मां बनने का अहसास अलग ही होता है। मां बनने की चाहत रखने वाली महिलाओं के लिए प्रेगनेंसी की खबर खुशियों की बारात लेकर आती है। दूसरी तरफ कई महिलाओं के लिए यह डर, उलझन, स्ट्रेस और यहां तक कि डिप्रेशन से भरा समय होता है। अमेरिकन कांग्रेस ऑफ ऑब्स्टेट्रिशन एंड गाइनोकोलॉजिस्ट (एसीओजी) के अनुसार करीब 14 से 23 प्रतिशत महिलाएं गर्भावस्था के दौरान अवसाद यानि डिप्रेशन से ग्रस्त होती हैं।
अवसाद एक ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति के सोचने व कार्य करने की क्षमता और उसकी भावनाओं को प्रभावित करती है। हालांकि, 6 फीसदी महिलाएं अपने संपूर्ण जीवनकाल में एक न एक बार अवसाद का शिकार जरूर होती हैं, यह आंकड़े गर्भावस्था के दौरान बढ़ जाते हैं।
महिलाओं में प्रेगनेंसी के दौरान व बच्चे को जन्म देने के कुछ महीनों बाद तक डिप्रेशन होने का सबसे अधिक खतरा होता है। गर्भावस्था के समय हार्मोन में बदलाव होना मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है और डिप्रेशन व चिंता का कारण बन सकता है।
हालांकि, अच्छी खबर यह है कि डिप्रेशन का इलाज मुमकिन है। सही समय पर अवसाद को पहचान कर उसके इलाज की मदद से मां और बच्चे दोनों को बचाया जा सकता है। अपने पति व परिवार के अन्य सदस्यों को अपने अवसाद के लक्षणों के बारे में बता दें, ताकि वे आपकी समस्या से अवगत रहें और उस पर नजर रखें।
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