गर्भावस्था के समय गर्भवती को खानपान में खास ध्यान देने की सलाह दी जाती है। स्त्री के जीवन में यही एक ऐसा समय होता है जब हर व्यक्ति गर्भवती और उसके करीबियों को खानपान संबंधी अपने अनुभव बताता है। इस समय गर्भवती महिला को पौष्टिक आहार का सेवन करने में जरा सी भी चूक होती है तो इसके गंभीर दुष्परिणाम भी हो सकते हैं। आज हम इस लेख के जरिए जानेंगे की गर्भावस्था में किन खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए।

तिल:
पहले के समय में, जब एलोपैथिक दवाएं उपलब्ध नहीं हुआ करती थीं, तब अनचाहे गर्भ को गिराने के लिए तिल और गुड़ के मिश्रण का एक दिन में दो बार सेवन किया जाता था। तिल के बीज गर्भाशय की मांसपेशियों को उत्तेजित कर उनमें संकुचन पैदा कर सकते हैं। खासतौर पर गर्भावस्था की पहली तिमाही में महिलाओं को तिल खाने से बचना चाहिए। इसकी जगह पर गर्भवती महिलाएं सुरक्षित रूप से पिस्ताअखरोट और मूंगफली और अन्य सूखे मेवे जैसे किशमिश और बादाम जैसे नट्स का सेवन कर सकती हैं।

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बैंगन:
बैंगन खाने से गर्भवती महिलाओं को बहुत ज्यादा गैस की समस्या हो सकती है, जिससे उन्हें घबराहट और बेचैनी भी हो सकती है इसलिए गर्भावस्था में बैंगन खाने की सलाह नहीं दी जाती है।

कच्चा पपीता:
पपीता बहुत स्वास्थ्यवर्धक फल होता है लेकिन गर्भावस्था के दौरान गर्भवती को केवल पका हुआ फल खाने की ही सलाह दी जाती है। कच्चे पपीते में लेटेक्स अधिक मात्रा में होता है, जो गर्भाशय को संकुचित करता है। कच्चे पपीते के कारण गर्भपात भी हो सकता है।

अनानास:
इस फल का सेवन पहली तिमाही में नहीं करना चाहिए। अनानास में मौजूद प्रमुख तत्वों में से एक ब्रोमलेन है जो कि सीधा गर्भाशय ग्रीवा को प्रभावित करता है। संकुचन के कारण गर्भपात भी हो सकता है।

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मेथी दाना:
सिर्फ स्वाद के लिए कम मात्रा में मेथी खाई जा सकती है लेकिन इसे ज्यादा मात्रा में लगातार नहीं खाना चाहिए। 37 वें सप्ताह से पहले मेथी दाने से परहेज करना चाहिए क्योंकि इसके सेवन से समय से पहले प्रसव हो सकता है। कुछ महिलाओं को मेथी से प्राकृतिक रूप से एलर्जी होती है। ऐसे में उन्हें सूजनबंद नाक और घरघराहट जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।  

गर्भावस्था में इन सभी खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करना चाहिए। ऐसी खाद्य सामग्री जिसके फायदे और नुकसान की जानकारी न हो उसका सेवन करने से पूर्व डॉक्टर से सलाह ले लेना ठीक रहता है।

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