब 12 सप्ताह तक चलती है। गर्भावस्था के दौरान हर महिला के शरीर में अलग-अलग बदलाव होते हैं। इस समय कुछ महिलाएं खुद को प्रसन्न और स्वस्थ महसूस करती है, जबकि कुछ दुखी महसूस करती हैं। प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में महिला को निम्न तरह के विषयों के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।

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प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही हर महिला के लिए महत्वपूर्ण होती है। इस दौरान महिला के शरीर से स्त्रावित होने वाले हॉर्मोन लगभग हर अंग को प्रभावित करते हैं। प्रेग्नेंसी का पहला लक्षण है पीरियड का ना आना। इसके बाद महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव होना शुरू होते हैं। प्रेग्नेंसी के पहली तिमाही में होने वाले बदलावों को नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।

  • स्तनों में दर्द और सूजन :
    प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में महिलाओं के स्तनों में दर्द और सूजन होना आम बात है। इस दौरान हार्मोनल बदलाव के कारण महिला के स्तनों में दूध वाली नलिकाएं स्तनपान कराने के लिए तैयार हो रहीं होती हैं। इस समस्या से बचने के लिए आप थोड़ी बड़ी साइज की ब्रा या सपोर्ट ब्रा पहन सकती हैं। इससे आपके स्तनों को पर्याप्त सहारा और आराम मिलेगा।
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  • कब्ज होना :
    गर्भावस्था की पहली तिमाही में मांसपेशियों के सिकुड़ने की वजह से आंतों से भोजन के गुजरने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। ऐसा महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की बढ़ने के कारण होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान ली जानें वाली विटामिन की दवाओं में आयरन की अधिकता के चलते महिलाओं को कब्ज व गैस की समस्या हो जाती है। पेट में गैस की वजह से इस समय महिलाओं को पेट फूला हुआ लगता है। इस समस्या से बचने के लिए महिलाओं को अपने आहार में फाइबर को शामिल करना चाहिए। साथ ही पर्याप्त तरल तेना चाहिए। इसके अलावा शारीरिक गतिविधि करते रहने से भी गर्भावस्था के दौरान कब्ज की समस्या को कम किया जा सकता है।
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  • जी मिचलाना :
    गर्भावस्था के दौरान मॉर्निंग सिकनेस एक सामान्य लक्षण होता है। प्रेग्नेंसी के पहले माह में महिला को मॉर्निंग सिकनेस दिन या रात किसी भी समय हो सकती है। शरीर में होने हार्मोन परिवर्तन के कारण महिला को मॉर्निंग सिकनेस की समस्या होती है। इस दौरान जी मिचलाने से बचाव करने के लिए आपको किसी भी समय खाली पेट नहीं रहना चाहिए। हर एक या दो घंटे के अंतराल में कुछ न कुछ खाती रहें और जो भी आहार ग्रहण करें उसको धीरे-धीरे खाएं। इसके साथ ही कम वसा वाला भोजन लें और ऐसे खाद्य पदार्थों को ना खाएं, जिनकी खुशबू से आपका जी मिचलाता हो। 
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  • सफेद स्त्राव होना (डिस्चार्ज) :
    प्रेग्नेंसी के शुरुआती दौर में महिला की योनि से सफेद रंग का स्त्राव (leucorrhea: ल्यूकोरिया) होना सामान्य बात है। इस दौरान आप टैम्पोन का इस्तेमाल ना करें। टैम्पोन से आपकी योनि में रोगाणु होने का खतरा रहता है। इस दौरान पीला, दुर्गंधवाला और अधिक स्त्राव हो तो आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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  • बार-बार पेशाब आना :
    प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में भ्रूण बेहद ही छोटा होता है, लेकिन इसके बावजूद गर्भाशय के लगातार बढ़े होने से महिला के ब्लेडर पर दबाव पड़ता है। ब्लेडर पर दबाव पड़ने की वजह से आपको बार-बार पेशाब जाने की इच्छा होती है। ऐसे में बार-बार पेशाब जाने से बचने के लिए पानी पीना कम ना करें, इस समय शरीर को पानी या तरल की आवश्यकता होती है। इस समस्या में ब्लेडर के दबाव को कम करने के लिए आप कैफीन लेना कम करें, क्योंकि कैफीन ब्लेडर पर दबाव डालने का कार्य करता है।
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प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में शरीर पर होने वाले अन्य बदलाव:

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सामान्यतः प्रेग्नेंसी का पहला दिन महिला के पिछले पीरियड्स के पहले दिन को ही माना जाता है। इसके 10 से 14 दिनों के बाद महिला के शरीर में अंडे का बनना और इसके बाद पुरूष के शुक्राणुओं के साथ निषेचन होता है। ऐसा होने के बाद पहली तिमाही में भ्रूण धीरे-धीरे बढ़ना शुरू होता है। 

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शुरूआती दौर में भ्रूण का आकार आलूबुखारे की तरह होता है। प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही के समय ही भ्रूण का दिल, फेफड़े, लीवर, रीढ़ की हड्डी, सिर और अन्य अंग बनते हैं। पहले के तीन महीनों में ही भ्रूण का दिल धड़कना शुरू कर देता है। इसके साथ ही वह मां के गर्भाशय में हिलना या घूमना भी शुरू कर देता है, जिसको महिला दूसरी तिमाही से महसूस करने लगती है। तीन महीने पूरे होने पर भ्रूण के लगभग सभी अंग छोटे-छोटे बन चुके होते हैं। 

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प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में महिला को अतिरिक्त पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इस दौरान महिला को अपनी डाइट में लगभग सभी तरह के विटामिन और मिनरल्स लेने चाहिए। शुरुआती दौर में भ्रूण के विकास के लिए गर्भवती महिला को फोलेट, विटामिन ए और बीटा कैरोटिन की मुख्य जरूरत होती है। आगे आपको पहली तिमाही में खाने वाले कुछ खाद्य पदार्थो के बारे में बताया जा रहा है।

प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में ना खाएं जानें वाले खाद्य पदार्थ

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गर्भावस्था की पहली तिमाही में महिला को सभी सावधानियों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। इस दौरान महिला को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए इन सभी बातों को यहां बताया जा रहा है।

प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में क्या करें

गर्भावस्था की पहली तिमाही में क्या ना करें

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गर्भावस्था की पहली तिमाही गर्भधारण के पहले तीन महीने (0-12 सप्ताह) की अवधि होती है। इस समय के दौरान शारीरिक और हार्मोनल परिवर्तनों की शुरुआत होती है, जो गर्भवती महिला और भ्रूण दोनों के लिए महत्वपूर्ण होती है। भ्रूण का विकास तेजी से होता है, जिसमें दिल की धड़कन शुरू होना, अंगों का निर्माण, और तंत्रिका तंत्र का विकास शामिल है। महिला को इस समय अक्सर मतली, थकान, और मूड में बदलाव का अनुभव हो सकता है। प्रारंभिक चिकित्सा जांच और देखभाल महत्वपूर्ण होती है, जिसमें फोलिक एसिड और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों का सेवन सुनिश्चित करना शामिल है। यह तिमाही गर्भावस्था की नींव रखती है, इसलिए स्वस्थ जीवनशैली, उचित आहार, और नियमित चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक होते हैं।

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