महिलाओं में गर्भधारण को रोकने के लिए कई अलग-अलग तरीके मौजूद हैं जिनमें से एक गर्भनिरोधक गोलियां भी हैं। अगर इन दवाइयों को सही तरीके से लिया जाए, तो यह 99.9 फीसदी तक प्रभावी होती हैं। हालांकि, गर्भनिरोधक गोलियां एचआईवी सहित यौन संचारित रोगों से रक्षा नहीं करती हैं। एचआईवी से बचने का सबसे अच्छा तरीका लेटेक्स मेल कंडोम है जो कि अधिकतर यौन रोगों से सुरक्षा देता है।
गर्भनिरोधक गोलियों के साइड इफेक्ट्स और इससे होने वाले फायदों के बारे में तो आपको पता ही होगा लेकिन आज हम आपको इस लेख के जरिए गर्भ निरोधक गोलियों के महिलाओं पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में बताने जा रहे हैं।
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हृदय रोग का खतरा
डॉक्टर इस पिल को "हार्मोनल बर्थ कंट्रोल" कहते हैं। इन दवाइयों में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन जैसे हार्मोन होते हैं। हालांकि अनचाही प्रेगनेंसी से बचने के लिए और भी तरीके हैं जिनमे ये हार्मोंस मौजूद हैं , जैसे इंजेक्शन, आईयूडी (इंट्रायूटराइन डिवाइस), पैच (नेक्सप्लानॉन नामक डिवाइस जिसे त्वचा के अंदर लगाया जाता है) और वजाइनल रिंग जैसे विकल्प भी मौजूद हैं।
अध्ययनों में सामने आया है कि इस तरह की दवाओं में जो हार्मोंस होते हैं वो कई तरह से आपके हृदय को प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, इनकी वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। इसलिए यदि आप गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं, तो हर छह महीने में ब्लड प्रेशर की जांच करवाती रहें। यदि आप पहले से ही हाई बीपी से ग्रसित हैं, तो ऐसे में डॉक्टर से अनचाही प्रेगनेंसी से बचने के किसी और तरीके के बारे में पूछें।
निम्नलिखित स्थितियों में ह्रदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा ज्यादा रहता है:
- 35 से अधिक उम्र में
- हाई बीपी, डायबिटीज या हाई कोलेस्ट्रॉल
- धूम्रपान करते हों
- कभी स्ट्रोक, दिल का दौरा या खून का थक्का बनने जैसी समस्या हुई हो
- माइग्रेन की समस्या से ग्रसित हों
गर्भ निरोधक लेने वाली महिलाओं को कुछ महीनों के अंदर ही इसके निम्न प्रभाव दिखाई दे सकते हैं:
- पेट में दर्द और पेट फूलना
- कामेच्छा में कमी
- सिर चकराना
- घबराहट
- कमजोरी और थकान
- वजन बढ़ना
स्ट्रोक का खतरा
नीदरलैंड के यूट्रेक्ट में स्थित यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में क्लिनिकल एपिडेमियोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर व सीनियर रिसर्चर एले अलग्रा के अनुसार "किसी भी प्रकार की गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं में स्ट्रोक का खतरा अन्य महिलाओं के मुकाबले लगभग दोगुना होता है।" उनका कहना है कि पुरानी और नई गर्भनिरोधक गोलियों से स्ट्रोक के खतरे में कोई अंतर नहीं देखा गया।
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सेक्सुअल लाइफ पर असर
यदि आपकी सेक्स में रुचि कम हो रही है तो जरूरी नहीं है कि इसकी वजह थकान या तनाव हो। कई बार गर्भनिरोधक गोलियां लेने के कारण भी ऐसा हो सकता है। गर्भनिरोधक गोलियों की वजह से सेक्स ड्राइव पर असर पड़ सकता है। अधिकांश गर्भनिरोधक गोलियों में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन नामक फीमेल हार्मोन होते हैं। इन्हें कम्बाइन पिल्स कहा जाता है। इनमें हार्मोंस के प्रकार और मात्रा में विविधता हो सकती है लेकिन ये सभी आपके शरीर के कार्य करने के तरीके को प्रभावित करती हैं।
कई कंबाइंड पिल्स टेस्टोस्टेरोन को कम करती हैं। यह हार्मोन सेक्स के प्रति रुचि पैदा करता है। टेस्टोस्टेरोन के कम होने पर सेक्सुअल लाइफ प्रभावित होती है। हालांकि, ऐसा जरूरी नहीं है कि पिल्स लेने वाली सभी महिलाओं की सेक्स ड्राइव में कमी आए।
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