गर्भावस्था का समय कई तरह के क्या करें, क्या न करें (डूज एंड डोंट्स) की सलाह के साथ आता है खासकर खाने पीने की चीजों को लेकर। वैसे तो गर्भवास्था के दौरान आपको क्या खाना चाहिए इस लिस्ट में सूखे मेवे और नट्स शामिल हैं क्योंकि इन्हें हेल्दी माना जाता है लेकिन अक्सर गर्भवती महिलाओं के मन में मूंगफली को लेकर एक कन्फ्यूजन रहता है कि उन्हें इसका सेवन करना चाहिए या नहीं। इसका कारण ये है कि मूंगफली से जुड़ी एलर्जी की समस्या इन दिनों तेजी से बढ़ रही है और यह एलर्जी बेहद गंभीर समस्याओं का कारण भी बन सकती है। 

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तो क्या अपने होने वाले बच्चे को किसी गंभीर जोखिम के खतरे से बचाने के लिए आपको गर्भावस्था के दौरान मूंगफली खाना पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए? क्या मूंगफली और मूंगफली से बने उत्पादों का सेवन करना गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए सेफ है, क्या इससे बच्चे को भी मूंगफली से होने वाली एलर्जी हो सकती है या मूंगफली के सेहत से जुड़े फायदे गर्भवती महिला और उसके बच्चे के लिए फायदेमंद हो सकते हैं? इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि गर्भावस्था के दौरान आपको मूंगफली का सेवन करना चाहिए या नहीं, यह आपके लिए फायदेमंद है या नहीं और अगर आप प्रेगनेंसी में मूंगफली खाती हैं तो आपको कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए।

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  1. प्रेगनेंसी में मूंगफली खानी चाहिए या नहीं? - Pregnancy me peanuts khana chahiye ya nhi?
  2. प्रेगनेंसी में मूंगफली खाने के फायदे - Pregnancy me peanuts ke fayde
  3. प्रेगनेंसी में मूंगफली खाने के नुकसान - Pregnancy me peanuts khane ke nuksan
  4. सारांश

दरअसल, वैसे खाद्य पदार्थ जिन्हें खाने से एलर्जी हो सकती है उस लिस्ट में दूध और अंडे के बाद तीसरे नंबर पर है मूंगफली। यही वजह है कि एलर्जी के डर से बहुत सी महिलाएं गर्भावस्था के दौरान मूंगफली का सेवन करने से घबराती हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि लगभग एक चौथाई गर्भवती महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान एलर्जी का अनुभव होता है- कई तरह की एलर्जी ऐसी भी होती है जो गर्भावस्था के दौरान बढ़ जाती है, जबकि कुछ महिलाओं के परिवार में ही एलर्जी की समस्या कॉमन होती है। 

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ऐसे में अगर गर्भवती महिला को पहले से मूंगफली से कोई एलर्जी नहीं है तो गर्भावस्था के दौरान भी मूंगफली का सेवन उनके लिए सुरक्षित माना जा सकता है। जब तक गर्भवती महिला को खुद मूंगफली से एलर्जी न हो तब तक इस बात के सबूत मौजूद नहीं है कि मूंगफली या मूंगफली से बनने वाले उत्पादों का सेवन करने से मां या गर्भ में पल रहे बच्चे को एलर्जी विकसित होने का खतरा हो सकता है। लेकिन अगर आपको मूंगफली या किसी और खाद्य पदार्थ से फूड एलर्जी है तो आपको गर्भावस्था के दौरान मूंगफली का सेवन नहीं करना चाहिए।

बावजूद इसके अगर आपके मन किसी भी तरह का कन्फ्यूजन हो तो अपनी डॉक्टर या डायटिशियन से बात करें और उनसे सही सलाह लें कि आपको गर्भावस्था के दौरान मूंगफली खानी चाहिए या नहीं।

गर्भवती महिलाओं के लिए वास्तव में मूंगफली एक स्मार्ट विकल्प हो सकता है क्योंकि इसमें प्रोटीन और फोलेट की भरपूर मात्रा पायी जाती है। जन्मजात दोष खासकर मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में होने वाली जन्मजात समस्याओं को रोकने के लिए गर्भावस्था के दौरान फोलेट और फोलिक एसिड सप्लिमेंट्स खाने की सिफारिश की जाती है। इसके अलावा भी प्रेगनेंसी में मूंगफली खाने के कई और फायदे हैं:

  1. हेल्दी फैट के लिए प्रेगनेंसी में मूंगफली खाने के फायदे - Pregnancy me peanuts ke fayde healthy fat ke liye
  2. फोलेट के लिए प्रेगनेंसी में मूंगफली खाने के फायदे - Pregnancy me peanut ke fayde folate ke liye
  3. प्रोटीन के लिए प्रेगनेंसी में मूंगफली खाने के फायदे - Garbhavastha me mungfali ke fayde protein ke liye
  4. मूड स्विंग्स रोकने के लिए प्रेगनेंसी में मूंगफली खाने के फायदे - Pregnancy me mungfali ke fayde mood swings ke liye
  5. फाइबर और आयरन के लिए प्रेगनेंसी में मूंगफली खाने के फायदे - Pregnancy me mungfali ke fayde fiber aur iron ke liye

हेल्दी फैट के लिए प्रेगनेंसी में मूंगफली खाने के फायदे - Pregnancy me peanuts ke fayde healthy fat ke liye

गर्भवती महिलाओं को अपने आहार में हेल्दी फैट को शामिल करने की आवश्यकता होती है, खासकर इसलिए क्योंकि हेल्दी फैट बच्चे के विकास में योगदान देता है (खासकर बच्चे के मस्तिष्क के विकास में)। इसके अलावा हेल्दी फैट प्लेसेंटा की ग्रोथ में भी मदद करता है, समय से पहले बच्चे का जन्म (प्रीटर्म बर्थ) के जोखिम को कम करता है और जन्म के समय बच्चे के स्वस्थ वजन को भी सुनिश्चित करता है। मूंगफली का मक्खन या पीनट बटर हेल्दी फैट की श्रेणी में आता है। यह बैड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने के साथ ही मां और बच्चे दोनों को हेल्दी फैट प्रदान करने में मदद करता है। मूंगफली एक सुपरफूड है जिसे गर्भावस्था के सभी चरणों में खाने के की अनुशंसा की जाती है।

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फोलेट के लिए प्रेगनेंसी में मूंगफली खाने के फायदे - Pregnancy me peanut ke fayde folate ke liye

गर्भवती महिलाओं को फोलेट से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह बच्चे के स्वस्थ विकास में योगदान देता है। शायद आप यह नहीं जानती होंगी लेकिन मूंगफली में फोलेट की काफी मात्रा पायी जाती है इसलिए इसे अपने दैनिक आहार में शामिल करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, 100 ग्राम मूंगफली में आपकी दैनिक जरूरत का लगभग 60 प्रतिशत फोलेट मौजूद होता है (गर्भवती महिला के लिए जरूरी)। गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान मूंगफली और पीनट बटर के सेवन की विशेष सलाह दी जाती है ताकि बच्चे को बढ़ने और विकसित होने के लिए फोलेट की अधिक मात्रा मिल सके।

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प्रोटीन के लिए प्रेगनेंसी में मूंगफली खाने के फायदे - Garbhavastha me mungfali ke fayde protein ke liye

गर्भ में पल रहे बढ़ते बच्चे को विकसित होने के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है, इसलिए अपने आहार में प्रोटीन को शामिल करना बेहद जरूरी है। लेकिन बहुत सी गर्भवती महिलाओं के लिए बदलते स्वाद के कारण मीट खाना संभव नहीं हो पाता। इसलिए वे प्रोटीन की जरूरत को पूरा करने के लिए मूंगफली का सेवन कर सकती हैं। मूंगफली में हेल्दी फैट के साथ ही प्रोटीन भी समृद्ध मात्रा में होता है। 100 ग्राम मूंगफली से बना पीनट बटर प्रोटीन के दैनिक जरूरत को पूरा कर सकता है। इसलिए अपनी और अपने बच्चे की प्रोटीन की जरूरतों को पूरा करने के लिए आप चाहें तो सीमित मात्रा में मूंगफली का सेवन कर सकती हैं।

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मूड स्विंग्स रोकने के लिए प्रेगनेंसी में मूंगफली खाने के फायदे - Pregnancy me mungfali ke fayde mood swings ke liye

गर्भावस्था के दौरान बड़ी संख्या में महिलाओं को मूड स्विंग का भी अनुभव होता है। कभी आप बहुत खुश होती हैं तो कभी अगले ही पल रोने और आंसू बहाने का मन करने लगता है। परेशान होने की जरूरत नहीं क्योंकि गर्भावस्था के दौरान मूड में बदलाव होना बेहद सामान्य बात है। आप चाहें तो मूंगफली का सेवन कर मूड से जुड़ी इन समस्याओं को दूर कर सकती हैं। दरअसल, मूंगफली में ट्रिप्टोफैन होता है जो कि एक जरूरी एमिनो एसिड है। ये एमिनो एसिड हैपी हार्मोन सेरोटोनिन के उत्पादन में मदद करता है। ऐसे में जब आप गर्भावस्था के दौरान मूंगफली का सेवन करती हैं तो मूड स्विंग की समस्या को रोकने और डिप्रेशन को दूर रखने में भी मदद मिलती है।

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फाइबर और आयरन के लिए प्रेगनेंसी में मूंगफली खाने के फायदे - Pregnancy me mungfali ke fayde fiber aur iron ke liye

अक्सर महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान कब्ज की समस्या भी देखने को मिलती है। ऐसे में मूंगफली जो फाइबर से भरपूर होती है उसे अगर आप अपनी डाइट में शामिल करें तो पाचन और मलत्याग से जुड़ी समस्याएं दूर होंगी और कब्ज की दिक्कत भी नहीं होगी। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर को अधिक आयरन की जरूरत होती है ताकि वह बच्चे की ग्रोथ में मदद करने के लिए अधिक खून का निर्माण कर सके। लेकिन अगर शरीर में आयरन और खून की कमी हो जाए तो एनीमिया का खतरा हो सकता है। इसलिए मूंगफली खाएं जो आयरन से भरपूर होती है और प्रेगनेंसी के दौरान एनीमिया की समस्या से बचाती है।

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अगर आपको मूंगफली से एलर्जी की समस्या नहीं है और गर्भावस्था के दौरान मूंगफली का सेवन कर रही हैं तब भी आपको सीमित मात्रा में ही इसका सेवन करना चाहिए क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान ज्यादा मूंगफली खाने से इसके कई साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं।

  • जैसा की हमने पहले ही बताया कि मूंगफली में हेल्दी फैट की मात्रा अधिक होती है जिससे वजन बढ़ाने में मदद मिलती है। लेकिन अगर आप गर्भावस्था के दौरान पहले से ही मोटापे का शिकार हैं और आपका वजन अधिक है तो आपको मूंगफली नहीं खानी चाहिए या बहुत सीमित मात्रा में खानी चाहिए।
  • अगर आपको पेट में सूजन या गैस्ट्राइटिस या पाचन से जुड़ी किसी और तरह की समस्या हो तब भी आपको मूंगफली का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे आपकी पेट की समस्याएं और पेट में इन्फ्लेमेशन की समस्या ज्यादा हो सकती है।
  • अगर आपको किडनी में स्टोन की समस्या हो तब भी आपको मूंगफली नहीं खानी चाहिए।

प्रेग्नेंसी में मूंगफली का सेवन, सीमित मात्रा में, कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है। मूंगफली में प्रोटीन, फोलेट, और स्वस्थ वसा की भरपूर मात्रा होती है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए आवश्यक पोषक तत्व हैं। फोलेट शिशु के मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड के विकास में मदद करता है, जबकि प्रोटीन और वसा ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने में सहायक होते हैं। मूंगफली में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और अन्य पोषक तत्व प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं। हालांकि, मूंगफली से एलर्जी होने का खतरा रहता है, इसलिए इसे अपनी डाइट में शामिल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

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