कई महिलाएं सिजेरियन डिलीवरी के बाद अपने दूसरे बच्चे का जन्म नॉर्मल डिलीवरी से करवाना चाहती हैं। लेकिन ऐसा हो पाएगा या नहीं इस बारे में महिलाओं के मन में कई तरह के प्रश्न होते हैं। आपको बता दें कि सिजेरियन डिलीवरी के बाद भी महिलाओं को आसानी से नॉर्मल डिलीवरी हो सकती है, लेकिन इसमें उनके स्वास्थ्य संबंधी कई कारक का ध्यान रखना होता है। डॉक्टर से पूरी जांच करवाने के बाद ही आप नॉर्मल या सिजेरियन डिलीवरी का फैसला लें।

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सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी सही है या नहीं, इसका फैसला करने के लिए माँ और उसके बच्चे का डिलीवरी के बाद स्वास्थ सबसे बड़ा कारक होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह हर महिला के लिए सुरक्षित विकल्प नहीं होता है।

सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी के विषय पर महिलाओं की उत्सुकता को देखते हुए आपको इसके बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। साथ ही इस लेख में आपको यह भी बताया जाएगा कि किन परिस्थितियों में सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी की संभावनाएं अधिक या कम होती है, इसके क्या फायदे और जोखिम होते हैं, आदि।

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  1. कितनी महिलाओं को सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी हो जाती है? - Kitni pratishat mahilaon ko cesarean delivery ke baad normal delivery ho jaati hai
  2. सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी की संभावना ज्यादा कब होती है? - Cesarean delivery ke baad normal delivery ki sambhavna jyada kab hoti hai
  3. सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी कम होने के कारण - Cesarean delivery ke baad normal delivery ki sambhavna kam hone ke karan
  4. सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी के फायदे - Cesarean delivery ke baad normal delivery ke fayde
  5. सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी के नुकसान - Cesarean delivery ke baad normal delivery ke jokhim
  6. सिजेरियन और सिजेरियन के बाद नॉर्मल डिलीवरी के बीच अंतर - Comparing a repeat cesarean to a VBAC in hindi
  7. सारांश

बीते वर्षों के कुछ आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि भारत में सिजेरियन डिलीवरी के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। भारत के बड़े शहरों में खासकर सिजेरियन डिलीवरी के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है।

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अगर आप सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी चाहती हैं, तो यह जानकर आपको बेहद खुशी होगी कि करीब 90 प्रतिशत महिलाओं में सिजेरियन डिलीवरी के बाद भी नॉर्मल डिलीवरी की संभावनाएं होती हैं।

सिजेरियन के बाद नार्मल डिलीवरी होने की सम्भावना ज्यादा उन महिलाओं में होती हैं जिनकी पहले सिजेरियन के अलावा कम से कम एक बार नार्मल डिलीवरी भी हो चुकी है, और उन्होंने स्वास्थ कारकों को समझने के बाद नार्मल डिलीवरी का चयन किया। 

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अध्ययनों पर नजर डालें तो पता चलता है कि 60 से 80 प्रतिशत महिलाएं सिजेरियन डिलीवरी के बाद भी सफलता पूर्वक नॉर्मल डिलीवरी से बच्चे को जन्म दे चुकी हैं। आपको इस विषय पर पूरी जानकारी लेने और अपने डॉक्टर से बात करने के बाद ही सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी के विकल्प को चुनना चाहिए।  

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"अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ ओबस्टेट्रिकियंस एंड गायनोलॉजिस्ट" के मुताबिक निम्नलिखित सभी मानदंडों को पूरा करने वाली महिलाओं में सिजेरियन डिलीवरी के बाद भी नॉर्मल डिलीवरी की संभावनाएं बढ़ जाती है:

  • सिजेरियन के दौरान आपके गर्भाशय में लगा चीरा टी आकार (T-shaped) का या खड़े (vertical) आकार का होने के बजाय आड़े (horizontal) आकार और कम गहरा होना चाहिए। अगर यह चीरा टी (T)-आकार या खड़े आकार का हो, तो ऐसे में गर्भाशय फटने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। (और पढ़ें - लड़का पैदा करने के उपाय से जुड़े मिथक)
  • आपकी श्रोणि (पेल्विक) जन्म के समय बच्चे को सुरक्षित बाहर लाने के लिए बड़े आकार की होनी चाहिए। डॉक्टर कुछ टेस्ट करने के बाद आपकी श्रोणि के आकार का अनुमान लगा सकते हैं। (और पढ़ें - गर्भावस्था में पेल्विक दर्द)
  • गर्भाशय में पहले कोई सर्जरी जैसे गर्भाशय फाइब्रॉएड को हटाने के लिए मायोमेक्टोमी, आदि न की गई हो। (और पढ़ें - गर्भाशय कैंसर का इलाज)
  • पहले कभी आपका गर्भाशय न फटा हो।
  • आपको कोई चिकित्सीय या प्रसूति संबंधी समस्या, जैसे प्लेसेंटा प्रिविआ (Placenta Previa) या बड़े फाइब्राएड, नहीं होनी चाहिए। इनसे नॉर्मल डिलीवरी में जोखिम बढ़ जाता है। 

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सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी की संभावनाओं को कम करने वाले कारण हैं:

सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी की सफलता के विषय पर अपने डॉक्टर से बात करें और इसके फायदे व जोखिम के बारे में भी पूरी जानकारी प्राप्त करें।

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सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी चुनने से आप पेट की सर्जरी और इससे संबंधित अन्य जोखिमों से सुरक्षित रहती हैं। 

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सिजेरियन डिलीवरी में अत्यधिक रक्तस्राव की वजह से खून चढ़ाने (blood transfusion) की जरूरत पड़ सकती है। कुछ दुर्लभ मामलो में यह हिस्टेरेक्टॉमी (Hysterectomy: गर्भाशय को निकालने की सर्जिकल प्रक्रिया) का कारण भी बन सकता है। साथ ही इस प्रक्रिया के दौरान कई तरह के संक्रमण और अंगों को क्षति पहुँचने का खतरा होता है। 

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सी-सेक्शन डिलीवरी में आपको नॉर्मल डिलीवरी के मुकाबले अधिक समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है और आपको ठीक होने में भी अधिक समय लगता है, जिससे आपको काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

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यदि आप भविष्य में और बच्चों को जन्म देने पर विचार कर रहीं हैं, तो आपको मालूम होना चाहिए कि हर सिजेरियन डिलीवरी से आपको भविष्य में प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भनाल संबंधी समस्याएं जैसे प्लेसेंटा प्रिविआ (Placenta previa) और प्लेसेंटा एक्रिटा (Placneta accreta) होने का खतरा अधिक हो जाता है। गर्भानाल संबंधी इन समस्याओं से रक्त स्त्राव अधिक होता है और ये समस्याएं आपके लिए जानलेवा भी साबित हो सकती हैं।

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आपकी सभी स्वास्थ्य स्थितियां सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी के पक्ष में होने के बावजूद भी आपको कई तरह के जोखिम की संभावनाएं बनी रहती हैं।

इस दौरान पहले की सिजेरियन डिलीवरी में लगाए गए चीरे की जगह पर गर्भाशय फटने की संभावना होती है। लेकिन ऐसा बहुत ही कम होता है, लगभग 1 प्रतिशत से कम मामलों में। गर्भाशय फटने की वजह से आपका ज्यादा खून बह सकता है और गर्भ में पलने वाले बच्चे को ऑक्सिजन पहुंचने में मुश्किल हो सकती है। 

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अगर आपको नॉर्मल डिलीवरी में मुश्किल आती है, तो हो सकता है कि आपको घंटो प्रसव पीड़ा में रहने के बाद भी बच्चा बाहर न आये और आपको सिजेरियन डिलीवरी करवानी पड़े। इसे अनियोजित सिजेरियन डिलीवरी (unplanned c-section) कहते हैं।

अनियोजित सिजेरियन डिलीवरी में सर्जरी से संबंधी अन्य समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है, साथ ही अधिक खून बहने की वजह से आपको खून चढ़ाने की संभावनाएं भी बन जाती हैं। कुछ दुर्लभ मामलों में आपको हिस्टेरेक्टॉमी का भी सामना करना पड़ सकता है। इससे गर्भाशय और चीरे के घाव में संक्रमण की संभावना भी बढ़ जाती हैं। 

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अनियोजित सिजेरियन डिलीवरी से गर्भ में पलने वाले बच्चे को दीर्घकालिक तंत्रिका क्षति या मृत्यु होने का भी खतरा होता है। ऐसा होने की संभावना बहुत कम होती है, लेकिन फिर भी अनियोजित सिजेरियन डिलीवरी से होने वाले खतरे सामान्य डिलीवरी या नियोजित सिजेरियन डिलीवरी से कहीं अधिक होते हैं।

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दोबारा सिजेरियन डिलीवरी सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी
सर्जिकल प्रक्रिया का सामान्य जोखिम गर्भाशय फटने की संभावना 1% से कम होती है। अगर गर्भाशय फट जाता है तो आपको रक्त की कमी, हिस्टरेक्टॉमी, मूत्राशय (bladder) को नुकसान, संक्रमण, और रक्त के थक्कों संबंधी समस्या हो सकती हैं।
करीब चार दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ सकता है करीब दो दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ सकता है
सर्जरी के घाव, गर्भाशय और मूत्राशय में संक्रमण हो सकता है अगर नॉर्मल डिलीवरी नाकामयाब हो और सिजेरियन डिलीवरी करवानी पड़े, तो ऐसे में संक्रमण का खतरा दोगुना हो जाता है।
मूत्राशय, आंत और उसके पास के अंगों पर चोट लग सकती है  बच्चे के जन्म के समय मुश्किल आने पर योनि के फटने और सर्जिकल चीरा लगाने की जरूरत पड़ सकती है।
सर्जरी के दौरान लगे चीरे में दर्द हो सकता है। कुछ समय के लिए योनि के पास दर्द महसूस हो सकता है।
बच्चे को सांस संबंधी समस्या हो सकती है, लेकिन ऐसा बहुत कम होता है। बाहर आते समय बच्चे के फेफड़े साफ हो जाते हैं।
ऑपरेशन के बाद पैरों और पेल्विक में खून का थक्का बन सकता है।  
एक से ज्यादा बच्चे चाहने वाली महिलाएं यदि हर बार सिजेरियन डिलीवरी कराएं तो इससे उनको खतरा हो सकता है।  

 

सिजेरियन के बाद नॉर्मल डिलीवरी (VBAC) एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है, लेकिन इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। सबसे पहले, यह जानना महत्वपूर्ण है कि पिछले सिजेरियन के दौरान कौन सा कट लगाया गया था, क्योंकि लोवर यूटेरिन सेगमेंट का ट्रांसवर्स कट आमतौर पर VBAC के लिए सुरक्षित माना जाता है। डॉक्टर की सलाह और सहमति के बिना इस विकल्प पर विचार नहीं करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान और डिलीवरी के समय किसी भी संभावित जोखिम को समझने के लिए नियमित रूप से मेडिकल चेकअप कराना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, सही पोषण, हल्का व्यायाम, और तनाव को कम करने वाली तकनीकों का पालन करने से शरीर को तैयार करने में मदद मिल सकती है। सही स्वास्थ्य देखभाल टीम का चयन और अच्छी तैयारी VBAC की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

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