गर्भनिरोधक गोलियों से कैंसर से सुरक्षा मिलती है। यह दावा है स्वीडन की उपसाला यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का। अध्ययन के आधार पर इन शोधकर्ताओं ने कहा है कि मौखिक रूप से (मुंह से) ली जाने वाली गर्भनिरोधक दवाएं अंडाशय के कैंसर (ओवेरियन कैंसर) और गर्भाशय के कैंसर (एंडोमेट्रियल कैंसर) के खतरे से बचाने में मददगार हैं। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने ढाई लाख से ज्यादा महिलाओं की जांच करने के बाद यह बात कही है। इसके मुताबिक, गर्भनिरोधक दवाओं से इस प्रकार के कैंसर से मिलने वाली सुरक्षा का प्रभाव दवा का इस्तेमाल बंद होने के बाद भी कई सालों तक कायम रहता है। यह महत्वपूर्ण जानकारी अध्ययन समेत मेडिकल पत्रिका 'कैंसर' में प्रकाशित हुई है।
(और पढ़ें - कैंसर के खिलाफ बड़ा हथियार मानी जा रही यह नई वैक्सीन, एनीमल ट्रायल में दिखाई 90 प्रतिशत क्षमता)
अध्ययन के तहत शोधकर्ताओं ने महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर, ओवेरियन कैंसर और एंडोमेट्रियल कैंसर के मामलों की तुलना की। यह तुलना दो ग्रुप के बीच की गई। एक ग्रुप उन महिलाओं का था, जिन्होंने ओरल कॉन्ट्रिसेप्टिव पिल्स का इस्तेमाल किया था। वहीं, दूसरे समूह की महिलाओं ने कभी भी इस प्रकार की गोलियां इस्तेमाल नहीं की थीं। इस तुलना से जो परिणाम मिले, उनके बारे में बताते हुए अध्ययन के एक शोधकर्ता और उपसाला यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ इम्यूनोलॉजी, जेनेटिक्स एंड पैथोलॉजी के प्रोफेसर आसा जॉनसन ने कहा, 'यह साफ हुआ है कि ओरल कॉन्ट्रिसेप्टिव पिल्स लेने वाली महिलाओं में ओवेरियन और एंडोमेट्रियल कैंसर होने का खतरा काफी कम था। गोलियां लेना बंद करने के 15 साल बाद भी यह खतरा करीब 50 प्रतिशत कम था। हालांकि कुछ मामलों में गोली का इस्तेमाल बंद करने के 30-35 साल बाद बीमारी डिटेक्ट हुई है।'
(और पढ़ें - ओवेरियन कैंसर के इस घातक रूप की कमजोरी का फायदा उठाते हुए वैज्ञानिकों ने खोजा नया संभावित इलाज)
अध्ययन के परिणामों के लिहाज से देखें तो यह दिलचस्प है कि पूर्व में गर्भनिरोधक गोलियों के इस्तेमाल को ब्रेस्ट कैंसर के बढ़े हुए खतरे के साथ जोड़ा जाता है। लेकिन नई स्टडी इस मामले में नया पक्ष सामने रखती है। इस बारे में प्रोफेसर जॉनसन का कहना है, 'आश्चर्यजनक रूप से हमें ओरल कॉन्ट्रिसेप्टिव यूजर्स में ब्रेस्ट कैंसर के कम खतरे का पता चला है। डिसकन्ट्यूनेशन के कुछ साल बाद भी बढ़ा हुआ खतरा दिखाई नहीं दिया। हमारे अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करने वाले और कभी भी इनका इस्तेमाल नहीं करने वाले लोगों (महिलाओं) में ब्रेस्ट कैंसर के आजीवन खतरे में कोई अंतर नहीं होता है।'
(और पढ़ें - अंडाशय के कैंसर को शुरुआती स्टेज में ही डिटेक्ट कर सकता है यह नया रैपिड टेस्ट, जानें इसके बारे में)
जानकारों ने गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन और कैंसर से सुरक्षा के संबंध को स्थापित करने वाले इस अध्ययन के कई सकारात्मक पहलू बताए हैं, क्योंकि पहले के अध्ययनों में यह कहा जाता रहा है कि इन गोलियों को लेने के कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जिनमें डीप वेन थ्रोम्बोसिस और ब्रेस्ट कैंसर प्रमुख रूप से शामिल हैं। लेकिन नया अध्ययन कहता है कि (अनचाही) प्रेग्नेंसी से बचाने के अलावा इन पिल्स के और भी फायदे हैं। इस पर बात करते हुए अध्ययन की एक शोधकर्ता और पीएचडी छात्रा थीरस जॉनसन ने कहा है, 'प्रेग्नेंसी से बचाने के अलावा हमने दिखाया है कि ओरल कॉन्ट्रिसेप्टिव पिल्स के अन्य सकारात्मक प्रभाव भी हैं। हमारे परिणाम महिलाओं और फिजिशन्स को ज्यादा बेहतर सूचित फैसले लेने में मदद कर सकते हैं कि किन महिलाओं को ओरल कॉन्ट्रिसेप्टिव पिल्स का इस्तेमाल करना चाहिए और किन्हें नहीं।'