हालांकि जन्म नियंत्रण की गोलियां या गर्भनिरोधक गोलियां लगभग 60 वर्षों से महिलाओं के लिए उपलब्ध हैं, लेकिन पुरुषों के लिए इनके समान कोई गोलियां उपलब्ध नहीं है। लेकिन यह स्थिति जल्द ही बदल सकती है, क्योंकि हाल ही में वैज्ञानिकों की एक टीम ने घोषणा की है कि पुरुष गर्भनिरोधक गोलियों ने 28 दिनों के परीक्षण में किसी प्रतिभागी को बिना साइड इफेक्ट के मानव सुरक्षा परीक्षण पास कर लिया है।

यह निष्कर्ष 24 मार्च को ENDO 2019, एंडोक्राइन सोसाइटी के वार्षिक सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए थे। इस अध्ययन को द जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज़्म में 1 फरवरी को प्रकाशित किया गया था

शोधकर्ता अपने सफल परीक्षण का श्रेय गोली के सक्रिय एजेंट को देते हैं, इस एक एजेंट में दो हार्मोन हैं। जिसका एक भाग प्रोजेस्टिन और दूसरा भाग संशोधित टेस्टोस्टेरोन है। इस संकर (हाइब्रिड) अणु का अर्थ है कि उपभोक्ता के शरीर में हमेशा हार्मोन के समान स्तर होते हैं।

लॉस एंजिल्स बायोमेड रिसर्च इंस्टीट्यूट (एलए बायोएम्ड) में क्लिनिकल एंड ट्रांसलेशनल साइंस इंस्टीट्यूट की एसोसिएट डायरेक्टर डॉ क्रिस्टीना वांग ने कहा कि इन दोनों हार्मोनों का समन्वय कम सेक्स ड्राइव या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को संशोधित करने में मदद कर सकता है। डॉ वांग ने सिएटल में वॉशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं के साथ परीक्षण पर काम किया।

डॉ वांग कहती हैं कि जब दोनों हार्मोन अलग-अलग होते हैं, तो शरीर अलग-अलग गति से एक समान खुराक का उपयोग करता है। प्रोजेस्टिन शुक्राणु उत्पादन को रोकता है, लेकिन यह प्राकृतिक टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी भी करता है। अगर टेस्टोस्टेरोन बहुत कम हो जाता है, तो रक्त के थक्के, अवसाद और अन्य समस्याएं बढ़ जाती हैं।

डॉ वांग ने कहा, "हम चाहते हैं की दोनों हार्मोन लगभग एक साथ आए और लगभग एक साथ कम हो।" वे कहती हैं, "चूंकि यह गोली हमेशा टेस्टोस्टेरोन के समान हार्मोन के साथ प्रोजेस्टिन को जोड़ती है, इसलिए इसके अणु आदर्श रूप से शुक्राणुओं की संख्या में कमी बनाए रखते हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करते हैं कि इसकी आवश्यक भूमिकाओं को बनाए रखने के लिए संशोधित सेक्स हार्मोन भी पर्याप्त है।"

28 दिन के इस अध्ययन के दौरान, प्रतिभागियों ने 200 या 400 मिलीग्राम सक्रिय संघटक के साथ एक गोली या एक प्लेसबो लिया। परीक्षण का उद्देश्य केवल दवा की सुरक्षा का मूल्यांकन करना था, न कि यह देखना कि यह काम करती है या नहीं। हालांकि, शोधकर्ताओं के अनुसार शुक्राणुओं की संख्या में कमी के लिए लगभग 60 से 90 दिन लगेंगे।

शोध में शामिल किसी भी पुरुष में टेस्टोस्टेरोन के कम स्तर के कारण पैदा हो सकने वाले कोई अधिक गंभीर साइड इफेक्ट्स नहीं दिखे, जैसे हाई बीपी या अवसाद आदि। लेकिन शोध में शामिल पुरुष पूरी तरह से साइड-इफेक्ट मुक्त नहीं थे। गोली लेने वाले 30 प्रतिभागियों में से 22 ने मुंहासे, सिरदर्द, कम सेक्स ड्राइव, हल्के स्तंभन दोष या थकावट की सूचना दी और खुराक के आधार पर औसतन 1 से 2 किलोग्राम वजन बढ़ने की भी जानकारी दी। जिन तीन लोगों को प्लेसबो गोली दी गयी थी, उन्हें भी कुछ शिकायतें थीं।

डॉ वांग कहती हैं कि यह गोली यदि लंबी अवधि के लिए ली जाती है, तब कौन से स्वास्थ्य प्रभाव दिखाई दे सकते हैं, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि चूहों और बंदरों में वर्तमान अध्ययनों से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि तीन महीने या इससे अधिक समय तक गोली का सेवन करने से स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा और एक बार अध्ययन पूरा हो जाने के बाद, मनुष्यों के साथ भी इतनी ही समय अवधी का अध्ययन होगा।

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