प्रेगनेंसी के दौरान भी कई महिलाओं को वजाइनल डिस्चार्ज होता है. कुछ महिलाओं के वजाइनल के रंग में बदलाव आ सकता है. यह डिस्चार्ज गाढ़ा, पतला या फिर ब्राउन रंग का दिखाई दे सकता है. ब्राउन डिस्चार्ज देखकर कई गर्भवती महिलाएं परेशान हो जाती हैं. खासतौर से पहली बार गर्भवती होने वाली महिलाओं को ब्राउन डिस्चार्ज होने के बाद काफी ज्यादा घबराहट होने लगती है.

प्रेगनेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज प्रारंभिक प्रेगनेंसी, प्रेगनेंसी लॉस, म्यूकस प्लग व हार्मोनल परिवर्तन के चलते हो सकता है. इस स्थिति के लिए महिलाओं को एंटीफंगल या एंटीबायोटिक्स जैसी दवाइयां दी जा सकती हैं.

आज इस लेख में हम बता रहे हैं कि प्रेगनेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज क्यों होता है और इस स्थिति से बचने के लिए क्या करना चाहिए -

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  1. प्रेगनेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज क्यों होता है?
  2. प्रेगनेंसी के दौरान ब्राउन डिस्चार्ज होने पर क्या करें?
  3. सारांश
प्रेगनेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज क्यूँ होता है , इसके कारण व उपाय के डॉक्टर

ऐसा सर्वाइकल इरिटेशन, एक्टोपिक प्रेगनेंसी व मिसकैरिज के कारण हो सकता है. आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में -

प्रारंभिक गर्भावस्था

आमतौर पर ब्राउन डिस्चार्ज का मतलब होता है कि डिस्चार्ज में ब्लड का कण मौजूद है. लंबे समय तक जमा ब्लड का रंग लाल से भूरे रंग में परिवर्तित हो जाता है. एक अध्ययन में कहा गया है कि गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान रक्तस्राव होना सामान्य है.

हालांकि, गर्भावस्था की शुरुआत में थोड़ा-सा स्पॉटिंग होना सामान्य है. फिर भी अगर आपको चिंता या फिर अधिक लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, ताकि डॉक्टर द्वारा उचित सलाह और परीक्षण से गर्भवती महिला के मन को शांति मिल सके.

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इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग

इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग की वजह से गर्भावस्था के दौरान गहरे भूरे रंग का डिस्चार्ज हो सकता है. दरअसल, शरीर में जमा पुराना ब्लड इसके जरिए बाहर निकल जाता है.

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हार्मोनल परिवर्तन

गर्भवती महिलाओं का शरीर अन्य महिलाओं और पुरुषों की तुलना में अपेक्षाकृत कम समय में कई हार्मोनल बदलावों से गुजरता है. गर्भावस्था के दौरान शरीर में हार्मोनल परिवर्तन की वजह से प्रजनन प्रणाली में रक्त के प्रवाह में वृद्धि होती है.

कुछ महिलाओं में हार्मोनल बदलाव की वजह से गर्भाशय ग्रीवा काफी संवेदनशील हो जाते हैं. ऐसे में इस तरह की महिलाओं को इंटरकोर्स, सेक्सुअल टॉय या फिर पैल्विक परीक्षण के दौरान गर्भाशय ग्रीवा में किसी तरह की समस्या होने पर रक्तस्राव हो सकता है, जिससे भूरे रंग डिस्चार्ज हो सकता है.

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एक्टोपिक गर्भावस्था

एक्टोपिक गर्भावस्था तब होती है, जब निषेचित अंडा गर्भाशय के मुख्य गुहा के बाहर प्रत्यारोपित होकर बढ़ने लगता है, जैसे कि फैलोपियन ट्यूब में. एक्टोपिक गर्भावस्था एक आपात स्थिति है, जिसके लिए तुरंत डॉक्टर की सलाह लेने की जरूरत होती है.

एक्टोपिक गर्भावस्था में पेट के आसपास दर्द और योनि से रक्तस्राव हो सकता है. इसके अलावा, नसों पर दबाव के कारण महिलाओं को पेट के एक तरफ या कंधे व सिरे में दर्द का अनुभव हो सकता है. वहीं, कुछ महिलाओं को शौचालय का इस्तेमाल करने में परेशानी या कठिनाई का अनुभव भी हो सकता है.

बता दें कि एक्टोपिक गर्भावस्था में निषेचित अंडा गर्भाशय के बाहर जीवित नहीं रह सकता है, जिसका अर्थ है कि एक्टोपिक प्रेगनेंसी में गर्भपात हो जाता है. ऐसे में अगर समय पर एक्टोपिक गर्भधारण का इलाज न कराया जाए, तो यह गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है. ऐसे में जिन महिलाओं को एक्टोपिक प्रेगनेंसी का संदेह होता है, उसे तुरंत डॉक्टरी सलाह लेने की जरूरत होती है.

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गर्भपात

ब्राउन डिस्चार्ज कुछ मामलों में गर्भावस्था के नुकसान या गर्भपात का संकेत भी हो सकता है. गर्भावस्था हानि होने पर ब्राउन डिस्चार्ज के साथ-साथ ताजा रक्त भी निकल सकता है. इसके अलावा, कुछ अन्य लक्षण भी दिख सकते हैं, जैसे- गर्भाशय संकुचन, पेट में तीव्र ऐंठन व वजन घटना इत्यादि.

प्रेगनेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज होने के अन्य कारण

  • संक्रमण, जैसे कि यौन संचारित संक्रमण, जिसका खतरा गर्भवती महिलाओं को अधिक होता है.
  • सर्वाइकल संक्रमण.
  • प्रेगनेंसी के आखिरी दिनों में भी कुछ महिलाओं को ब्राउन डिस्चार्ज हो सकता है.
  • अपरिपक्व प्रसूति के कारण कुछ महिलाओं को ब्राउन रंग की स्पॉटिंग या रक्तस्राव होता है.
  • प्लेसेंटा प्रेविया.
  • सर्वाइकल पॉलीप्स

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प्रेगनेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज की परेशानी होने पर क्या करें, यह उसके कारणों पर निर्भर करता है. अगर किसी संक्रमण के कारण गर्भवती महिलाओं को ब्राउन रंग का डिस्चार्ज होता है, तो इस स्थिति में महिलाओं को एंटीफंगल या एंटीबायोटिक्स जैसी दवाइयां दी जा सकती हैं. हालांकि, अगर किसी संक्रमण के कारण महिलाओं को इस तरह की परेशानी नहीं होती है, तो डॉक्टर कुछ गतिविधियों से बचने की सलाह देते हैं, जैसे-

  • मॉइस्चराइजिंग क्रीम या जीवाणुरोधी/एंटीफंगल एजेंटों वाले साबुन के इस्तेमाल से बचें.
  • केवल स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह पर वजाइनल क्रिया करें.
  • अंडरवियर का कपड़ा हल्का और ढीला रखें.
  • हमेशा सूती अंडरवियर पहनें.
  • अंडरवियर पर सॉफ्टनर या ब्लीच का इस्तेमाल करने से बचें.
  • हल्के साबुन और पानी से अंडरवियर धोएं.
  • पैंटी लाइनर के इस्तेमाल से बचें
  • वजाइनल डिस्चार्ज होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
  • डॉक्टर के अनुसार ही अपने आहार में बदलाव करें.

ध्यान रखें कि जननांगों के क्षेत्र को दिन में दो बार से अधिक न धोएं, क्योंकि इससे प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले बैक्टीरिया कम हो सकते हैं, जो संक्रमण से बचाव करने में मददगार हो सकते हैं.

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प्रेगनेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज कई कारणों से हो सकता है. इन कारणों को पहचान कर उसका जल्द से जल्द उपचार करना जरूरी है. इससे गर्भवती महिला किसी भी तरह की गंभीर परिस्थिति से बच सकती है. वहीं, अगर गंभीर लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.

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