एक महिला के लिए मां बनना जीवन का सबसे अदभुत एहसास है। घर में नए मेहमान के आने की खबर से परिवार में खुशियां फैल जाती हैं और माहौल सकरात्मकता से भर जाता है। ऐसी अवस्था में गर्भवती महिलाओं की सेहत पर खास ध्यान दिया जाना चाहिए। अक्सर घर के बड़े-बुजुर्गों को आपने ऐसी अवस्था में हिदायतें देते सुना ही होगा। गर्भवती महिलाओं को ऐसी अवस्था में पौष्टिक आहार लेने और खुश रहने के लिए कहा जाता है। उनके अनुसार ऐसा करने से गर्भ में पल रहा बच्चा गुणवान और सेहतमंद होगा।

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इस बात पर मोहर लगाती ये अमेरिकी रिपोर्ट कहती है कि अगर गर्भवती महिला को अवसाद और तनाव है, तो इसका उसके बच्चे के विकास पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। बच्चे के शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों दिमाग और हृदय के विकास में तनाव अवरोध पैदा कर सकता है। ऐसे में इन अजन्मे बच्चों की सेहत की सारी जिम्मेदारी का भार उनकी मां पर आ जाता है।

गर्भ में पल रहे बच्चों में विकार
अमेरिका के चिल्ड्रेन नेशनल अस्पताल की शोधकर्ता कैथरीन लिंपरोपोलोस ने बताया कि हमने तनाव, व्यग्रता और अवसाद से पीड़ित महिलाओं के गर्भ में पल रहे शिशु की जांच की तो बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकार सामने आए। इन बच्चों का हृदय और मस्तिष्क पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाता है। इससे उनमें बड़े होकर सीखने की क्षमता और स्मरण शक्ति पर गहरा असर पड़ता है। इससे उनका सामाजिक विकास अवरुद्ध हो जाता है। वो अक्सर समाज में अचरज का पात्र बनकर रह जाते हैं।

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डाटा और शोध के आंकड़े
शोधकर्ताओं ने 92 सामान्य और 48 अवसाद से जूझ रही गर्भवती महिलाओं का अध्ययन किया। इस अध्ययन से आए परिणामों से ये निष्कर्ष निकाला गया कि मानसिक रोगों से परेशान गर्भवती महिलाओं के गर्भ में पल रहे शिशुओं में हृदय असामान्य रहता है।

ऐसे में कैसे रखें गर्भवती महिलाओं का ध्यान

  • कुछ महिलाओं के लिए साइकोथैरेपी और काउंसलिंग फायदेमंद साबित हो सकती है। इसकी मदद से बच्चों के मानसिक विकारों की अनुमानित दर को कम किया जा सकता है। अवसाद और तनाव में दिए जाने वाले ये ट्रीटमेंट मेडिकेशन से भी ज्यादा असरदार होते हैं।
  • दूसरी दवाइयों की तरह एंटीडिप्रेसेंट दवाइयां गर्भवती महिलाओं के मामलों में ग्रे एरिया में आती है। इसका मतलब है कि इनके लाभ और हानि की पुष्टि के लिए कोई पुख्ता शोध और सबूत नहीं है।
  • कुछ डाटा के अनुसार कुछ दवाइयां अवसाद और तनाव के दौरान गर्भवती महिलाओं को दी जा सकती हैं, लेकिन इन दवाइयों का गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ता है।

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गर्भवती महिलाओं में मानसिक विकारों का समाधान
यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग की शोधकर्ता एरिका फॉर्ब्स का कहना है कि गर्भवती महिलाओं की मानसिक जांच होना बहुत आवश्यक है। बच्चों के दिमाग में उत्पन्न ये विकार किसी एक वजह से नहीं होते। ये बच्चों को आजीवन अपंगता दे सकते हैं।

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