गर्भावस्था में 3 से 4 फीसदी महिलाएं ब्रीच प्रेग्नेंसी (ब्रीच बर्थ) की स्थिति से ग्रस्त होती हैं। इसका मतलब गर्भ में शिशु की स्थिति बदलने से है। गर्भ में शिशु के पोजीशन बदलने के लिए पर्याप्त जगह होती है। गर्भावस्था के 36 सप्ताह तक, अधिकांश बच्चों का सिर नीचे की ओर आ जाता है और इसे जन्म के लिए सामान्य और सबसे सुरक्षित स्थिति माना जाता है। लेकिन 100 में से 4 मामलों में, शिशु का सिर नीचे की ओर नहीं आता है। इसकी बजाय बच्चा ब्रीच पोजीशन में रहता है। ब्रीच पोजीशन में शिशु की डिलीवरी सी-सेक्शन से ही की जाती है। सी-सेक्शन को सिजेरियन डिलीवरी के रूप में भी जाना जाता है, इसमें नॉर्मल डिलीवरी की बजाय सर्जरी की मदद ली जाती है।

  1. उल्टे बच्चे के प्रकार - Pet me baccha ulta hone ke prakar
  2. गर्भ में बच्चे के उल्टा होने के लक्षण - Pet me baccha ulta hone ke lakshan
  3. गर्भ में बच्चा उल्टा होने के कारण - Pet me bachcha ulta kyu ho jata hai?
  4. प्रेगनेंसी में बच्चा उल्टा हो तो क्या करें? - Pet me baccha ulta ho to kya karna chahiye?
  5. उल्टा बच्चा कैसे पैदा किया जाता है? - Ulte bache ki delivery kaise hoti hai
  6. उल्टे बच्चे की डिलीवरी नार्मल होती है? - Ulte bache ki normal delivery ho sakti hai?
  7. क्या गर्भ में उल्टे बच्चे को सीधा कर सकते हैं? - Ulta Bacha Sidha Karne ka Tarika
  8. उल्टा बच्चा सीधा करने का इलाज - Pet mein bachcha ulta ho to sidha kaise kare?
गर्भ में बच्चे का उल्टा होना के डॉक्टर

ब्रीच प्रेग्नेंसी मुख्यता तीन प्रकार की हो सकती है :

  • फ्रैंक ब्रीच
    जब बच्चे का सिर और उसके दोनों पैर ऊपर की ओर एवं कूल्हा नीचे की ओर रहता है।  
  • कंपलीट ब्रीच
    जब बच्चे के दोनों घुटने मुड़े होते हैं और उसके पैर और कूल्हे नीचे की ओर रहते हैं। 
  • फुटलिंग ब्रीच
    जब बच्चा गर्भ में अपने पैरों को क्रॉस करके बैठा हुआ दिखाई देता है।
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शिशु के ब्रीच पोजीशन में होने का एहसास मां को नहीं हो पाता है। लेकिन 36 या इससे अधिक सप्ताह की प्रेग्नेंसी होने पर अगर महिला को शिशु का सिर पेट के ऊपरी हिस्से में या फिर शिशु पेट के निचले हिस्से में किक (लात मारना) करता हुआ महसूस हो रहा है तो ऐसे में गर्भवती महिला को डॉक्टर से इस बारे में बात करनी चाहिए।

गर्भ में बच्चा उल्टा क्यों होता है? इसकी सटीक जानकारी डॉक्टरों को भी नहीं है, लेकिन अमेरिकन प्रेग्नेंसी एसोसिएशन के अनुसार, गर्भ में शिशु की असामान्य स्थिति में आने के कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं, जैसे कि :

  • अगर कोई महिला कई बार गर्भधारण कर चुकी हो
  • जुड़वा बच्चे होने पर
  • अगर किसी महिला ने पहले प्रीमैच्योर बेबी (नौ महीने से पहले) को जन्म दिया हो
  • यदि गर्भाशय में बहुत अधिक या बहुत कम मात्रा में एमनियोटिक द्रव हो। इसका मतलब है कि गर्भ में शिशु के पास घूमने के लिए ज्यादा जगह है या फिर पर्याप्त जगह नहीं है। एमनियोटिक द्रव गर्भ में शिशु को सुरक्षित रखने में मदद करता है। 
  • यदि किसी महिला के गर्भाशय का आकार असामान्य हो या कोई अन्य जटिलता हो जैसे कि गर्भाशय में रसौली
  • प्लेसेंटा प्रिविआ की स्थिति में भी ब्रीच बेबी हो सकता है। प्लेसेंटा गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय की परत के अंदर बढ़ता है। यह गर्भ में पल रहे शिशु को ऑक्सीजन और पोषक तत्व की आपूर्ति करता है।

अगर बच्चा उल्टा हो तो क्या करना चाहिए? आम शब्दों में कहें तो तो बच्चे का पेट में उल्टा होना सामान्य बात है। जन्म का समय नजदीक आने से पहले इसमें बच्चे को खतरा भी नहीं होता। जन्म के समय बच्चे का उल्टा होना या बच्चे के उल्टी स्थिति में ही जन्म लेने में खतरा जरूर हो सकता है। ऐसी स्थिति में बच्चे के बर्थ कैनाल में फंसने की आशंका रहती है। इसके अलावा गर्भनाल के जरिए उसे मिलने वाली ऑक्सीजन के बंद होने का भी डर रहता है।

यदि बच्चा गर्भ में उल्टा हो तो उसका सुरक्षित जन्म एक बड़ा प्रश्न है। ऐसे में आमतौर पर डॉक्टर ऑपरेशन की सलाह देते हैं और आधुनिक चिकित्सा युग में उल्टे बच्चे ऑपरेशन के जरिए ही पैदा होते हैं। ऐसा नहीं है कि आधुनिक चकित्सा पद्वति के आने से पहले उल्टे बच्चे नहीं होते थे। उस दौर में वैद्य या दाई गर्भ में बच्चे के उल्टा होने के बावजूद घर पर ही सुरक्षित प्रसव कराते थे। हालांकि, उस समय भी उल्टे बच्चे का जन्म आसान नहीं होता था, लेकिन तब ऑपरेशन की नौबत नहीं आती थी।

साल 2000 में लांसेंट में छपी एक स्टडी (प्लैन्ड सीजेरियन सेक्शन वर्सेस प्लैन्ड वजाइनल बर्थ फॉर ब्रीच प्रजेंटेशन एट टर्म) के अनुसार 26 देशों की 2000 से ज्यादा महिलाओं पर रिसर्च के उद्देश्य से नजर रखी गई। इसमें पाया गया कि बच्चे के उल्टा होने पर साधारण प्रसव के मुकाबले ऑपरेशन ज्यादा सुरक्षित माध्यम है। ऐसे मामलों में ऑपरेशन के जरिए प्रसव में बच्चों की मृत्यु दर काफी कम थी। हालांकि, प्रसूता के लिए साधारण और ऑपरेशन दोनों ही तरह के प्रसव में जटिलताएं एक जैसी थीं।

प्रसूति और स्त्री रोग से संबंधित एक ब्रिटिश जर्नल के अनुसार बच्चे के गर्भ में उल्टा होने के बावजूद यदि कोई महिला ऑपरेशन की बजाय साधारण तरीके से बच्चे को जन्म देना चाहती है तो प्लानिंग करके सुरक्षित तरीके से ऐसा किया जा सकता है। इसके लिए उन्हें अच्छे प्रशिक्षित गयनोक्लॉजिस्ट की जरूरत होगी। ब्रिटिश जर्नल ने यह निष्कर्ष उसी अध्ययन से निकाला है, जिसके आधार पर लांसेंट ने ऑपरेशन के जरिए उल्टे बच्चे के जन्म को ज्यादा सुरक्षित माना है।

प्रसव का समय नजदीक आने के साथ जैसे ही डॉक्टर बताते हैं कि बच्चा उल्टा है तो कई तरह के ख्याल दिमाग में तैरने लगते हैं। डॉक्टर इस मामले में सुरक्षित रास्ता चुनते हैं और ऑपरेशन के जरिए बच्चे को पैदा करने की सलाह दंपति को दी जाती है। इस बीच एक प्रश्न हर ऐसे दंपति के जेहन में उठता होगा कि क्या बच्चे को गर्भ में सीधा कर सकते हैं? आश्चर्यजनक रूप इस प्रश्न का जवाब हां है। जी हां, गर्भ में उल्टा हो चुके बच्चे को सीधा किया जा सकता है। इसकी सफलता की दर इस बात पर निर्भर करती है कि किन वजहों से बच्चा गर्भ में उल्टा हुआ है। अगर कोई दंपति ऑपरेशन नहीं कराना चाहता तो सुरक्षित तरीके से ऐसे उपाय अपनाए जा सकते हैं। यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि इस मामले में जिद नहीं पकड़नी चाहिए, अगर बच्चा सीधा नहीं हो पा रहा है और साधारण प्रसव में खतरा ज्यादा हो तो ऑपरेशन के जरिए घर में खुशियां ला सकते हैं।

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कभी-कभी डॉक्टर 'एक्सटर्नल सीफेलिक वर्जन' का प्रयोग करके बच्चे के सिर को नीचे की ओर ला सकते हैं। इस स्थिति में आप डॉक्टर से भी कुछ ऐसी पोजीशन के बारे में पूछ सकती हैं जिन्हें घर पर कर के ही बच्चे की पोजीशन को ठीक किया जा सकता है। इसे पोस्टुरल मैनेजमेंट कहा जाता है। हालांकि, यह साबित करने के लिए कोई शोध नहीं किया गया है कि पोस्टुरल मैनेजमेंट हमेशा काम करता है या नहीं, लेकिन यह हानिकारक भी नहीं है। आपके मामले में ये काम कर सकता है।

ब्रीच प्रेग्नेंसी की स्थिति में निराशा और चिंता होना स्वाभाविक है, खासकर जब डॉक्टर के कोशिश करने के बावजूद शिशु की पोजीशन ठीक न हो पा रही हो। लेकिन आपको बता दें कि अधिकतर ब्रीच बेबी स्वस्थ होते हैं और जन्म के बाद उनमें किसी तरह की कोई समस्या नहीं आती है।

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संदर्भ

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  8. Singh, Abha. et al. Delivery in Breech Presentation: The Decision Making. J Obstet Gynaecol India. 2012 Aug; 62(4): 401–405. PMID: 23904698
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