अनचाही प्रेग्नेंसी या गर्भ को रोकने के लिए कई तरह की दवाइयां आज उपलब्ध हैं और न जाने कितने लोग इनका इस्तेमाल करते हैं। वो भी बिना किसी जोखिम की चिंता किए, क्योंकि अधिकांश लोगों को ये पता ही नहीं होता है कि इनके सेवन से कई प्रकार के दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। हालांकि, मौजूदा समय में लोगों में थोड़ी जागरुकता जरूर आई है और कई लोगों को इन गोलियों के नकारात्मक प्रभावों की जानकारी भी है। बावजूद इसके गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन किया जा रहा है, लेकिन ताजा रिसर्च ने इनके जोखिम को और बढ़ा दिया है।

दरअसल हाल ही की एक रिसर्च में पता चला है कि गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से महिलाएं शारीरिक ही नहीं मासनिक रूप से भी प्रभावित होती हैं। अध्ययन में पता चला है कि इन गोलियों को लेने से मस्तिष्क पर गहरा असर पड़ता है, जिससे दिमाग में मौजूद हाइपोथैलेमस का आकार छोटा हो सकता है।

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क्या कहती है रिसर्च?
रेडियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका (आरएसएनए) की 105वीं वार्षिक साइंटिफिक बैठक में अध्ययनकर्ताओं ने यह रिपोर्ट पेश की। जिसमें गर्भनिरोधक के सेवन से मस्तिष्क में मौजूद हाइपोथैलेमस के छोटे होने के प्रमाण मिले हैं। शोधकर्ताओं ने बताया है कि खाई जाने वाली कॉन्ट्रासेप्टिव, जिन्हें आमतौर पर गर्भनिरोधक गोलियां कहा जाता है, उनमें घातक दुष्प्रभाव देखने को मिले हैं।

अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि जो महिलाएं इन गोलियों को नहीं खातीं, उनकी तुलना में जो महिलाएं कॉन्ट्रासेप्टिव दवाइयां ले रही हैं, उनके मस्तिष्क में हाइपोथैलेमस (दिमाग के भीतर का हिस्सा) का आकार सिकुड़ कर छोटा हो रहा है।

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क्या होता है हाइपोथैलेमस?
हाइपोथैलेमस, मस्तिष्क के आधार पर पिट्यूटरी ग्रंथि के ऊपर स्थित होता है, जो हार्मोन का उत्पादन करता है और शरीर के तापमान, मूड, भूख, सेक्स ड्राइव, नींद का क्रम और हृदय गति समेत आवश्यक शारीरिक कार्यों को विनियमित करने में मदद करता है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक मानव हाइपोथैलेमस पर गर्भनिरोधक गोलियों समेत सेक्स हार्मोन के संरचनात्मक प्रभाव कभी भी रिपोर्ट नहीं किए गए हैं। हालांकि, यह आंशिक रूप से हो सकता है, क्योंकि एमआरआई टेस्ट करने के अलावा हाइपोथैलेमस के विश्लेषण के लिए उचित टेस्ट उपलब्ध नहीं हैं।

विशेषज्ञों की राय
अमेरिका के अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन में ग्रॉस मैग्नेटिक रेजोनेंस रिसर्च सेंटर में रेडियोलॉजी के प्रोफेसर माइकल एल. लिप्टन का कहना है कि खाने वाली गर्भनिरोधक गोली के दुष्प्रभाव को लेकर थोड़ी कम रिसर्च हुई है, जबकि ये जीवित मानव का अभिन्न अंग है। हालांकि, हमने उचित तरीकों से हाइपोथैलेमस की मात्रा का आंकलन कर इसकी पुष्टि की है और ऐसा पहली बार है कि जब खाने वाली गर्भनिरोधक गोली का उपयोग हाइपोथैलेमिक के छाटे होने या उसके सिकुड़ने के साथ जुड़ा हुआ है

  • सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन नेशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टैटिस्टिक्स की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, 2015 से 2017 तक अमेरिका में 15-49 आयु वर्ग की लगभग 4.7 करोड़ महिलाओं ने गर्भ निरोधक उपायों के इस्तेमाल की जानकारी दी थी। उनमें से 12.6 फीसदी ने गोली का इस्तेमाल किया।
  • इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 50 स्वस्थ महिलाओं के एक समूह को रिसर्च में शामिल किया। इनमें से 21 महिलाएं ऐसी थीं, जो खाने वाली गर्भनिरोधक ले रही थीं।
  • सभी 50 महिलाओं के मस्तिष्क का एमआरआई कराया गया और हाइपोथैलेमिक के आकार को मापने के लिए एक उचित तरीका अपनाया गया था।

प्रोफेसर माइकल एल. लिप्टन ने बताया कि, जो महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियां नहीं ले रही थी उनकी तुलना में जो ये गोलियां खा रही थीं, उन महिलाओं के मस्तिष्क के आकार में एक आश्चर्यजनक बदलाव देखने को मिला। प्रारंभिक अध्ययन से जुड़े नतीजे और गर्भनिरोधक गोलियों का मस्तिष्क पर पड़ने वाला प्रभाव दर्शाता है कि अभी इस मुद्दे पर और जांच की जरूरत है।

डॉक्टर की राय
इस रिसर्च के बाद साफ तौर पर यह कहा जा सकता है कि गर्भनिरोधक गोलियों का दुष्प्रभाव शारीरिक तौर पर ही नहीं मानसिक तौर भी पड़ता है। myUpchar से जुड़ी डॉक्टर जैसमीन कौर की मानें तो ऐसी स्थिति में किसी भी व्यक्ति की याददाश्त कमजोर हो सकती है और भावनात्मक परिवर्तन आ सकते हैं। हालांकि, ऐसी स्थिति में घबराने की कोई जररूत नहीं है, क्योंकि दिमाग में इस तरह का बदलाव अन्य परिस्थितियों के कारण भी हो सकता है।

गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से बढ़ सकता है मानसिक रोग का जोखिम के डॉक्टर
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